उत्तराखंड में नए साल में नए कलेवर में दिखेगी शिक्षा व्यवस्था, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था नए साल में नए कलेवर में दिखेगी। वर्ष 2022 तक हरेक सरकारी डिग्री कॉलेज के पास अपना भवन होगा।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Tue, 31 Dec 2019 01:56 PM (IST)
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। प्रदेश में जहां-तहां किराए के भवनों और कुछ कमरों में खोले गए सरकारी डिग्री कॉलेज और आधे-अधूरे संसाधनों के साथ राज्य विश्वविद्यालय। जी हां, उत्तराखंड में उच्च शिक्षा का नाम लेते ही मस्तिष्क में सबसे पहले उभरने वाली छवि यही है। कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में सरकारी उच्च शिक्षा सिर्फ जरूरत और अपेक्षाओं पर खरा उतरने के बजाए महज खानापूर्ति कर रही हो तो ये स्वाभाविक चिंता का विषय है। अच्छी बात ये है कि ये चिंता की लकीरें राज्य के माथे पर स्थायी भाव की तरह नहीं रहेंगी।
वर्ष 2022 तक हरेक सरकारी डिग्री कॉलेज के पास अपना भवन होगा, साथ में बड़ी संख्या में कॉलेज स्मार्ट क्लास और ई-ग्रंथालय जैसी आधुनिक डिजिटल सेवाओं से जुड़ जाएंगे। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के रूप में केंद्र से मिलने वाली धनराशि के साथ ही विश्व बैंक की मदद से उच्च शिक्षा पहली दफा राज्य से युवाओं का पलायन रोकने में अहम भूमिका निभाने जा रही है। नए साल में सरकारी डिग्री कॉलेजों में पारंपरिक शिक्षा के साथ रोजगार व व्यावसायिक शिक्षा का मजबूत आधार तैयार करने की कसरत तेज हो चुकी है।
यूजीसी मदद पाने की जिद्दोजहद
प्रदेश में सरकारी डिग्री कॉलेजों की संख्या 105 हो चुकी है, लेकिन इनमें ज्यादातर को यूजीसी से अनुदान नहीं मिलता। कॉलेजों के पास यूजीसी मानकों के मुताबिक जरूरी सुविधाएं न होना इसकी बड़ी वजह है। राज्य में सिर्फ 64 के पास ही अपनी भूमि और भवन हैं। 29 कॉलेजों के भवन निर्माणाधीन हैं, जबकि 11 कॉलेजों के पास भवन तो दूर की बात, अपनी भूमि तक नहीं हैं। कॉलेजों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से किसी तरह का अनुदान पाने के लिए लंबा रास्ता तय करना होगा।
जिन 64 कॉलेजों के पास भूमि और भवन हैं, उनमें भी 18 कॉलेज यानी महज 28 फीसद ही आयोग से अनुदान की पात्रता हासिल कर पाए हैं। अनुदान के लिए नैक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल) की ग्रेडिंग अनिवार्य है। अब 40 से ज्यादा कॉलेजों में संसाधन जुटाने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से इन कॉलेजों को प्रति कॉलेज की दर से दो-दो करोड़ रुपये देने की मांग की गई है।
गेस्ट फैकल्टी को समान मानदेय सरकारी डिग्री कॉलेजों में कार्यरत सांध्यकालीन, प्रात:कालीन गेस्ट फैकल्टी को अब एकसमान 35 हजार रुपये मानदेय दिया जा रहा है। सरकार ने असमानता दूर करते हुए इस वर्ष यह अहम निर्णय लिया। पहले सरकारी डिग्री कॉलेजों में 59 सांध्यकालीन गेस्ट फैकल्टी को 15 हजार रुपये मासिक, 263 प्रात:कालीन गेस्ट फैकल्टी को 25 हजार रुपये मानदेय का भुगतान किया जा रहा था।
स्नातक स्तर पर खत्म सेमेस्टर प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव के दौरान वायदे को निभाते हुए सरकार ने सरकारी और सहायताप्राप्त डिग्री कॉलेजों में स्नातक स्तर पर सेमेस्टर प्रणाली खत्म करने के आदेश जारी किए हैं। राज्य विश्वविद्यालयों के कैंपस कॉलेजों में सेमेस्टर प्रणाली लागू रहेगी। मेरिट-साक्षात्कार से शिक्षक चयन प्रदेश में डिग्री शिक्षकों की नियुक्ति शैक्षिक योग्यता की मेरिट और साक्षात्कार के जरिए होगी। मेरिट में स्नातकोत्तर और स्नातक की मेरिट के ज्यादा अंक मिलेंगे, जबकि नेट या सेट की लिखित परीक्षा के अंकों को भी शामिल किया जाएगा। वर्ष 2021 से शिक्षकों की नियुक्ति में नेट या सेट के साथ ही पीएचडी भी अनिवार्य होगी। राज्य सरकार ने यूजीसी रेग्युलेशन 2018 को लागू कर दिया है।
