बल्लीवाला फ्लाईओवर के डिजाइन में होगा बदलाव, जानिए इसके पीछे की वजह
निरीक्षण के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से फ्लाईओवर की लंबाई बढ़ाने (कमला पैलेस की ओर) के विकल्प पर भी चर्चा की गई।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Tue, 23 Apr 2019 02:51 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। खूनी साबित हो रहे बल्लीवाला फ्लाईओवर पर महज ढाई साल के भीतर 13 मौत हुई हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस फ्लाईओवर का निरीक्षण किया। उन्होंने फ्लाईओवर को तकनीकी रूप से सुरक्षित बनाने वाले सभी विकल्प तलब किए। निरीक्षण के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से फ्लाईओवर की लंबाई बढ़ाने (कमला पैलेस की ओर) के विकल्प पर भी चर्चा की गई, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने इसका डिजाइन तैयार करने के निर्देश दिए। फ्लाईओवर का नया डिजाइन तैयार होने और अन्य विकल्पों पर विचार करने तक उन्होंने जल्द सुरक्षा के फौरी उपाय अमल में लाने को कहा है।
दरअसल, बीते बुधवार को सुबह तीन बजे के आसपास एक बाइक सवार युवक की फ्लाईओवर पर दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसको लेकर जागरण ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित कर बताया था कि अधिकारियों की लापरवाही से संकरा फ्लाईओवर जनता पर थोपा गया और जब यहां पर एक और डबल लेन फ्लाईओवर बनाने की रिपोर्ट तैयार की गई तो सरकार उसके लिए बजट जुटाने में असहाय महसूस कर रही है।
खबर का संज्ञान लेकर ही मुख्यमंत्री ने इसके निरीक्षण का निर्णय लिया। इसी क्रम में सोमवार को दोपहर करीब एक बजकर 15 मिनट पर मुख्यमंत्री का काफिला बल्लीवाला फ्लाईओवर पर पहुंचा। बल्लूपुर से आते हुए मुख्यमंत्री एप्रोच रोड पर उतरे और पैदल चलकर फ्लाईओवर का बारीकी से निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने मोड़ वाले हिस्से के दोनों छोर को देखा और महसूस किया कि संकरा होने के चलते ही यह स्थल सुरक्षा के लिहाज से अतिसंवेदनशील है।
उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि फ्लाईओवर के बगल में एक और डबल लेन फ्लाईओवर बनाने में क्या अड़चन है और अगर दुर्घटना वाले स्थल से आगे फ्लाईओवर के ढाल को कम कर इसे और लंबा किया जाए तो, उसके लिए क्या करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा के फौरी उपाय करने के साथ ही फ्लाईओवर की लंबाई बढ़ाने के लिए नया डिजाइन जरूर तैयार कर दिया जाए। करीब आधे घंटे के निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने लगातार हो रही दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए यह भी कहा कि हर हाल में फ्लाईओवर को सुरक्षित बनाया जाएगा। फिर चाहे इसके लिए कोई भी उपाय क्यों न करने पड़ें।
निरीक्षण के दौरान महापौर सुनील उनियाल गामा, कैंट क्षेत्र के विधायक हरबंस कपूर, राष्ट्रीय राजमार्ग के मुख्य अभियंता स्तर-प्रथम हरिओम शर्मा, अधिशासी अभियंता ओपी सिंह, सहायक अभियंता नीरज अग्रवाल, भाजपा महानगर अध्यक्ष विनय गोयल, महामंत्री राजेंद्र ढिल्लो, भाजयुमो महामंत्री राजेश रावत, दिनेश रावत, पार्षद अमिता सिंह आदि शामिल रहे। लंबाई बढ़ाने पर विचार किया तो 200 मीटर और आगे जाएगा फ्लाईओवर
मुख्य अभियंता हरिओम शर्मा के मुताबिक फ्लाईओवर के डिजाइन में जो बदलाव किया जाएगा, उससे इसकी लंबाई करीब 200 मीटर तक बढ़ जाएगी। इसके लिए कमला पैलेस की तरफ वाले भाग पर नए पिलर खड़े कर ढाल को कम किया जाएगा, ताकि जीएमएस रोड के कम संकरे वाले भाग वाला हिस्सा भी इसमें कवर हो जाएगा। यह बात और है कि इससे फ्लाईओवर का मोड़ ज्यों का त्यों रहेगा, मगर ढाल कम हो जाने से दुर्घटना का खतरा कम हो जाएगा।
