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छात्राओं से छेड़छाड़ प्रकरण: एनआइवीएच की निदेशक अनुराधा ने दिया इस्तीफा, छात्राओं ने दर्ज कराए बयान

एनआइवीएच पर एक-एक कर लग रहे यौन उत्पीड़न के दाग के बीच संस्थान की निदेशक अनुराधा डालमिया ने इस्तीफा दे दिया है। वहीं, बाल आयोग की अध्यक्ष ने छात्राओं के बयान दर्ज किए।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 21 Aug 2018 11:14 AM (IST)
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छात्राओं से छेड़छाड़ प्रकरण: एनआइवीएच की निदेशक अनुराधा ने दिया इस्तीफा, छात्राओं ने दर्ज कराए बयान
देहरादून, [जेएनएन]: राष्ट्रीय दृष्टि बाधितार्थ संस्थान (एनआइवीएच) पर एक-एक कर लग रहे यौन उत्पीड़न के दाग के बीच संस्थान की निदेशक अनुराधा डालमिया ने इस्तीफा दे दिया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को भेजे गए इस्तीफे में उन्होंने इन घटनाओं के लिए खुद को नैतिक रूप से जिम्मेदार बताया है।

सोमवार शाम को निदेशक अनुराधा डालमिया ने दैनिक जागरण से इस बात को साझा करते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न के प्रकरण को लेकर पांच दिन से संस्थान के छात्र-छात्रएं आंदोलन कर रहे हैं। इससे पढ़ाई का माहौल प्रभावित हो रहा है। यदि किसी अच्छे काम में निदेशक को श्रेय मिलता है तो बुरी घटनाओं की जिम्मेदारी भी उन्हें ही लेनी होगी। आखिर वह संस्थान की मुखिया हैं और यदि उनकी नाक के नीचे कुछ गलत हो रहा है तो वह खुद के दामन को साफ कैसे बता सकती हैं। 

साथ ही कहा कि इस संस्थान को उन्होंने 12 साल दिए हैं और अब हालात विकट हो चुके हैं। उनकी नैतिकता इस बात की गवाही नहीं देती कि वह अब भी निदेशक बनी रह सकें। अनुराधा के मुताबिक इस्तीफे का मतलब यह भी नहीं है कि वह जिम्मेदारी से भाग रही हैं। यदि किसी भी जांच का सामना उन्हें करना पड़ा तो इसके लिए भी वह तैयार हैं। उन्होंने मंत्रालय से यह भी आग्रह किया है कि इस्तीफा स्वीकार किए जाने या नोटिस की अवधि तक उन्हें कहीं और अटैच कर दिया जाए। यदि ऐसा नहीं हो पाया तो वह अवकाश पर चली जाएंगी।

एनआइवीएच निदेशक भी जांच की जद में: आयोग

एनआइवीएच में छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज होने के बाद बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने ऊषा नेगी ने अपनी टीम के साथ संस्थान का औचक निरीक्षण किया। करीब नौ घंटे चले निरीक्षण में आयोग अध्यक्ष ने संस्थान परिसर के चप्पे-चप्पे को खंगाला। इस दौरान छात्र-छात्राओं से अलग-अलग बातचीत कर बयान दर्ज किए गए। अध्यक्ष नेगी के अनुसार, प्रथम दृष्ट्या आरोपों में सच्चाई नजर आ रही है। साथ ही कहा कि अब निदेशक अनुराधा डालमिया की भूमिका भी जांच के दायरे में नजर आ रही है।

बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी सोमवार सुबह करीब 11 बजे एनआइवीएच पहुंचीं। आते ही उन्होंने कई छात्र और छात्राओं से अलग-अलग बातचीत कर बयान दर्ज करने शुरू कर दिए। इसके अलावा उन्होंने पोक्सो कोर्ट में बयान दर्ज कराने गई पीड़ि‍त छात्राओं का इंतजार किया। देर शाम जब वह संस्थान लौटीं तो उनके भी अलग से बयान लिए गए। वहीं, निदेशक अनुराधा डालमिया से भी कई सवाल पूछे। अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि संस्थान के गहन निरीक्षण के बाद निदेशक की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। ऐसे में उनकी भी जांच की जाएगी। यौन उत्पीड़न प्रकरण में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।

गर्ल्‍स हॉस्टल में तैनात मिले पुरुष

आयोग की अध्यक्ष ने गर्ल्‍स हॉस्टल का भी दौरा किया। उन्होंने पाया कि वहां पर कुछ पुरुष कर्मियों की भी ड्यूटी लगाई गई है। इस पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने गर्ल्‍स हॉस्टल में महिला कर्मियों को ही तैनात करने की हिदायत दी।

