मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म और गर्भपात का मामला, अधीक्षिका समेत नौ को सजा
दुष्कर्म और फिर गर्भपात कराने के मामले मेंं एडीजे षष्ठम की अदालत ने नारी निकेतन की तत्कालीन अधीक्षिका समेत नौ दोषियों की सजा का एलान कर दिया है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Tue, 03 Sep 2019 09:20 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। मूक-बधिर संवासिनी से दुष्कर्म और फिर गर्भपात कराने के सनसनीखेज और बेहद चर्चित रहे प्रकरण में अपर जिला और सत्र न्यायाधीश षष्ठम धर्म सिंह की अदालत ने सोमवार को दोषियों को सजा सुना दी। अदालत ने शुक्रवार को सभी नौ आरोपितों को दोषी करार दिया था। दोषियों को उनके जुर्म के अनुसार सात से दो साल तक की सजा सुनाई गई है।
वर्ष 2015 में सरकार तक को असहज कर देने वाले इस सनसनीखेज प्रकरण के आरोपितों को अदालत ने शुक्रवार को दोषी करार देते हुए सोमवार तक के लिए सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को अदालत में करीब एक बजे दोषियों की सजा पर बहस शुरू हुई। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संजीव सिसौदिया ने अदालत को बताया कि नारी निकेतन सरकारी संस्थान है। तत्कालीन अधीक्षिका समेत सभी दोषियों की जिम्मेदारी थी कि वह संवासिनी की सुरक्षा करें। मगर उसका शारीरिक शोषण किया गया।
अपराध को बेहद गंभीर बताते हुए उन्होंने दोषियों को अधिकतम सजा देने की पैरवी की। वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने महिला दोषियों की उम्र और पारिवारिक जिम्मेदारियों को देखते हुए कम से कम सजा दिए जाने की बात अदालत के समक्ष रखी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने भोजनावकाश तक के लिए सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
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भोजनावकाश के दोबारा कोर्ट बैठी, जिसमें दोषियों को सजा सुनाई गई। दुष्कर्म के दोषी सफाई कर्मी गुरुदास को सात साल, होमगार्ड ललित बिष्ट व केयरटेकर हासिम 5-5 साल, क्राफ्ट टीचर समां निगार, नर्स किरन नौटियाल व दो संविदा कर्मी अनीता मैंडोला व चंद्रकला को 4-4 साल, अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल और एक संविदा कर्मी कृष्णकांत को 2-2 साल की सजा सुनाई है। सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद मीनाक्षी पोखरियाल और कृष्णकांत के अधिवक्ताओं की ओर से जमानत अर्जी भी दे दी गई। सरकारी अधिवक्ता ने बताया दोनों की जमानत अदालत ने मंजूर कर ली है।
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