सपना बनकर रह गया नवीन चकराता, 23 सालों से फाइलों में कैद है योजना
जौनसार-बावर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए चकराता बाजार से छह किलोमीटर दूर पुरोड़ी में नवीन चकराता की योजना 23 साल से फाइलों में कैद है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 10 Nov 2019 01:34 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए चकराता बाजार से छह किलोमीटर दूर पुरोड़ी में नवीन चकराता की योजना बनाई गई थी। लेकिन ये योजना पिछले 23 साल से फाइलों में कैद होकर रह गई है। इससे क्षेत्र के लोगों में रोष व्याप्त है।
उप्र सरकार में वर्ष 1996 में जौनसार बावर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए छावनी बाजार से छह किमी दूर पुरोड़ी में नवीन चकराता का विधिवत गजट नोटिफिकेशन जारी करने के साथ ही शिलान्यास का पत्थर भी लगा दिया था। उस समय जिला पंचायत अध्यक्ष रहे रामशरण नौटियाल और मंडलायुक्त बीएम बोहरा ने नवीन चकराता का शिलान्यास किया था। शिलान्यास के बाद लोगों के दिलों में एक सुंदर सा ख्वाब पैदा हुआ कि शायद अब उनका सपना साकार हो जाएगा। लेकिन 23 साल का लंबा अरसा बीतने के बाद भी नया टाउन नहीं बस पाया, जिससे जौनसार बावर क्षेत्र का विकास अवरुद्ध हो रहा है।
बताते चलें कि नए चकराता को बसाने के लिए सरकार ने पुरोड़ी में कई गांव की उपजाऊ भूमि का भी अधिग्रहण कर लिया था। लेकिन आजतक नए चकराता को बसाने के नाम पर एक इंच कार्य भी नहीं हो पाया। क्षेत्र के सामाजिक संगठन यंग माऊंटेन क्लब चकराता, नवीन चकराता विकास समिति और चेतना मंच ठाणा के लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से नवीन चकराता बसाने की मांग की है। लोगों ने बताया कि जन भावनाओं को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूड़ी ने नवीन चकराता प्राधिकरण की घोषणा करते हुए लोगों के दिलों में नई आस जगा दी थी, लेकिन जैसे ही वह पद से हटे फिर से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। तब से लोगों का यह सपना फाइलों में कैद है।
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