कैंटीन में चखा भोजन

आयोग अध्यक्ष व सदस्य सीमा डोरा ने संस्थान की कैंटीन में भोजन चखा और पाया कि इसकी गुणवता में सुधार की जरूरत है। टीम ने कैंटीन संचालक को भोजन व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए। इसके अलावा विभिन्न शिक्षण सामग्री, बिजली व्यवस्था व अभिभावकों को मिलने को लेकर पैदा की जा रही अड़चनों पर भी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए।

भावुक हो गईं निदेशक

निरीक्षण के दौरान कई दफा एनआइवीएच निदेशक भावुक नजर आईं। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह सभी छात्र-छात्राओं को अपने बच्चों की तरह समझती हैं। उनकी हर सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाता है। इस प्रकरण की उन्हें जानकारी नहीं थी। यदि आरोपित शिक्षक सुचित नारंग ने कुछ गलत किया है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

मजिस्ट्रेट के सामने चार छात्राओं ने दर्ज कराए बयान

राष्ट्रीय दुष्टि बाधितार्थ संस्थान (एनआइवीएच) में छात्राओं के साथ शिक्षक द्वारा छेड़छाड़ के मामले में पुलिस ने सोमवार को चार छात्राओं के न्यायिक दंडाधिकारी द्वितीय के सामने दर्ज कराए। सूत्रों के अनुसार, चारों ने बयानों में शिक्षक सुचित नारंग के खिलाफ पूर्व में लगाए गए छेड़छाड़ के आरोपों को दोहराया है। बच्चों के बयान के बाद अब पुलिस आरोपित शिक्षक की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है।

एनआइवीएच में छात्राओं से छेड़छाड़ का मामला सामने आने के बाद बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष कविता शर्मा की तहरीर पर राजपुर पुलिस ने आरोपित अध्यापक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मामले में पुलिस की ओर से अभी तक स्कूल के डायरेक्टर, प्रिसिंपल, वार्डन के अलावा 11 छात्राओं के बयान दर्ज कराए जा चुके हैं। विवेचक एसआइ विनीता चौहान ने बताया कि 164 के बयानों में भी चारों छात्राओं ने शिक्षक के खिलाफ अपने पूर्व के आरोपों को दोहराया है। बयान दर्ज कराने दो छात्राएं 18 वर्ष से कम, जबकि दो 18 वर्ष से ज्यादा उम्र की थीं। बताया कि मंगलवार को संस्थान के वाइस प्रिसिंपल व अन्य शिक्षकों के बयान दर्ज कराए जाएंगे। 

आंदोलनरत छात्रों ने कब्जे में ली मुख्य गेट की चाबी

एनआइवीएच में छात्र-छात्रओं के आंदोलन ने पांचवें दिन खासा मुखर रूप धारण कर लिया था। संस्थान में प्रवेश पर रोक से भी छात्र खासे आक्रोश में थे। उन्होंने दोपहर को मुख्य गेट पर तैनात गार्डों से चाबी छीन ली। गुस्साए छात्र-छात्रएं आरोपित शिक्षक के निलंबन को नाकाफी बताते हुए तत्काल प्रभाव से निदेशक को हटाने की मांग पर अड़े रहे। 

सोमवार को भी राजपुर रोड स्थित एनआइवीएच के मुख्य गेट के समीप छात्र-छात्रएं सुबह से शाम तक धरने पर बैठे रहे। छात्रों ने निदेशक के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए आरोप लगाया कि उनके ही संरक्षण में यहां छात्र-छात्रओं का यौन उत्पीड़न किया जा रहा है। कहा कि आरोपित शिक्षक को निलंबित करना समस्या का समाधान नहीं है। निदेशक का काम पूरे संस्थान की व्यवस्था को बेहतर बनाने का है, जबकि यहां निदेशक ही गलत कायरें के प्रति न सिर्फ उदासीन बनी हैं, बल्कि आरोपित शिक्षकों का बचाव किया जाता रहा है। 

इससे पहले भी जब एक अन्य शिक्षक पर यौन शोषण का मुकदमा दर्ज किया गया तो निदेशक, बाल आयोग और पुलिस की कार्रवाई के बाद हरकत में आईं। स्कूल में आए दिन कोई न कोई आपत्तिजनक गतिविधियां सामने आती रहती हैं और इससे पढ़ाई का माहौल खराब होता जा रहा है। ऐसे में निदेशक को हटाया जाना छात्रों व संस्थान दोनों के हित में है। हालांकि देर शाम निदेशक ने इस्तीफा दे दिया।

कांग्रेस ने मांगा रेखा आर्य का इस्तीफा

कांग्रेस ने एनआइवीएच में यौन शोषण मामले में महिला एवं बाल कल्याण राज्यमंत्री रेखा आर्य का इस्तीफा मांगा है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने एक बयान में कहा कि बीते मई माह में उक्त मामला सामने आने के बावजूद लीपापोती की जा रही है। यह सरकार और मंत्रलय की उदासीनता का नमूना है। भाजपा का बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा थोथा साबित हो रहा है।

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