तीन मॉडल-एक व्यावसायिक कॉलेज केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा में उत्तराखंड को राहत देते हुए हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र रसूलपुर, ऊधमसिंहनगर जिले के किच्छा और चंपावत जिले के देवीधूरा में तीन मॉडल डिग्री कॉलेज और पौड़ी जिले के पैठाणी में राज्य के पहले सरकारी व्यावसायिक कॉलेज को मंजूरी और धन भी दे दिया। उक्त कॉलेजों के भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है। पैठाणी व्यावसायिक कॉलेज में टूरिज्म एंड हॉस्पिटेलिटी, हॉस्पिटल हेल्थ केयर, रिन्यूवल एनर्जी, फायर सेफ्टी, फूड प्रोसेसिंग में बीटेक डिग्री और बैचलर ऑफ डिजाइनिंग के तहत प्रोडक्ट डिजाइनिंग की रोजगारपरक शिक्षा आधुनिक पैटर्न पर दी जाएगी। मॉडल कॉलेज में रोजगारोन्मुखी शिक्षा के अंतर्गत बीबीए, लॉजिस्टिक मैनेजमेंट, बीए ऑनर्स अर्थशास्त्र, बी लिब, एम लिब, मॉस कॉम, जर्नलिज्म, योग, नेचुरल पैथी, बी.कॉम, बैंकिंग इंश्योरेंस की शिक्षा दी जाएगी।
ऋषिकेश पीजी बना कैंपस कॉलेज श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय बादशाहीथौल, टिहरी के नए परिसर की मुराद पूरी हो गई। राज्य सरकार ने पंडित ललित मोहन शर्मा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ऋषिकेश को तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय का परिसर बना दिया है। रानीपोखरी में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी उत्तराखंड में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी देहरादून जिले के रानीपोखरी में स्थापित की जाएगी। कैबिनेट इस संबंध में फैसला ले चुकी है। यूनिवर्सिटी की स्थापना को लगभग 10 एकड़ भूमि में दी जाएगी।
सत्र 2020-21 से 30 जून तक हर हाल में संबद्धता प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों के लिए अब कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों को संबद्धता देने में ढुलमुल रवैया अपनाना भारी पड़ेगा। राजभवन ने इस मामले में विश्वविद्यालयों की जवाबदेही तय कर दी है। शैक्षिक सत्र 2018-19 तक लटके संबद्धता मामलों में राजभवन ने छात्रहित में उदारता दिखाते हुए एक बार समाधान के तौर पर सैद्धांतिक संबद्धता को हरी झंडी दिखा दी है। वहीं अगले शैक्षिक सत्र 2020-21 से संबद्धता के लिए टाइमटेबल तय कर दिया है।
कुलपतियों को लेकर विवाद उत्तराखंड में राज्य विश्वविद्यालयों में नियुक्त होने वाले कुलपतियों को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस वर्ष दून विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सीएस नौटियाल के चयन को ही हाईकोर्ट ने अवैध करार दे दिया। वहीं इससे पहले कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डीके नौडिय़ाल व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे चुके हैं। अंब्रेला एक्ट अब अगले सत्र से
प्रदेश में सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग अंब्रेला एक्ट बनाने का निर्णय सरकार ने लिया है। दोनों एक्ट का मसौदा तैयार हो चुका है, लेकिन उन्हें इस वर्ष तक विधानसभा में पेश नहीं किया जा सका। अब अगले वर्ष यह कार्य अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।कक्षा में आनंद, बस्ते के बोझ से निजात
