गीतकार संतोष आनंद की कहानी सुन भावुक हुई नेहा
बीते जमाने में तीन दशक तक बॉलीवुड की कई फिल्मों को सौ से भी अधिक सुपरहिट और यादगार गीत देने वाले मशहूर गीतकार संतोष आनंद के सामने रविवार को एक ऐसा प्रस्ताव आया जिसे वह न तो स्वीकार कर पाए और ना ही अस्वीकार।
By JagranEdited By: Updated: Tue, 23 Feb 2021 05:52 AM (IST)
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :
बीते जमाने में तीन दशक तक बॉलीवुड की कई फिल्मों को सौ से भी अधिक सुपरहिट और यादगार गीत देने वाले मशहूर गीतकार संतोष आनंद के सामने रविवार को एक ऐसा प्रस्ताव आया, जिसे वह न तो स्वीकार कर पाए और ना ही अस्वीकार। आखिरकार रिश्तों की दुहाई ने उन्हें मना लिया। मशहूर पार्श्व गायिका नेहा कक्कड़ ने उन्हें पांच लाख की भेंट देने की पेशकश की, जिसे थक हार कर उन्हें स्वीकार करना ही पड़ा। 81 वर्षीय गीतकार संतोष आनंद ने मोहब्बत है क्या चीज.., इक प्यार का नगमा है.., मेघा रे मेघा रे मत जा तू परदेश.., जिदगी की ना टूटे लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी.. जैसे खूबसूरत नग्मे बॉलीवुड को दिए हैं। मगर, अब संतोष वृद्ध हो चुके हैं और उनके पास कोई काम भी नहीं है। संतोष आनंद के बेटे संकल्प ने अपनी पत्नी के साथ वर्ष 2014 में सुसाइड कर लिया था। तब से वे पूरी तरह हिम्मत हार चुके हैं। वह खुद भी शारीरिक रूप से लाचार हैं।
संतोष आनंद रविवार को इंडियन आइडल-12 में संगीतकार प्यारेलाल के साथ नजर आए। इस दौरान उन्होंने उम्र के इस पड़ाव पर अपने संघर्ष को साझा किया। संतोष ने बताया कि उन्हें बिल तक चुकाने में कठिनाई हो रही है। इस वीडियो में वह कहते नजर आ रहे है, बरसों बाद मैं मुंबई आया हूं। अच्छा लग रहा है। एक उड़ते हुए पंक्षी की तरह मैं यहां आता था और चला जाता था। रात-रात भर जग के मैंने गीत लिखे। मैंने गीत नहीं, अपने खून और कलम से लिखे। इतना अच्छा लगता है वो दिन याद करके। आज तो मेरे लिए ऐसा लगता है जैसे दिन भी रात हो गई है।'' वह आगे कह रहे हैं, ''मैं जीना चाहता हूं बहुत अच्छी तरह से। पैदल जाते थे देवी यात्राओं पर, पीले कपड़े पहनकर। राम जी ने मुझपर कृपा भी बहुत की थी। बहुत कुछ दिया भी था। सबकुछ कैसे चला गया। राम जी का कपाट किसने बंद कर दिया, मुझे आजतक पता नहीं चला। अब वो दौर तो नहीं, लेकिन इतना कहना चाहता हूं- जो बीत गया है वो अब दौर न आएगा, इस दिल में सिवा तेरे कोई और न आएगा। घर फूंक दिया हमने अब राख उठानी है, जिदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है..।''
ये सब सुनते ही ऋषिकेश निवासी मशहूर पार्श्व गायिका नेहा कक्कड़ बेहद भावुक हो गई। उन्होंने कहा, ''आपके लिखे जो गीत हैं उनसे हम सबने प्यार करना सीखा है। दुनिया के बारे में जाना है। सर मैं अपनी ओर से आपको पांच लाख रुपए की भेंट देना चाहती हूं।'' यह सुनकर संतोष आनंद रो पड़े और कहा- मैं बड़ा स्वाभिमानी हूं, आज तक मैंने किसी से कुछ भी नहीं मांगा। मैं आज भी मेहनत करता हूं। नेहा ने रोते हुए अनुरोध किया कि आप ये समझिए की ये आपकी पोती की तरफ से है। इसके बाद रोते हुए संतोष आनंद कह पड़े कि उसके लिए मैं स्वीकार करूंगा।'' -------- संतोष आनंद को ऐसे मिली थी बॉलीवुड में पहचान संतोष आनंद का जन्म बुलंदशहर के सिकंदराबाद में हुआ था। उन्होंने फिल्म पूरब और पश्चिम से अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। उन्होंने अपना पहला गाना 'एक प्यार का नगमा है' लिखा था, जो 1972 की फिल्म शोर में सुना गया था। इस गाने को मुकेश और लता मंगेशकर ने गाया था और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी ने इसे कंपोज किया था। इसके बाद संतोष आनंद ने फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के लिए 'और नहीं बस और नहीं'' और ''मैं ना भूलूंगा'' जैसे गानों को लिखा था। इसके लिए संतोष को उनका पहला बेस्ट लिरिसिस्ट का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था। इसके बाद उन्होंने क्रांति, प्यासा सावन और प्रेम रोग जैसी फिल्मों के लिए गाने लिखे। फिल्म प्रेम रोग का गीत मोहब्बत है क्या चीज.. वो गाना था, जिसने संतोष आनंद को उनका आखिरी फिल्म फेयर अवॉर्ड जिताया था।
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