AIIMS Rishikesh: किशोरी के दिल में था जन्मजात छेद, एम्स ऋषिकेश में जटिल सर्जरी कर दिया नया जीवन
AIIMS Rishikesh अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकश के पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जरी विभाग ने एक 15 वर्षीय किशोरी की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देकर उसे नया जीवनदान दिया है। उत्तर प्रदेश निवासी इस किशोरी को जन्म से दिल में छेद था और फेफड़े की नस सिकुड़ी हुई थी।
By Sunil Singh NegiEdited By: Updated: Mon, 28 Dec 2020 04:55 PM (IST)
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। AIIMS Rishikesh अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकश के पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जरी विभाग ने एक 15 वर्षीय किशोरी की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देकर उसे नया जीवनदान दिया है। उत्तर प्रदेश निवासी इस किशोरी को जन्म से दिल में छेद था और फेफड़े की नस सिकुड़ी हुई थी। चिकित्सकों के अनुसार इस तरह का जटिल ऑपरेशन अब तक उत्तराखंड में किसी सरकारी मेडिकल संस्थान में नहीं किया गया है।
जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक करने पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने संस्थान के सीटीवीएस व कॉर्डियोलॉजी विभाग की टीम की सराहना की और चिकित्सकों को प्रोत्साहित किया। चिकित्सकों ने बताया कि किशोर घर के आसपास मुकम्मल स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलने की वजह से किशोरी के स्वजनों ने अन्यत्र उपचार कराना मुनासिब नहीं समझा। उपचार में अनावश्यक विलंब के चलते किशोरी को सांस फूलने की समस्या होने लगी थी, जिसके कारण वह अपने रोजमर्रा के कार्य करने में भी असमर्थ हो गई।
समस्या अधिक बढ़ने पर किशोरी के परिजन उसे लेकर एम्स ऋषिकेश पहुंचे, जहां कॉर्डियोलॉजी विभाग में उसकी जांच कराई गई, जिसमें पता चला कि किशोरी के दिल में जन्मजात छेद है और फेफड़े की नस सिकुड़ी हुई है। उसके दिल का एक वाल्व भी जन्म से ही अविकसित था, जिसे मेडिकल साइंस में टैट्रोलॉजी ऑफ फैलो विद एबसेंट पल्मनरी वाल्व कहते हैं। इस बीमारी में बहुत से बच्चों को पैदा होते ही सांस की धमनी में रुकावट हो जाती है, लेकिन संयोग से इस किशोरी को वह समस्या 15 वर्ष तक नहीं आई। मगर, समय पर उपचार में विलंब होने से अब उसका दिल फेल होना शुरू हो गया था। लिहाजा ऐसी स्थिति में ऑपरेशन के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था।
सीटीवीएस विभाग के डा. अनीश गुप्ता के नेतृत्व में इस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया, जिसमें किशोरी के दिल का छेद बंद करने के साथ ही फेफड़े का रास्ता बड़ा किया गया व पल्मोनरी वाल्व बदला गया। किशोरी को इस मेजर सर्जरी के अगले ही दिन वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया, जिसे अब अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। उन्होंने बताया कि किशोरी अब पूरी तरह से स्वस्थ है। जटिल ऑपरेशन को अंजाम देने वाली टीम में सीटीवीएस विभाग के डा. अनीश गुप्ता के अलावा डा. अजेय मिश्रा, डा. यश श्रीवास्तव व विभाग के अन्य सदस्य शामिल रहे।
मरीज को लगाया ब्लूटूथ संचालित पेसमेकर
मैक्स अस्पताल के चिकित्सकों ने एक 82 वर्षीय व्यक्ति में ब्लूटूथ संचालित पेसमेकर लगाया है। सर्जरी के दो दिन बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। चिकित्सकों का कहना है कि मरीज का स्वास्थ्य सामान्य है। अस्पताल में यह पहला मामला है जिसमें मरीज को ब्लूटूथ पेसमेकर लगाया गया है। कार्डियोलॉजी विभाग की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. प्रीति शर्मा ने बताया कि मरीज को बेहोशी के दौरे की शिकायत पर अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था। जांच में पता चला कि मरीज सिक साइनस सिंड्रोम से पीडि़त है। जिस कारण उसमें डुअल चैंबर परमानेंट पेसमेकर प्रत्यारोपित किया गया। मरीज की उम्र व स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए ब्लूटूथ संचालित पेसमेकर लगाने का निर्णय लिया गया। इसमें ब्लू सिंक टेक्नोलॉजी टैबलेट आधारित प्रोग्रामिंग ऐप रिमोट मॉनीटरिंग सुविधा होती है। इसकी बैटरी 14 साल तक चलती है। दूर रहकर भी मरीज के स्वास्थ्य की निगरानी की जा सकती है।
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