प्रदेश में अब बचपन पर न तो बस्ते की बोझ मार पड़ेगी और न ही होमवर्क (गृह कार्य) का गैर जरूरी दबाव होगा। सरकारी और निजी, सभी स्कूलों के लिए कक्षा एक से लेकर दसवीं तक बस्ते का बोझ तय किया गया है। कक्षा एक और दो में बस्ते का भार डेढ़ किलो और तीन से पांचवीं तक तीन किलो से ज्यादा नहीं होगा। साथ ही कक्षा एक व दो में कोई गृह कार्य नहीं दिया जाएगा। यानी स्कूल से लेकर अब घरों में बच्चे दबावमुक्त माहौल में रहेंगे। सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को उत्तराखंड में लागू कर दिया है। हैप्पीनेस क्लासेज सरकारी स्कूलों में लगातार गिर रही छात्रसंख्या से चिंतित उत्तराखंड की भाजपा सरकार इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए दिल्ली की आप सरकार के फार्मूले को कुछ संशोधन के साथ आजमाया है। हैप्पीनेस क्लासेज के इस फार्मूले को आनंदम का रूप दिया गया है। स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक विद्यार्थियों के लिए तनावमुक्त और खुशनुमा माहौल बनाने के लिए हैप्पीनेस क्लास चलाई जा रही हैं। इसके तहत हफ्ते में दो दिन नैतिक शिक्षा पर आधारित कहानियां सुनाई जाएंगी। इन कहानियों पर आधारित सवालों के मौखिक जवाब बच्चों से पूछे जाएंगे। मासिक परीक्षा का नया पैटर्न -सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में मासिक परीक्षा सरकार के बीते 29 जून को जारी शासनादेश के मुताबिक होंगी। मासिक परीक्षा के आधार पर शिक्षकों को ग्रेडिंग दी जाएगी। एससीईआरटी को दिया गया व्यवस्था का जिम्मा। मासिक परीक्षा के लिए प्रश्नपत्रों का निर्माण और उत्तरपुस्तिकाओं की जांच विद्यालय ही करेगा। सभी राजकीय विद्यालयों में मासिक पाठ्यक्रम विभाजन उपलब्ध कराया जाएगा। जयहरीखाल में 37 एकड़ में बनेगा आदर्श विद्यालय हंस फाउंडेशन के सहयोग से पौड़ी जिले के जयहरीखाल में आदर्श विद्यालय और सतपुली के नजदीक लवाड़ में स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित किया जाएगा। जयहरीखाल में आवासीय विद्यालय कक्षा छह से 12वीं तक के छात्रों के लिए बनेगा। विद्यालय में आधुनिक शिक्षा की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। यह व्यवस्था की जाएगी कि प्रति माह अखिल भारतीय सेवा का एक अधिकारी विद्यालय जाकर गेस्ट लेक्चर देगा। 4910 गेस्ट टीचर पर संशय पूरी कोशिश के बावजूद इस साल सरकारी माध्यमिक विद्यालयों को 4910 गेस्ट टीचर की तैनाती नहीं हो सकी। मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली तो प्रवक्ता के 4076 और एलटी के 834 पदों के लिए गेस्ट टीचर मिल सकेंगे। प्राविधिक शिक्षा को 19 साल बाद मिला निदेशक उत्तराखंड राज्य गठन के बाद पहली बार यानी 19 साल के बाद प्राविधिक शिक्षा विभाग को विभागीय निदेशक मिला है। शासन ने इस पद पर प्राविधिक शिक्षा परिषद के सचिव पद पर कार्यरत हरि सिंह को पदोन्नत किया है। इससे पहले इस पद पर आइएएस को ही प्रभार दिया जाता रहा है। 10 नए पैरामेडिकल कॉलेजों को मंजूरी राज्य सरकार ने प्रदेश में 10 नए निजी पैरामेडिकल संस्थानों को अनुमति दी है। संस्थानों में चालू शैक्षिक सत्र 2019-20 के लिए नए पाठ्यक्रमों को अनापत्ति दी गई है। प्रदेश में करीब 32 नए पैरामेडिकल संस्थानों की ओर से आवेदन किए गए थे। कई स्तरों पर स्क्रुट्नी के बाद सिर्फ दस संस्थानों को ही नए पाठ्यक्रमों की अनुमति मिली है। कक्षावार बस्ते का यूं तय किया गया है भार कक्षा, किलो एक व दो, 1.5 तीन से पांच, 03 छठी-सातवीं, 04 आठवीं-नवीं, 4.5 दसवीं, 05 फीस एक्ट नहीं हुआ लागू शिक्षा महकमा उत्तराखंड में निजी स्कूलों में मनमाने तरीके से फीस वसूली पर रोक लगाने को फीस एक्ट लागू नहीं कर सका है। हालांकि एक्ट का मसौदा शिक्षा महकमा तैयार कर चुका है। व्यावसायिक शिक्षा: नए साल में लागू होने की उम्मीद राज्य के 13 जिलों के 200 राजकीय इंटर कॉलेजों के तकरीबन 10 हजार छात्र-छात्राओं को नवीं कक्षा से नौ ट्रेड में व्यावसायिक शिक्षा देने के लिए मुहूर्त तय नहीं हो पा रहा है। इनमें 45 कॉलेजों में दो-दो ट्रेड और शेष में एक-एक ट्रेड शुरू किए जाएंगे। इन ट्रेड के लिए कुल 255 लैबोरेट्री बनाई जाएंगी। उक्त कॉलेजों में नवीं से छात्र-छात्राएं व्यावसायिक शिक्षा में दाखिला ले सकेंगे। उक्त प्रशिक्षण के लिए करीब 255 शिक्षकों की नियुक्ति व्यावसायिक पार्टनर के माध्यम से की जाएगी। ई-टेंडरिंग