New Year 2020: नए साल में उत्तराखंड सरकार को 19 पर 20 साबित होने की चुनौती
वर्ष 2019 अब इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहा है। सियासत के लिहाज से यह साल भाजपा के लिए नई उम्मीदें लेकर आया तो कांग्रेस अपने वजूद के लिए संघर्ष करते दिखी।
By BhanuEdited By: Updated: Tue, 31 Dec 2019 08:16 PM (IST)
देहरादून, विकास धूलिया। वर्ष 2019 अब इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहा है। सियासत के लिहाज से यह साल भाजपा के लिए नई उम्मीदें लेकर आया तो कांग्रेस अपने वजूद के लिए संघर्ष करते दिखी। हिमालय दिवस और देशभर की संसदीय संस्थाओं के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन जैसे बड़े आयोजनों की मेजबानी कर उत्तराखंड ने देशभर में अपनी मौजूदगी अहम तरीके से दर्ज कराई।
इन सबके बीच दो क्षेत्र ऐसे भी रहे, जो उत्तराखंड के लिए गंभीर चिंता का विषय बनकर सामने आए। एक मानव-वन्यजीव संघर्ष की लगातार बढ़ती घटनाएं और दूसरा जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला। हालांकि, इन दोनों के ही लिहाज से नया साल 2020 उम्मीदें भी लेकर आ रहा है। सियासत में भाजपा का परचम
इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा वर्ष 2014 की तर्ज पर एक बार फिर पांचों सीटों पर काबिज होने में कामयाब रही। लाजिमी तौर पर कांग्रेस के हाथ खाली ही रह गए। चुनावी जीत के इस क्रम को भाजपा ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और पिथौरागढ़ विधानसभा सीट के उप चुनाव में भी कायम रखा। तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के बूते त्रिवेंद्र सरकार पूरी स्थिरता के साथ विकास के मोर्चे पर कदम बढ़ाती रही।
बदला कानून, मंत्री खुद भरेंगे आयकर
इस साल सरकार ने 38 साल पुराने एक कानून में बदलाव कर दिया। वर्ष 1981 से अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौरान से यह व्यवस्था चली आ रही थी कि प्रदेश सरकार के मंत्रियों का आयकर सरकार भरेगी। दैनिक जागरण ने इस अप्रासंगिक व्यवस्था की ओर सरकार का ध्यान खींचा तो सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में उत्तराखंड मंत्री (वेतन भत्ता और प्रकीर्ण उपबंध)(संशोधन) विधेयक पारित कर व्यवस्था को खत्म कर दिया।
पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिली थोड़ी राहतसरकारी आवासों में लंबे समय तक जमे रहे पूर्व मुख्यमंत्रियों को लेकर हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद सरकार ने उन्हें कुछ राहत दी है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा (आवासीय एवं अन्य सुविधाएं) विधेयक 2019 पारित कर दिया गया। इससे अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को मानक से 25 फीसद ज्यादा किराया अदा करना होगा।
हरीश रावत पर सीबीआइ का शिकंजावर्ष 2016 के विधायक खरीद-फरोख्त के स्टिंग को लेकर सीबीआइ ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के महासचिव हरीश रावत पर शिकंजा कस दिया। सीबीआइ ने इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। इससे रावत की मुश्किलों में इजाफा तय है। हालांकि उनके लिए राहत की बात यह रही कि सीबीआइ ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और एक चैनल के सीईओ पर भी मुकदमा दर्ज किया है।
छात्रवृत्ति घोटाले ने बटोरी चर्चाप्रदेश में वर्ष 2015 में छात्रवृत्ति घोटाला तब सामने आया था, जब यह पता चला कि समाज कल्याण विभाग ने फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति वितरित की। सैकड़ों करोड़ के इस घोटाले में इस साल अभी तक पुलिस सरकारी व निजी संस्थाओं के 30 से अधिक सरकारी कर्मचारियों, प्रबंधकों व छात्रों को गिरफ्तार कर चुकी है और 54 से अधिक कॉलेज एसआइटी के निशाने पर हैं। अभी तक 850 से अधिक छात्रों का सत्यापन किया जा चुका है।
जहरीली शराब की भेंट चढ़ी 41 जिंदगीप्रदेश में इस वर्ष जहरीली शराब से मौतों की दो बड़ी घटनाओं ने सबको चौंका दिया। पहला मामला फरवरी माह में रुड़की में प्रकाश में आया था। यहां जहरीली शराब पीने से 35 से अधिक लोगों की मौत हुई। इस मामले में तीन अधिकारियों को निलंबित किया गया। दूसरा मामला सितंबर माह में सामने आया। देहरादून के पथरिया पीर इलाके में छह से अधिक लोगों की मौत जहरीली शराब पीने के कारण हुई। इस मामले में दो विभागीय अधिकारियों को निलंबित किया गया।
केदार-बदरी में नमो और ध्यान गुफाउत्तराखंड से विशेष लगाव रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल लोकसभा चुनाव की आपाधापी से निबटने के बाद अपने आराध्य बाबा केदार की शरण में आए। उन्होंने न सिर्फ केदारनाथ धाम में दर्शन कर वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया, बल्कि धाम के नजदीक गुफा में रात्रि विश्राम कर ध्यान भी लगाया। अगले दिन प्रधानमंत्री ने बदरीनाथ में भी दर्शन किए। नमो के केदारनाथ में गुफा में प्रवास के बाद से यह ध्यान गुफा श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
