अब नीट से ही भरी जाएंगी मेडिकल की सभी सीटें, पढ़िए पूरी खबर
एम्स और जिपमर में दाखिले अब राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से होंगे। यह व्यवस्था अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू हो जाएगी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 07 Oct 2019 02:46 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। एम्स और जिपमर में दाखिले अब राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से होंगे। यह व्यवस्था अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू हो जाएगी। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम के लागू होने के बाद मेडिकल कोर्स में दाखिले को देशभर में एक ही परीक्षा होगी।
नीट के माध्यम से देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिलता है। न केवल एमबीबीएस व बीडीएस बल्कि वेटनरी व आयुष कॉलेजों में भी नीट के रैंक पर ही प्रवेश दिया जाता है। यही नहीं एएफएमसी भी नीट को ही आधार बनाती है। पर एम्स व जिमपर अभी तक दाखिले के लिए अलग प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं। एम्स में एमबीबीएस की 1207 सीट हैं। जबकि जिपमर में 200 सीट हैं। इनमें जिपमर पुदुचेरी में 150 व कराईकल में 50 सीटें हैं। इन संस्थान की न केवल परीक्षा अलग आयोजित की जाती थी बल्कि परीक्षा का पैटर्न भी भिन्न था। मसलन एम्स प्रवेश परीक्षा में सामान्य ज्ञान और एप्टीट्यूट व लॉजिकल रीजनिंग का भी 20 नंबर का सेक्शन होता है। जबकि जिपमर में इंग्लशि लैंग्वेज एंड कंप्रीहेंशन और लॉजिकल एंड क्वांटिटेटिव रीजनिंग के भी प्रश्न आते हैं।
नीट के अलावा छात्रों के पास इन परीक्षा का भी विकल्प भी रहता था। पर अब एक ही परीक्षा आयोजित की जाएगी। देशभर में एमबीबीएस की साझा काउंसलिंग के लिए नीट लागू होगा। कहा जा रहा है कि इससे देश के चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में सामान्य मानक स्थापित करने में मदद मिलेगी। अविरल क्लासेज के निदेशक डीके मिश्रा का कहना है कि बड़े परिपेक्ष्य में देखा जाए तो यह अच्छा निर्णय है।
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क्योंकि तीनों के परिणाम का यदि आकलन किया जाए तो रैंकर्स वही मिलेंगे। इतना जरूर है कि बच्चों के लिए विकल्प कम हो गए हैं। कभी ऐसा भी होता है कि किसी छात्र ने एक परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया तो वह दूसरी परीक्षा में बेहतर कर सकता है। पर यह स्थिति भी बहुत कम मामलों में होती है।
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