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उत्तराखंड के करीब इतने गांवों को आज भी सड़क का है इंतजार, जानिए

सरकार ने उत्तराखंड के सभी गांवों को सड़क से जोड़ने का लक्ष्य तय किया ताकि गांवों में विकास की गति रफ्तार पकड़े। इससे खाली हो चुके गांवों को घोस्ट विलेज के रूप में विकसित कर पर्यटन को गति मिलेगी और ग्रामीणों को रिवर्स पलायन के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Fri, 26 Mar 2021 01:35 PM (IST)
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उत्तराखंड के करीब इतने गांवों को आज भी सड़क का है इंतजार, जानिए।

विकास गुसाईं, देहरादून। सरकार ने उत्तराखंड के सभी गांवों को सड़क से जोड़ने का लक्ष्य तय किया, ताकि गांवों में विकास की गति रफ्तार पकड़े। इससे खाली हो चुके गांवों को घोस्ट विलेज के रूप में विकसित कर पर्यटन को गति मिलेगी और ग्रामीणों को रिवर्स पलायन के लिए प्रोत्साहित भी किया जा सकेगा। इस कड़ी में बाकायदा एक विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई। इसमें गांवों को दो श्रेणी में रखा गया। पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने वाले गांवों को अलग चिह्नित किया गया और शेष गांवों को अलग। बावजूद इसके आज भी स्थिति यह है उत्तराखंड के कुल 15745 राजस्व गांवों में से 2551 राजस्व गांव अब भी सड़क से अछूते हैं। इनमें से 1813 गांवों के लिए सड़क स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन अभी कार्य शुरू होने का इंतजार है। विडंबना यह कि 738 गांवों तक सड़क पहुंचाने के लिए अब भी विभिन्न स्तरों पर कार्रवाई ही चल रही है।

विभागों के भ्रष्ट नाकारा कर्मचारी 

पूर्ववर्ती सरकार ने भ्रष्ट व नाकारा कार्मिकों को बाहर का रास्ता दिखाने का निर्णय लिया। विभागाध्यक्षों को जिम्मेदारी दी गई कि 50 वर्ष से अधिक आयु के ऐेसे कार्मिकों की सूची तैयार कर शासन को सौंपी जाए। मकसद यह कि जिन पर गंभीर आरोप हों और इतिहास भी ठीक न हो, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सके। कर्मचारियों की श्रेणी के हिसाब से विभाग व शासन स्तर पर समितियां बनाने को कहा गया। सरकार का आदेश मिलते ही विभागों में सूचियां बनाने का काम शुरू हुआ, लेकिन फिर इससे आगे कदम नहीं बढ़ पाए। जब काफी समय तक विभागों से इसकी सूचना नहीं मिली तो कार्मिक विभाग ने फिर सभी विभागों को रिमाइंडर भेजा। इसका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है। अब क्योंकि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन हो चुका है, ऐसे में नजरें इस बात पर टिकी हैं कि नई सरकार इस मामले में कैसे कदम आगे बढ़ाती है।

चारधाम का प्राचीनतम यात्रा मार्ग

उत्तराखंड के चार धाम देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहे हैं। माना जाता है कि कि चारधाम की यात्रा सदियों से चली आ रही है। विभाग का यह मानना है कि संभवत: चारधाम देश का सबसे प्राचीनतम यात्रा मार्ग हो सकता है। इसे साबित करने के लिए विभाग ने आम नागरिकों से सहयोग लेने का भी निर्णय लिया। कहा गया कि व्यापक प्रचार-प्रसार कर सभी से इससे संबंधित दस्तावेज, फोटोग्राफ अथवा पांडुलिपि मांगे जाएंगे, जिनमें यात्रा मार्ग का जिक्र हो ताकि इसे प्राचीनतम मार्ग साबित करने में मदद मिल सके। योजना बनाई गई कि ऐसे दस्तावेज देने वालों को विभाग पुरस्कृत भी करेगा। उम्मीद जताई गई कि आमजन की अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी। विभाग ने विज्ञापन व सूचनाओं के जरिये सभी से दस्तावेज मांगे, मगर इसमें आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिली। न तो विभाग को किसी ने कोई दस्तावेज उपलब्ध कराए और न ही संपर्क किया गया।

जनगणना में अटके राजस्व ग्राम 

प्रदेश की प्रशासनिक इकाइयों के ढांचे को दुरुस्त करने के लिए नए राजस्व ग्राम बनाने की योजना तैयार की गई। उम्मीद जताई गई कि नए राजस्व ग्राम बनने से इन्हें केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न विकास योजनाओं का लाभ मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्र में विकास होगा और स्थानीय निवासी भी आर्थिक रूप से मजबूत होंगे। इस योजना को 2015 में लागू भी किया गया। सरकारी मशीनरी की सुस्त चाल के कारण बीते छह सालों में कुल 39 राजस्व ग्राम ही बने। 2018 में 24 नए राजस्व ग्राम बनाने का निर्णय हुआ। इसके लिए प्रदेश सरकार ने जिलों व तहसीलों में समितियों का गठन किया। समितियों को कहा गया कि सभी क्षेत्रों से प्रस्ताव मांगे जाएं। इस बीच केंद्र ने एक पत्र भेजकर साफ किया कि अब 2021 की जनगणना के बाद ही नए ग्रामों का गठन किया जाएगा। इससे पूरी कवायद ही ठंडे बस्ते में चली गई।

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