32 साल बाद डीएवी कॉलेज से बैनर-पोस्टर को बाय-बाय, पढ़िए पूरी खबर
इसबार डीएवी पीजी कॉलेज पोस्टर-बैनर फ्री होगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्रसंघ चुनाव में नई पहल करने जा रहा है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Fri, 19 Jul 2019 04:09 PM (IST)
देहरादून, अशोक केडियाल। छात्र राजनीति के नाम पर डीएवी पीजी कॉलेज परिसर अब बदरंग नहीं होगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्रसंघ चुनाव में नई पहल करने जा रहा है। इस बार अभाविप केवल हाथ से बने पोस्टरों का ही इस्तेमाल करेगी। जिसके लिए संगठन से जुड़ी 12 छात्राओं को पोस्टर तैयार करने का जिम्मा दिया गया है। अभाविप से जुड़े छात्र-छात्राओं ने इसकी बकायदा शपथ भी ली है। अब देखना यह होगा कि अभाविप की इस पहल को अन्य छात्र संगठन किस रूप में लेते हैं।
देश में छात्र संघ चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता के लिए लिंगदोह कमेटी का गठन किया गया था। जिसमें कॉलेज परिसर में बैनर-पोस्टर पूरी तरह प्रतिबंधित किए गए थे। केवल हाथ से बने पोस्टर, चेस्ट कार्ड और पर्चों के जरिये चुनाव प्रचार की अनुमति दी गई थी। मगर डीएवी कॉलेज में हर बार छात्र संघ चुनावों में लिंगदोह कमेटी की संस्तुतियों की धज्जियां उड़ती हैं। कैंपस बैनर-पोस्टर और हैंडकार्ड से अटा रहता है। बैनर पोस्टर लगाने की स्पर्धा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) के साथ-साथ आर्यन एवं सत्यम-शिवम छात्र संगठन भी पीछे नहीं रहते हैं।
गरीब छात्रों की करेंगे मदद
एबीवीपी बैनर-पोस्टर खर्च पर होने वाले खर्च को बचाकर इससे गरीब छात्रों की मदद करेगी। डीएवी के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष राहुल कुमार लारा व आशीष रावत ने बताया कि प्रतिवर्ष लाखों रुपये छात्र संघ चुनाव के प्रचार में खर्च होते हैं, ये बड़ी फिजूलखर्ची है। हमने फैसला लिया है कि इस पैसे को पहले बचाएंगे और बाद में इससे उन छात्रों की मदद करेंगे, जो पढ़ाई का खर्च वहन करने में सक्षम नहीं हैं।
कैंपस की स्वच्छता छात्रों की जिम्मेदारी
डीएवी पीजी कॉलेज मे पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं ने स्वीकारा कि किसी भी स्कूल और कॉलेज परिसर को 'स्वच्छ' रखने की जिम्मेदारी वहां अध्यनरत विद्यार्थियों की होती है। यदि सभी छात्र स्वत: ही स्वच्छता की जिम्मेदारी उठाने को आगे आएं तो कैंपस को स्वच्छ रखा जा सकता है। बीएससी प्रथम वर्ष की छात्र स्वाति शर्मा कहती हैं कि चाहे जो भी छात्र संगठन हो, वह अगर इस तरह की पहल करता है तो उसका स्वागत होना चाहिए। देशभर में स्वच्छता की पहल स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है, इसलिए कॉलेज के छात्रों को इसमें सक्रिय भागेदारी निभानी चाहिए। बीकॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा रेखा चमोली का मानना है कि पहली बार डीएवी कॉलेज के अंदर प्रवेश करते ही बैनर पोस्टर देखकर मन में कॉलेज की अच्छी छवि नहीं बनती है। अब यदि कोई संगठन ऐसी पहल कर रहा है तो यह सार्थक प्रयास है। बीए प्रथम वर्ष की छात्रा शिवांगी ने कहा कि बैनर-पोस्टर चस्पा करने से कॉलेज के सभी दीवारें बदरंग हो चुकी हैं, जिसे संवारने की जिम्मेदारी भी छात्रों को ही लेनी होगी।
'दैनिक जागरण' ने खतरे से किया आगाह 15 जुलाई के अंक में दैनिक जागरण ने 'नेताओं को छात्र की जान से बढ़कर वोट' शीर्षक से लाइव फोटो के जरिये खतरे से आगाह किया था। बताया था कि किस तरह कॉलेज के मुख्य परिसर में छात्र नेताओं ने बड़े-बड़े पत्थरों के सहारे अपने बैनर लटका रखे हैैं। इन बैनरों के ठीक नीचे छात्र-छात्राएं अक्सर बैठते हैं। यदि कभी ऊपर से पत्थर गिरा तो नीचे छात्र-छात्राएं गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं।
डीएवी के पूर्व अध्यक्ष राहुल कुमार लारा ने कहा कि अभाविप ने छात्र संघ चुनाव में पोस्टर-बैनर एवं पर्चे त्यागकर हाथ से तैयार सामग्री प्रयोग करने का निर्णय लिया है। ताकि कॉलेज परिसर बदरंग न हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत अभियान पहल का ही एक एक हिस्सा है। जिसे अभाविप ने आत्मसात करने का निर्णय लिया है। कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि वर्तमान सत्र से अभाविप ने बैनर और पोस्टर त्यागने का निर्णय लिया है, ताकि कॉलेज बदरंग होने से बचे। अभाविप की तरह अन्य छात्र संगठनों को इस मुहिम का समर्थन करना चाहिए। यह अभियान किसी छात्र संगठन या राजनीतिक पार्टी का नहीं है। यह अभियान कॉलेज हिम में है।
एनएसयूआइ के जालाध्यक्ष सौरभ ममगाईं का कहना है कि डीएवी कैंपस की स्वच्छता की पहल का एनएसयूआइ स्वागत करती है। लिंगदोह कमेटी के नियमों का पालन संगठन राष्ट्रीय स्तर पर करता है। अभाविप इस ओर पहल करे तो हम भी इसमें साथ देंगे। अभी छात्र संघ चुनाव दूर है, पर कैंपस अभी से बैनर-पोस्टर से अटा पड़ा है। सत्यम शिवम छात्र संगठन के अध्यक्ष जावेद खान कहते हैं कि डीएवी कॉलेज की सुंदरता और स्वच्छता को लेकर सत्यम-शिवम सदैव तत्पर रहता है। यदि अभाविप ने यह पहल की है तो यह निर्णय स्वागत योग्य है। सत्यम शिवम छात्र संगठन पहले ही हाथ से बने पोस्टर का अधिक प्रयोग करता है। इस पहल से बैनरों पोस्टरों की प्रतिस्पर्धा थमेगी।
डीएवी के प्राचार्य डॉ. अजय सक्सेना का कहना है कि यह एक सार्थक पहल है। इसमें किसी एक संगठन के बजाय सभी छात्रों को सामूहिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए। प्रधानमंत्री के संपूर्ण स्वच्छता अभियान को इससे गति भी मिलेगी और प्रदेश के अन्य कॉलेज के सामने डीएवी एक मिसाल कायम कर सकता है। यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के आधे कॉलेज इंटीग्रेटेड बीएड के लायक नहीं, जानिए वजह
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