New Education Policy: राष्ट्रपति को भेजे जाएंगे कुलपतियों के सुझाव, नई नीति को सर्वस्वीकृत बनाने में मिलेगी मदद
राजभवन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने नई शिक्षा नीति पर राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से चर्चा की।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Thu, 17 Sep 2020 06:50 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने बुधवार को राजभवन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नई शिक्षा नीति पर राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से चर्चा की। कुलपतियों से मिले सुझावों को राजभवन के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। राज्यपाल ने कहा कि कुलपतियों के रचनात्मक सुझावों से नई नीति को अधिक जनहितकारी और सर्वस्वीकृत बनाने में मदद मिलेगी। नई शिक्षा नीति भारत को विश्व गुरु के रूप में दोबारा स्थापित करेगी।
राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि नई शिक्षा नीति लागू करने में कुलपतियों की अहम भूमिका है। इस मौके पर जीबी पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के कुलपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति में सामाजिक विज्ञान विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया है। पंतनगर विश्वविद्यालय में कॉलेज ऑफ बेसिक साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज के कुछ विषयों को मजबूत करने की आवश्यकता है। इससे विश्वविद्यालय का और अधिक विस्तार होगा। विश्वविद्यालय ने कृषि कौशल विकास और उद्यमी मानसिकता को प्रोत्साहित करने के लिए प्रविधान किए हैं।
उच्च शिक्षा आयोग का करें गठन
भरसार विश्वविद्यालय और दून विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एके कर्नाटक ने कहा कि नई नीति के मुताबिक सभी विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रमों को परिवर्तित करना होगा। लिहाजा उच्च शिक्षा आयोग का गठन कर इसमें मानक निर्धारण, वित्त पोषण, मान्यता प्रदान करने वाले और विनियमन से संबंधित व्यक्ति शामिल होने चाहिए। सभी विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर सिस्टम लागू होना चाहिए। कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एनके जोशी ने नई नीति में इंटर्नशिप और प्रेक्टिकल एप्लीकेशंस ऑफ नॉलेज को बढ़ावा देने की पैरवी की।
सभी पाठ्यक्रमों में हो सेमेस्टर सिस्टम
उन्होंने कहा कि सभी पाठ्यक्रमों में प्रत्येक सेमेस्टर में इंटर्नशिप या प्रोजेक्ट वर्क को शामिल किया जाना चाहिए। कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम अनिवार्य किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय स्तर पर डिजिटल शिक्षा संसाधनों को विकसित करने के लिए अलग इकाई का गठन किया जाना चाहिए। स्थानीय भाषाओं में पाठ्य सामग्री की व्यवस्था की जानी चाहिए।
ढांचे में बदलाव की बने कार्ययोजनाश्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा और मुक्त दूरस्थ शिक्षा के बुनियादी ढांचे में परिवर्तन को कार्ययोजना तैयार करनी होगी। दूरस्थ क्षेत्रों में नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध कराना आवश्यक है। सभी विश्वविद्यालयों के लिए समान नियम बनाए जाएं। आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुनील कुमार जोशी ने कहा कि आयुर्वेद को राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति घोषित किया जाए। रेलवे, भारतीय सेना सहित सभी केंद्रीय सेवाओं में आयुर्वेद चिकित्सा को स्थान मिलना चाहिए। केंद्रीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के सभी निजी स्कूलों को रखने होंगे विशेष शिक्षक, पालन न करने पर मान्यता की जाएगी रद शिक्षण-प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुधरेउत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एनएस चौधरी ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं के शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन और अन्य देखरेख की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार आवश्यक है। मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो ओपीएस नेगी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में मुक्त विश्वविद्यालयों की भूमिका का उल्लेख नहीं किया गया है। इस अवसर पर सचिव राज्यपाल बृजेश कुमार संत, संयुक्त सचिव जितेंद्र कुमार सोनकर मौजूद थे।
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