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एनआइवीएच निदेशक को हटाया, राव को प्रभार; जांच रिपोर्ट लेकर अधिकारी रवाना

छात्राओं के यौन शोषण के आरोपों के मामले में एनआइवीएच की निदेशक को हटा द दिया गया है। उनके स्थान पर केवीएस राव को एनआइवीएच का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।

By BhanuEdited By: Updated: Fri, 24 Aug 2018 10:38 AM (IST)
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एनआइवीएच निदेशक को हटाया, राव को प्रभार; जांच रिपोर्ट लेकर अधिकारी रवाना
देहरादून, [जेएनएन]: छात्राओं के यौन शोषण के आरोपों और संस्थान के छात्रों के आंदोलन के बीच सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने राष्ट्रीय दृष्टिबाधितार्थ संस्थान (एनआइवीएच) की निदेशक अनुराधा डालमिया का तबादला कर दिया गया है। उन्हें इसी पद पर नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर दि इंपावरमेंट ऑफ परसंस विद इंटेलेक्चुअल डिसेब्लिटीज (एनआइईपीआइडी), सिंकदराबाद की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि जांच अधिकारी के रूप में दून पहुंचे डिपार्टमेंट ऑफ इंपावरमेंट ऑफ परसंस विद डिसेब्लिटीज (डीईपीडब्ल्यूडी), नई दिल्ली के निदेशक केवीएस राव को एनआइवीएच का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।

मंत्रालय की संयुक्त सचिव डॉली चक्रवर्ती की तरफ से जारी आदेश के बाद अनुराधा डालमिया ने चार्ज केवीएस राव को सौंप दिया। इस आदेश के बाद संस्थान के छात्र खुश तो हैं, मगर उनका कहना है कि यौन उत्पीड़न  व अव्यवस्थाओं की जांच जारी रहनी चाहिए। साथ ही उन्होंने निदेशक समेत मिलीभगत करने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच के बाद उचित कार्रवाई की भी मांग उठाई है। 

संस्थान के 11वीं की कक्षा के एक छात्र का कहना है कि इस आदेश का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि निदेशक को क्लीन चिट दे दी जाए। उधर, संस्थान के दो पूर्व छात्रों की मांग है कि निदेशक को निलंबित किया जाए। साथ ही उनके दोषी पाए जाने पर बर्खास्तगी की कार्रवाई की जानी चाहिए।

एनआइवीएच की जांच रिपोर्ट लेकर सिन्हा रवाना

केंद्रीय जांच दल में शामिल अली यावर जंग नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग डिसेब्लिटीज, मुंबई के निदेशक एके सिन्हा जांच रिपोर्ट लेकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के लिए रवाना हो गए हैं। रिपोर्ट पर मंत्रालय कोई बड़ी कार्रवाई कर सकता है।

राजपुर रोड स्थिति एनआइवीएच में पढऩे वाले छात्र-छात्राएं पिछले एक सप्ताह से शिक्षक द्वारा यौन उत्पीडऩ समेत 30 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। गुरुवार को भी छात्र-छात्राओं ने संस्थान में धरना-प्रदर्शन किया। 

इस दौरान केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से पहुंची दो सदस्यीय जांच टीम ने छात्र-छात्राओं, अभिभावकों, शिक्षक और स्टाफ के बयान दर्ज किए। जांच दल ने संस्थान से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, फोटोग्राफी और रिकार्डिंग भी कब्जे में ली हैं। 

जांच दल में शामिल केवीएस राव को यहां के निदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। जबकि दूसरे जांच अधिकारी सिन्हा पर रिपोर्ट को मंत्रालय को सौंपने और आगे की कार्रवाई कराने की जिम्मेदारी है। इस सिलसिले में गुरुवार को वह दिल्ली के लिए रवाना भी हो गए।

केंद्रीय मंत्री से छात्रों ने की बात 

एनआइवीएच के आंदोलित छात्र-छात्राओं ने गुरुवार दोपहर बाद केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत से दूरभाष पर बात की। करीब 15 मिनट तक छात्र-छात्राओं की केंद्रीय मंत्री से बात हुई। इस दौरान छात्रों ने केंद्रीय मंत्री को संस्थान की निदेशक से लेकर यौन शोषण के आरोपित शिक्षक सुचित नारंग के बारे में भी जानकारी दी। 