के जरिये पार्टनर चुने जाने की प्रक्रिया थम सी गई है। अब यह अगले सत्र से प्रारंभ होने की उम्मीद है। व्यावसायिक शिक्षा के रूप में संचालित होंगे ये नौ नए ट्रेड-कृषि, ऑटोमोबाइल, ब्यूटी एंड वेलनेस, इलेक्ट्रानिक एंड हार्डवेयर, आइटी, मल्टी स्किलिंग, प्लंबर, रिटेल, टूरिज्म एंड हास्पिटेलिटी। अटल पैरामेडिकल कॉलेज को अनुमति देने से मनाही आखिरकार राज्य सरकार ने भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड को आयुष पैरामेडिकल कॉलेज के संचालन को अनुमति देने से इनकार कर दिया। विभागीय मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के इस पैरामेडिकल कॉलेज के पैरवी में उतरने के बावजूद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले में कदम पीछे खींचना ही मुनासिब समझा। मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद आयुष एवं आयुष शिक्षा सचिव रमेश कुमार सुधांशु ने शुक्रवार को उक्त कॉलेज के संचालन को प्रशासनिक और वित्तीय मंजूरी नहीं देने के आदेश परिषद के रजिस्ट्रार को जारी किए। तकनीकी शिक्षा एनआइटी श्रीनगर भवन का हुआ शिलान्यास केंद्र सरकार ने एनआइटी श्रीनगर मामले में राज्य के रुख पर अपनी मुहर लगा दी है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बीते अक्टूबर माह में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मौजूदगी में श्रीनगर में एनआइटी भवन का शिलान्यास किया। तकनीकी विवि में धांधली की जांच का परिणाम नहीं प्रदेश के तकनीकी विश्वविद्यालय में पहले पीएचडी डिग्री में गड़बड़ी सामने आई तो फिर नियुक्तियों में धांधली, वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट में हुआ। राजभवन के सख्त रुख पर जांच हुई, लेकिन मामले में दोषियों का चिह्नीकरण और कार्रवाई अब तक नहीं की गई। बांडधारक चिकित्सकों पर कसा गया शिकंजा उत्तराखंड के पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने की शर्त से भाग रहे बांडधारक चिकित्सकों पर सरकार ने पहली बार मजबूत इच्छाशक्ति के साथ शिकंजा कसा है। बांडधारक चिकित्सकों को सेवाएं नहीं देने पर उन्हें दी गई फीस में रियायती धनराशि की 18 फीसद ब्याज दर से वसूली के आदेश दिए गए। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में रियायती फीस का लाभ लेकर अध्ययन-प्रशिक्षण लेने वाले अखिल भारतीय कोटे के 22 बांडधारक चिकित्सकों ने पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं नहीं दी थीं। निरस्त यह भी पढ़ें: आइआइएसईआर के लिए 31 मई को एप्टीट्यूड टेस्ट, जानिए कहां होगी परीक्षावर्ष 2019 के प्रमुख फैसले: प्राइमरी व माध्यमिक शिक्षा-प्रदेश के सरकारी और सहायताप्राप्त विद्यालयों में कक्षा एक से आठवीं तक अध्ययनरत 6.84 लाख बच्चों को मीठा सुगंधित दूध -आपदा के प्रति संवेदनशील 5041 स्कूल भवनों का बांस से होगा निर्माण -प्राथमिक स्कूल परिसर में चलेंगे आंगनबाड़ी केंद्र, बंद पड़े स्कूल भवनों में खोले जाएंगे आंगनबाड़ी केंद्र, प्री-प्राइमरी शिक्षा की दिशा में कदम -16608 विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों पर लटकी तलवार हटी, लेकिन राहत को अभी इंतजार बाकी -शिक्षा मित्रों को राहत, प्राथमिक शिक्षक बनने का रास्ता साफ, नियमावली में संशोधन यह भी पढ़ें: प्रशिक्षण स्थगित नहीं होने से शिक्षकों में रोष, शीतकालीन अवकाश में ड्यूटी लगने से भी परेशानउच्च शिक्षा में उठे कदम -सरकारी और सहायताप्राप्त डिग्री शिक्षकों को सातवां वेतनमान और एरियर -करीब दो दर्जन कॉलेजों को भवन निर्माण को धनराशि जारी -सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा अस्तित्व में आया, आवासीय विश्वविद्यालय अल्मोड़ा का एक्ट यह भी पढ़ें: CBSE Board Exam: एडमिट कार्ड पर प्राचार्य के साथ परीक्षार्थी के भी हस्ताक्षर
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।