अब उत्तराखंड में सरकारी जमीन पर नहीं कर पाएंगे अतिक्रमण, तैयार किया जाएगा डिजिटल लैंड बैंक
Uttarakhand News प्रदेश में सरकारी भूमि परिसंपत्तियों पर अतिक्रमण हटाने को लेकर सरकार का रुख अत्यंत गंभीर है। वन विभाग की भूमि पर तो कई स्थानों पर अवैध तरीके से धार्मिक प्रतीकों को स्थापित कर अतिक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Wed, 14 Jun 2023 07:48 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में सरकारी भूमि एवं परिसंपत्तियों पर अतिक्रमण रोकने में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जियोग्राफिकल इनफार्मेशन सिस्टम (जीआईएस) के माध्यम से समस्त विभागों का डिजिटल लैंड बैंक तैयार किया जाएगा। डिजिटल लैंड बैंक के डाटा को हर दो महीने में अपडेट किया जाएगा।
भूमि पर अतिक्रमण या कोई भी परिवर्तन दिखाई पड़ने पर संदेश के रूप में शीघ्र सिग्नल संबंधित विभाग के नोडल अधिकारी के पास पहुंचेगा। विभाग ने अतिक्रमण की सूचना छिपाई तो संबंधित अधिकारी पर गाज गिरना तय है।प्रदेश में सरकारी भूमि परिसंपत्तियों पर अतिक्रमण हटाने को लेकर सरकार का रुख अत्यंत गंभीर है। वन विभाग की भूमि पर तो कई स्थानों पर अवैध तरीके से धार्मिक प्रतीकों को स्थापित कर अतिक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। यह प्रवृत्ति थमने के बजाय तेजी से फूल-फल रही है। इसे देखते हुए राजस्व विभाग की ओर से समस्त विभागों को उनकी भूमि या परिसंपत्ति पर अतिक्रमण के बारे में तथ्यात्मक सूचना देने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
सीएम धामी की है नजर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं इसकी निगरानी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के सख्त रुख के बाद सरकारी मशीनरी इस मामले में अलर्ट मोड पर है। सभी सरकारी, अर्द्ध सरकारी व स्वायत्त संस्थाएं, निगम, परिषद, स्थानीय निकाय अपने स्वामित्व वाली भूमि व भवन की आधार परिसंपत्ति पंजिका (इन्वेंटरी) तैयार करेंगे। प्रत्येक परिसंपत्ति को पोर्टल पर एक यूनिक नंबर आवंटित किया जाएगा।
जिलेवार बनेगा डिजिटल लैंड बैंक
मुख्य सचिव डा एसएस संधू की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में सचिव समिति की बैठक में यह विषय रखा गया। यह तय किया गया कि प्रदेशभर में जिलेवार सरकारी भूमि-परिसंपत्ति का डिजिटल लैंड बैंक बनेगा। इस ऑनलाइन व्यवस्था के लिए राजस्व परिषद और सूचना प्रौद्योगिकी विकास अभिकरण मिलकर काम करेंगे।ऐसे कराया जाएगा काम
डिजिटल लैंड बैंक में विवरण दर्ज करने के लिए राजस्व विभाग की ओर से समस्त विभागों को सूचना प्रारूप भेजा गया है। विभाग अपनी भूमि व परिसंपत्ति के बारे में जानकारी इसी प्रारूप पर भेजेंगे। जिलेवार विभागीय परिसंपत्तियों की विशेषज्ञों की सहायता से जीआईएस मैपिंग कराई जाएगी। जीआईएस मैपिंग के आधार पर तैयार होने वाला डाटा नए अतिक्रमणों के चिह्नीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। पोर्टल पर इस डाटा को डाला जाएगा।
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