संस्थान की दूसरी व्यवस्थाओं की शिकायत भी छात्र-छात्राओं ने प्रमुखता से उठाई। 30 सूत्री मांग पत्र का हवाला देते हुए निस्तारण की मांग की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री गहलोत ने छात्र-छात्राओं को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। कहा कि जांच टीम की रिपोर्ट मिलने के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

संस्थान को राजनीति का अखाड़ा न बनाएं 

नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड के महासचिव एसके रोंगटा ने कहा कि एनआइवीएच देश का प्रतिष्ठित संस्थान है। इसमें पढ़ने वाले बच्चों को मंत्रालय बेहतर सुविधाएं देता है। ऐसे में संस्थान को लेकर जिस तरह की राजनीति की जा रही है, वह उचित नहीं है। उन्होंने संस्थान के नाम पर कुछ संगठनों के द्वारा की जा रही राजनीति को गलत बताया। 

एनआइवीएच की व्यवस्थाओं पर एआइसीबी ने उठाए सवाल

एनआइवीएच में दिल्ली से औचक निरीक्षण को पहुंचे ऑल इंडिया कंफेडरेशन ऑफ ब्लाइंड के प्रेसीडेंट रमेश सिंह ने भी संस्थान की व्यवस्थाओं को चिंताजनक बताया है। रमेश सिंह ने ब्वॉयज और ग‌र्ल्स हॉस्टल में बेड, पीने के पानी और मेस में खाने की गुणवत्ता और ई पर असंतोष जताते हुए इसमें व्यापक सुधार की जरूरत बताई। 

उन्होंने छात्रों की समस्याओं को लेकर स्पष्ट तौर पर प्रबंधन को जिम्मेदार माना है। एआइसीबी के प्रेसीडेंट रमेश सिंह के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम एनआइवीएच पहुंची और उन्होंने छात्रों की समस्याओं की वास्तविक स्थिति जांची। उन्होंने मेस में खुले में खाना पकाने वाले स्थान पर सफाई को पर्याप्त नहीं माना। 

साथ ही ब्वॉयज हॉस्टल में भी बेडों और कमरों में सफाई की कमी पाई। इसके बाद उन्होंने वार्डन के साथ करीब 15 मिनट तक बैठक की और व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दिए। निरीक्षण के बाद रमेश सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि दृष्टिबाधितार्थ संस्थान में इस तरह की अव्यवस्थाएं वास्तव में चिंता का विषय हैं। कहा कि संस्थान के लिए मंत्रालय से पर्याप्त बजट जारी किया जाता है, इसके बावजूद छात्रों को सुविधाएं मुहैया नहीं कराना गंभीर है। 

उन्होंने बताया कि वह निरीक्षण के दौरान मिले तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेंगे और जल्द केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को सौंपेंगे। वाटर कूलर शिफ्ट करते पकड़ा एआइसीबी के प्रेसीडेंट रमेश सिंह के निरीक्षण की भनक लगते ही ब्वॉयज हॉस्टल में शौचालय के बाहर लगा वाटर कूलर शिफ्ट किया जाने लगा। जैसे ही टीम हॉस्टल में पहुंची तो सदस्यों ने वाटर कूलर शिफ्ट करते हुए कर्मियों को पकड़ लिया।

तब टीम के सदस्यों को छात्रों ने बताया कि वाटर कूलर शौचालय के बाहर उक्त स्थान पर लगाया गया था। ऑयली फूड से स्वास्थ्य खराब छात्रों ने बताया कि मेस में सुबह के ब्रेकफास्ट में ऑयली फूड दिया जाता है। उसमें तेल अधिक मात्रा में रहता है, जिससे छात्रों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

एनआइवीएच में पांच साल हो निदेशक का कार्यकाल

राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने नौ सूत्री प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। इसमें एनआइवीएच के निदेशक का कार्यकाल पांच साल करने और वर्तमान निदेशक के कार्यकाल का सोशल ऑडिट कराने की मांग की गई है। 

एनआइवीएच में यौन उत्पीडऩ की घटना प्रकाश में आने के बाद से राज्य मंत्री रेखा आर्य लगातार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के संपर्क में हैं। संस्थान का दौरा करने के बाद मंत्री ने मामले को गंभीरता से लिया है। ऐसे में गुरुवार को मंत्री रेखा आर्य ने केंद्र सरकार को संस्थान से जुड़ी समस्याओं के निराकरण को प्रस्ताव भेजा है। 