देवस्थानम प्रबंधन विधेयक पारितचारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के साथ ही इनके नजदीकी मंदिरों को श्राइन बोर्ड के दायरे में लाने के सरकार के फैसले के विरोध में हक-हकूकधारी आंदोलित रहे। हालांकि, सरकार ने साफ किया कि सभी के हित सुरक्षित रखे जाएंगे। इस बीच सरकार ने चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक से श्राइन शब्द हटाकर इसकी जगह देवस्थानम किया। फिर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक सदन में पारित भी हो गया।
पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलनलोकसभा, राज्यसभा, विधानसभाओं और विधान परिषदों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की मेजबानी इस मर्तबा उत्तराखंड को मिली। यह पहला मौका था, जब राज्य को यह अवसर मिला और इसे ऐतिहासिक बनाने में राज्य ने कोई कोर-कसर भी नहीं छोड़ी। सम्मेलन में विधानसभा व विधान परिषदों के संचालन से जुड़े मसलों पर चर्चा हुई तो भविष्य का खाका भी खींचा गया। सम्मेलन में आए अतिथि उत्तराखंड के इतिहास से रूबरू हुए तो यहां के दर्शनीय स्थलों ने भी उन्हें अभिभूत किया।
थम नहीं रहा मानव-वन्यजीव संघर्ष71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में वन्यजीवों का खौफ इस वर्ष भी तारी रहा। खासकर गुलदार के हमलों ने सांसें अटकाए रखीं। इस साल वन्यजीवों के हमलों में 46 लोगों की मौत हुई। इनमें भी 20 की जान गुलदार के हमलों में गई। लगातार गहराते मानव-वन्यजीव संघर्ष को थामने के लिए इस वर्ष रैपिड रिस्पांस टीम, वॉलेंटरी विलेज प्रोटेक्शन फोर्स के गठन के साथ ही तमाम उपायों को लेकर कार्ययोजना तैयार हुई है। ये सभी कार्ययोजनाएं नए वर्ष में धरातल पर उतरेंगी।
हिमालयी हितों के लिए कॉन्क्लेवदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 16.3 फीसद क्षेत्र में विस्तार लिए सभी 11 हिमालयी राज्यों की अगुआई कर उत्तराखंड ने इस वर्ष मिसाल पेश की। राज्य ने मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव का आयोजन किया, जिसमें उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों ने पर्यावरण सहेजने के एवज में क्षतिपूर्ति के तौर पर ग्रीन बोनस की मांग प्रमुखता से रखी। साथ ही केंद्र सरकार, नीति और वित्त आयोग को यह अहसास कराने का प्रयास किया कि देश के पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान का संज्ञान लिया जाए। उम्मीद है कि सरकार नए साल में इस दिशा में कुछ सकारात्मक पहल करेगी।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड सरकार के खिलाफ विधानसभा क्षेत्रवार आंदोलन करेगी कांग्रेसउम्मीदें 2020हरिद्वार महाकुंभ: एक जनवरी 2021 से होने वाले महाकुंभ को दिव्य एवं भव्य बनाने के लिए ठीक एक साल का वक्त शेष।विंटर गेम्स: औली में जोरदार बर्फबारी ने नए साल में विंटर गेम्स व फिश रेस की संभावनाओं को पंख लगा दिए हैं।नमामि गंगे: गंगा की शुद्धता व निर्मलता के लिए चल रही परियोजना के अंतर्गत शेष नौ योजनाएं नए साल में चढेंग़ी परवान।चारधाम ऑलवेदर रोड: तीर्थाटन, पर्यटन एवं सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण परियोजना के कार्य पर सबकी नजर।ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन: हालांकि पूर्ण होने में काफी वक्त है लेकिन प्रदेश ही नहीं, देश की भी उम्मीदों का सबब बनी है।केदारपुरी: प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार केदारपुरी का पुननिर्माण नए साल में हो जाएगा पूरा।जमरानी बांध: पेयजल व सिंचाई के लिहाज से तराई क्षेत्र के लिए वरदान माने जाने वाली परियोजना उतरेगी धरातल पर।देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड : बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री और इनसे लगे 51 मंदिरों के प्रबंधन की नई व्यवस्था।पलायन पर लगाम : गांवों से पलायन रोकने की दिशा में विभागवार तैयार की गई कार्ययोजनाएं नए साल में उतरेंगी जमीन पर।भ्रष्टचार पर जीरो टॉलरेंस : शासन- प्रशासन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के मद्देनजर नए साल में भी उठेंगे कदम।आबकारी एक्ट में संशोधन: जहरीली शराब से हरिद्वार और देहरादून में हुई मौतों के बाद इस पर अंकुश लगाने को कवायद।यह भी पढ़ें: प्रियंका गांधी से अभद्रता पर भड़के कांग्रेसी, यूपी सरकार को घेरा Dehradun News
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