अफसरों ने अलापा जमीन अधिग्रहण का राग, सीएम हुए नाराज निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जब एक और फ्लाईओवर निर्माण की बात कही तो अधिकारियों ने पारंपरिक जवाब दिया कि जमीन अधिग्रहण में काफी दिक्कतें हैं। करीब 90 करोड़ रुपये अधिग्रहण और यूटिलिटी शिफ्टिंग में ही खर्च हो रहे हैं और इसके बाद करीब 20 करोड़ रुपये की लागत निर्माण में आएगी। इस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि इस तरह के कार्यों में अड़चनें तो आती ही हैं। पहले ही अड़चन न आने की 100 फीसद गारंटी कौन देता है। मुख्यमंत्री के रुख को देखते हुए अधिकारियों ने बताया कि यहां पर डबल लेन फ्लाईओवर बनाने की फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है, जिसे वह जल्द उनके सम्मुख भी रखेंगे।
बता दें कि तकनीकी रूप से असुरक्षित बने डबल लेन फ्लाईओवर की स्वीकृति पहले फोरलेन में मिली थी और अधिकारियों ने अपनी मेहनत बचाने के लिए डबल लेन में इसका निर्माण कर दिया। इस इस मामले में भाजपा नेता रवींद्र जुगरान में हाईकोर्ट में याचिका दायर की तो वहां भी अधिकारियों ने झूठ बोलकर अपनी खाल बचाने का काम किया। अधिकारियों ने कोर्ट को बताया था कि 125 भवन इसकी जद में आ रहे थे और ऐसा करना संभव नहीं था। सच्चाई जबकि यह थी कि अधिग्रहण को लेकर अधिकारियों और स्थानीय कारोबारियों व अन्य लोगों के बीच कई दौर की वार्ता हुई। हर बार यह बात सामने आई कि फ्लाईओवर फोर लेन ही बनना चाहिए।
विधायक और पार्षद ने खोली अधिकारियों की पोल निरीक्षण के दौरान कैंट क्षेत्र के विधायक हरबंस कपूर ने अधिकारियों की पोल खोलते हुए कहा कि वह शुरू से ही फ्लाईओवर का फोरलेन में निर्माण करने की बात कह रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि अब यहां पर एक और डबल लेन फ्लाईओवर का निर्माण किए बिना दुर्घटनाओं पर अंकुश लगा पाना संभव नहीं। वहीं, क्षेत्रीय पार्षद अमिता सिंह ने कहा कि फ्लाईओवर के निर्माण की अनियमितताओं को लेकर क्षेत्र के लोग 18 दिन धरने पर भी बैठे थे। उन्होंने मांग उठाई थी कि फ्लाईओवर का निर्माण फोरलेन में कर उन्हें जल्द जमीन अधिग्रहण का मुआवजा दिया जाए। होगा एक और प्रयोग, फ्लाईओवर पर बनेंगे रंबल स्ट्रिप्स राष्ट्रीय राजमार्ग के मुख्य अभियंता स्तर-प्रथम हरिओम शर्मा ने बताया कि फ्लाईओवर पर वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए रंबल स्ट्रिप्स वाले स्पीड ब्रेकर्स बनाए जाएंगे। इन्हें बल्लूपुर से बल्लीवाला की तरफ आते हुए बायीं तरफ वाली लेन पर बनाया जाएगा। मुख्य अभियंता ने बताया कि स्पीड ब्रेकर फ्लाईओवर पर हर 50-60 मीटर की दूरी पर बनाए जाएंगे। एक स्पीड ब्रेकर्स पर दस रंबल स्ट्रिप्स होंगी। इस तरह पूरे फ्लाईओवर पर करीब दस ब्रेकर्स बनाए जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि रंबल स्ट्रिप्स वाले स्पीड ब्रेकर्स बनाने के बाद वाहनों की गति नियंत्रित रहेगी। हालांकि, फ्लाईओवर पर यह पहला प्रयोग नहीं है। इससे पहले राजमार्ग के अधिकारियों ने दिसंबर 2017 में सेफ्टी ऑडिट भी कराया था। इसकी कुछ संस्तुतियों के आधार पर फ्लाईओवर को फाइबर डिवाइडर लगाकर दो भागों में भी बांटा गया। जिससे कोई भी वाहन एक दूसरे को ओवरटेक करने की जगह आगे-पीछे चलते रहें। यह व्यवस्था तो अमल में लाई गई, मगर तब जो अन्य खामियां उजागर की गई थीं, उन्में अमल नहीं किया गया। सेफ्टी ऑडिट में भी फ्लाईओवर की कम चौड़ाई और इसके मोड़ पर सवाल खड़े किए गए थे। फिर भी फोर लेन के विकल्प को दरकिनार कर दो लेन फ्लाईओवर को ही दो हिस्सों में बांटने के निर्णय को अमलीजामा पहनाया गया। सच्चाई यह है कि पिछले प्रयोगों के बाद भी दुर्घटनाएं होती रहीं और अब फिर से नया प्रयोग करने की तैयारी शुरू की जा चुकी है। सीएम के आने से 15 मिनट पहले हादसा टला फ्लाईओवर से लेकर दोनों तरफ की एप्रोच रोड को स्प्रिंग पोस्ट के डिवाइडर से दो हिस्सों में बांटा गया है। हालांकि, जगह-जगह से ये डिवाइडर उखड़ गए हैं, जिसके चलते दुपहिया चालक कहीं से भी आर-पार हो जाते हैं। इससे हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। ऐसी ही स्थिति मुख्यमंत्री के आने से करीब 15 मिनट पहले भी पैदा हुई। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की तरफ वाली एप्रोच रोड की तरफ टूटे स्प्रिंग पोस्ट से एक व्यक्ति ने दुपहिया निकालने का प्रयास किया ही था कि पीछे से आ रहे एक तेज रफ्तार दुपहिया वाहन उससे टकराने से बाल-बाल बचा। इस स्थिति को वहां तैनात तमाम पुलिस कर्मियों ने भी देखा और सभी ने स्वीकार किया कि हादसे रोकने के लिए यहां पर एक और डबल लेन फ्लाईओवर की सख्त जरूरत है। क्योंकि सुरक्षा के लिए यहां पर अस्थाई रूप से इस तरह के जो भी इंतजाम किए जाएंगे, उनसे कोई हल निकलने वाला नहीं। इस तरह के स्प्रिंग पोस्ट जब-तब उखड़ते रहते हैं, जो महीनों तक भी सड़क पर से नहीं हटाए जाते। कई दफा नीचे गिरे ऐसे पोस्ट से भी हादसा होने की आशंका बनी रहती है। सोमवार को भी कई जगह स्प्रिंग पोस्ट गिरे पड़े थे, जिन्हें मुख्यमंत्री के दौरे से ऐन वक्त पहले हटाया गया। स्थानीय लोगों से राय मशविरा करें अधिकारी स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकारियों को स्थानीय लोगों को विश्वास में लेकर काम करना चाहिए। पहले भी जब चार लेन की जगह दो लेन का फ्लाईओवर बनाया गया, तब भी लोगों को विश्वास में नहीं लिया गया। स्थानीय निवासी और राजमार्ग नियमों के विशेषज्ञ अजय गोयल का कहना है कि यदि यहां पर डबल लेन फ्लाईओवर बनाया जाता है तो पहले लोगों से बात कर आम राय कायम की जानी जरूरी है। अन्यथा इस तरह की परियोजनाएं सिर्फ बजट खपाने तक सीमित रहेंगी। फिजिबिलिटी रिपोर्ट में बनाया गया एक और डबल लेन फ्लाईओवर का खाका -जमीन अधिग्रहण पर करीब 90 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और लगभग 7000 वर्गमीटर जमीन का अधिग्रहण करना होगा। इसमें यूटिलिटी शिफ्टिंग का खर्च भी शामिल है। -दूसरी तरफ फ्लाईओवर के निर्माण में महज 20 करोड़ रुपये का ही खर्च आंका गया है। फ्लाईओवर बना तो यह होगा स्वरूप -लंबाई, करीब 800 मीटर -एप्रोच रोड, दोनों तरफ करीब 100-100 मीटर -चौड़ाई, 8.50 मीटर (डबल लेन) खतरा बने फ्लाईओवर पर इस तरह किए गए नियम दरकिनार -मार्च 2013 में अन्य फ्लाईओवर के साथ बल्लीवाला फ्लाईओवर का भी शिलान्यास किया गया। -इसके करीब डेढ़ साल बाद मई 2014 में निर्माण की एनओसी केंद्र से ली गई, जबकि निर्माण से पहले राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत एनओसी लेनी जरूरी थी। -फिर एनओसी के विपरीत फोर लेन की जगह दो लेन में निर्माण किया गया। -जब भी मानकों के विपरीत काम करने की बात आई तो नोडल एजेंसी लोनिवि व निर्माण कंपनी ईपीआइएल के अधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी टालते रहे। यह भी पढ़ें: 76 किलोमीटर लंबे हाईवे पर होगी श्रद्धालुओं की परीक्षा, पढ़िए पूरी खबरयह भी पढ़ें: यहां छह साल से लटका है सड़क चौड़ीकरण, नौ करोड़ बढ़ गई लागत
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