इसमें आंतरिक सुरक्षा को कमेटी गठन करने, शिकायत निस्तारण सेल, सोशल ऑडिट, एक्ट के अनुरूप व्यवस्थाएं संचालित करने, अनुशासन एवं सुविधाओं में सुधार समेत अन्य मांगें शामिल हैं। 

निदेशक से हुआ सामना तो फूट पड़ा छात्रों का गुस्सा

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने छात्रों की समस्याओं को लेकर निदेशक अनुराधा डालमिया और स्टाफ के साथ बैठक की। थोड़ी ही देर बाद बैठक में छात्र-छात्राओं को भी बुलाया गया। यह पहला मौका था जब छात्र और निदेशक आमने-सामने आए। निदेशक की उपस्थिति में छात्रों ने खुलकर संस्थान की खामियां गिनाईं। 

साथ ही उनके लिए प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया। छात्रों ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि प्रबंधन को उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी नहीं थी। गुरुवार सुबह साढ़े दस बजे एनआइवीएच पहुंचीं आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने सबसे पहले धरने पर बैठे छात्रों से बातचीत की।

इसके बाद उन्होंने मेस में खाने की गुणवत्ता जांची। उन्होंने मेस में खाने की गुणवत्ता संतोषजनक पाई। इसके बाद निदेशक अनुराधा डालमिया और स्टाफ के साथ हुई बैठक में उन्होंने छात्रों की 30 सूत्री मांगों पर चर्चा की और समस्याओं के जल्द से जल्द निस्तारण के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि समस्याएं इतनी भी जटिल नहीं हैं, जितनी बना दी गई हैं।

निदेशक ने छात्रों की समस्याओं का अगले कुछ ही दिनों के भीतर समाधान का आश्वासन दिया। जल्द समन्वय समिति का गठन आयोग की अध्यक्ष के निर्देश पर निदेशक डालमिया ने बताया कि समन्वय समिति के गठन के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। 

समिति में प्रत्येक कक्षा से एक छात्र या छात्रा को बतौर सदस्य लिया जाएगा। उनके अलावा शिक्षक और अभिभावक भी सदस्य होंगे। छात्र-छात्राएं समिति के सदस्यों को अपनी समस्याओं से अवगत करा सकेंगे। समिति के सदस्यों की निदेशक से प्रत्येक सप्ताह व माह में बैठक की जाएगी। 

ऊषा नेगी ने झेला छात्रों का गुस्सा 

बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी जैसे ही छात्रों से बातचीत को पहुंचीं, उन्हें छात्रों के गुस्से का सामना करना पड़ा। छात्रों ने आयोग की जांच पर भी आपत्ति जताई। कहा कि पीड़ित छात्राओं को उनके बयान को लेकर कसम दिलाना उचित नहीं है। इस दौरान ऊषा नेगी भी असहज नजर आई। 

हालांकि करीब आधे घंटे तक चले विवाद के बाद छात्र शांत हो गए। इसके बाद ऊषा नेगी ने मेस में जाकर छात्रों के साथ खाना भी खाया। छात्रों को शिकायत का हक भी नहीं छात्रों ने कहा कि अभी तक उन्हें शिकायत के लिए कोई मंच उपलब्ध नहीं कराया गया है। वह न तो सीधे प्रबंधन से संपर्क कर सकते हैं और न ही उनके लिए कोई व्यवस्था बनाई गई है। पूरे संस्थान में समस्याओं के लिए एक भी शिकायत पेटिका तक नहीं है।

पूरे प्रकरण पर स्टाफ बना है मूकदर्शक 

देखने वाली बात यह भी है कि इतने संवेदनशील प्रकरण पर शिक्षक और अन्य स्टाफ मूकदर्शक की भूमिका में हैं। बैठक में भी पूछे जाने पर शिक्षक उक्त प्रकरण पर कुछ भी कहने से बचते नजर आए। कहा जा रहा है कि कर्मियों को डर है कि कहीं प्रबंधन के खिलाफ कुछ बोलने से उनकी नौकरी खतरे में न पड़ जाए। मीडियाकर्मियों से भी शिक्षक व अन्य स्टाफ लगातार दूरी बनाए हुए हैं।

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