विश्वविद्यालयों के 80 फीसद शोध कार्य जन उपयोगी नहीं: डॉ रमेश पोखरियाल निशंक
दून विवि में नई शिक्षा नीति पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा की 33 साल बाद नई शिक्षा नीति लागू होने जा रही है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 29 Sep 2019 07:45 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। देशभर में करीब एक हजार विश्वविद्यालयों में चल रहे शोध कार्यों की जब समीक्षा की गई तो पाया गया कि 80 फीसद शोध कार्य जन उपयोगी नहीं हैं। ऐसे शोध कार्यों का क्या औचित्य है, जो मानव उत्थान और आर्थिक विकास में सहायक न हों। इससे केवल समय, जनशक्ति व धन की बर्बादी होती है। अनुसंधान ऐसा हो जो आर्थिकी को मजबूती दे। साथ ही बहुआयामी व जनोपयोगी हो। यह बात मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने शनिवार को दून विवि में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन के मौके पर कही।
'उत्तराखंड राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता उन्नयन व नवाचार' विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए निशंक ने कहा कि पूरी दुनिया के निराश लोगों को हिमालय ने नई ऊर्जा दी है। उत्तराखंड सृजन की धरती है। नवाचार और अनुसंधान के साथ उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उत्तराखंड की धरती पर वेद, पुराण, उपनिषदों व आयुर्वेद का जन्म हुआ है। 'निशंक' ने कहा कि हिन्दुस्तान विश्वगुरु रहा है। हमारी सोच में स्थायित्व होना चाहिए।
कोई भी कार्य इच्छाशक्ति के साथ क्रियान्वयन होना चाहिए। अपने विचार सिर्फ कागजों तक सीमित न रखें, उन्हें जमीन पर उतारने के साथ तब तक गतिशील रखें, जब तक परिणाम न दिखाई दे। हिमालय पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। हिमालय ज्ञान, विज्ञान, पर्यावरण और अनुसंधान का केंद्र रहा है। उत्तराखंड 'एजुकेशन हब' है। कहा कि उत्तराखंड संजीवनी बूटियों का भंडार है। आयुर्वेद शाश्वत चिकित्सा है, यह वैकल्पिक चिकित्सा नहीं है।
कहा कि जैव विविधता हमारी बहुत बड़ी संपदा है। हिमालय एशिया का 'वाटर हब' है। उत्तराखंड राज्य में सर्वाधिक 12500 वन पंचायतें हैं। वन, जन, जल का समन्वय, अनुसंधान व शोध पूरी दुनिया के लिए मिसाल बनेगा। कार्यक्रम का संचालन दून विवि के प्रो. एचसी पुरोहित ने किया। इस मौके पर बतौर विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, दून विवि के कुलपति डॉ.चंद्रशेखर नौटियाल, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनंद वद्र्धन, अपर सचिव डॉ. अहमद इकबाल, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. एससी पंत आदि मौजूद रहे।
देश में 33 साल बाद नई शिक्षा नीति डॉ. निशंक ने कहा कि वर्ष 1986 में कोठारी आयोग ने नई शिक्षा नीति तैयार की थी, उसके बाद 33 साल बाद अब नई शिक्षा नीति तैयार है। नई शिक्षा नीति नए भारत के निर्माण की ओर बढ़ाएगी। सबल, स्वस्थ, स्वच्छ, सशक्त, श्रेष्ठ, समर्थ भारत की आधारशिला है।
गुणवत्ता युक्त शिक्षा से रुकेगा पलायन उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि अच्छे व गुणवत्ता युक्त शिक्षण संस्थान उत्तराखंड से पलायन को रोकने में सहायक होंगे। शिक्षण संस्थानों के परिसरों को 'ग्रीन कैंपस-क्लीन कैंपस' के तहत समृद्ध किया जायेगा और गुणवत्ता के दृष्टिगत शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्राध्यापकों की कमी 'गेस्ट फैकल्टी' के माध्यम से दूर की गई है। 25 प्रतिशत प्राचार्य सीधी भर्ती से नियुक्त किए जाने हैं। अच्छे कार्य करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर्स को 'भक्त दर्शन' पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। इस मौके पर उच्च शिक्षा के 'लोगो' का लोकार्पण भी किया गया।
कुलपति डॉ.यूएस रावत की पुस्तक का विमोचन संगोष्ठी के दौरान मुख्य अतिथि डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति डॉ.यूएस रावत द्वारा लिखी पुस्तक 'हिमालय : इकोलोजी, रिसोर्सेज, डेवलेपमेंट एंड कॅान्फ्लिक्ट' का विमोचन किया। निशंक ने श्री रावत की पुस्तक को जनउपयोगी और हिमालय पर शोध कर रहे शोधार्थियों के लिए सहायक बताया। श्री रावत की पुस्तक का संपादन दून विवि के प्रोफेसर डॉ. हर्ष डोभाल व प्रो. एचसी पुरोहित ने किया। डॉ.निशंक ने 'उत्तराखंड में उच्च शिक्षा की विकास यात्रा' पुस्तक का भी विमोचन किया गया।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम पर विचारएमकेपी पीजी कॉलेज में नई शिक्षा नीति के पहलूओं पर संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि जो लोग धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं वो इंडोनेशिया में जाए। सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है वहां राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान की मूर्तियां हैं। उनका धर्म इस्लाम है लेकिन वे राम के आदर्शों को मानते हैं। कहा कि पीएम मोदी ने फिट इंडिया अभियान शुरू किया ताकि लोग स्वस्थ्य रहे। उन्होंने का शिक्षा का अधिकार अधिनियम में अभी तक सिर्फ आठवीं के छात्र-छात्राओं को लाभ मिलता है इसको 10-12 वीं को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। ताकि आठवीं के बाद कोई शिक्षा से वंचित नहीं हो। अभी आईआईटी में कृत्रिम बुद्धिमता शुरू नहीं हुई है हम सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में शुरू कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें: तो उत्तराखंड में दुर्गम में ही टिके रह सकेंगे 400 शिक्षक, पढ़िए पूरी खबर छात्राओं ने पूछे सवालराजनीति विज्ञान की शोध छात्रा अंजलि सेमवाल ने सवाल किया कि अखिल भारतीय उच्चतम शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में छात्राओं की संख्या घटी हैं, क्योंकि यहां की शिक्षा रोजगार परक नहीं है। सुझाव दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा आयोग जिसकी अध्यक्षता पीएम करेंगे, इसमें विद्यार्थियों को भी शामिल किया जाए। जिसपर डॉ. पोखरियाल ने कहा कि छात्राओं का नामांकन बढ़ा है। रोजगारपरक शिक्षा के लिए इंजीनियरिंग कॉलेजों से कहा है कि उद्योगों के साथ मिलकर देश की समस्याओं पर अनुसंधान करे और शिक्षा दें।
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