सत्ता के गलियारे से : अरे वाह, कौशिक तो ऑलराउंडर बन गए
अब मदन कौशिक सियासी पिच पर ऑलराउंडर के तौर पर खेलते दिखेंगे। कौशिक को न केवल सरकार के संकटमोचक के रूप में फ्रंटफुट पर बैटिंग करनी पड़ेगी बल्कि विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए डिफेंस भी संभालना होगा।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 21 Dec 2020 07:44 AM (IST)
देहरादून, विकास धूलिया। सितंबर में हुए विधानसभा सत्र में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश इसलिए हिस्सा नहीं ले पाईं, क्योंकि तब वे कोरोना से संक्रमित थीं। अब सोमवार से शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है तो इस बार नेता सदन, यानी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कोरोना पॉजिटिव हैं। प्रकाश पंत के निधन के बाद से कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक संसदीय कार्य मंत्री की भूमिका निभाते आ रहे हैं लेकिन इस बार उन्हें सत्र के दौरान सदन में सत्तापक्ष का नेतृत्व भी करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री पहले ही कौशिक को अपने विभागों से संबंधित सवालों के जवाब देने के लिए अधिकृत कर चुके हैं। सरकार के प्रवक्ता का जिम्मा उनके पास पहले से ही है। यानी, अब मदन कौशिक सियासी पिच पर ऑलराउंडर के तौर पर खेलते दिखेंगे। कौशिक को न केवल सरकार के संकटमोचक के रूप में फ्रंटफुट पर बैटिंग करनी पड़ेगी, बल्कि विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए डिफेंस भी संभालना होगा।
सत्ता के शीर्ष पर कोरोना की दस्तककोरोना का साया अपने सूबे में किस कदर खतरनाक रुख अख्तियार कर चुका है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी जद में ऐसे-ऐसे लोग आ रहे हैं, जो शायद संक्रमण से बचने को सबसे ज्यादा सतर्क रहते हैं। राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री, सांसद, विधायक, सब इस लिस्ट में शुमार हैं। हद तब हो गई जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की भी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। जानकारी जुटाई, पता चला कि मुखियाजी के लिए रोजाना भोजन तैयार कर सर्व करने वाले कुक की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद सबका टेस्ट कराया गया। मुखियाजी के साथ परिवार के सदस्य भी संक्रमित हो गए। अगले दिन सब यह देख चौंकेकि मुखियाजी एक निजी कार से परिवार के साथ जांच को अस्पताल पहुंच गए। पूछा तो बोले, डॉक्टरों ने सलाह दी जांच कराने की, तो बेटी खुद कार चलाकर अस्पताल लाई। हालांकि टेस्ट में सब कुछ सामान्य मिला।
70 का आंकड़ा और केजरीवाल के अरमानउत्तराखंड में सवा साल बाद विधानसभा चुनाव हैं, तो 'आप' के भी अरमान जग गए। कन्फ्यूज न हों, 'आप' का मतलब आम आदमी पार्टी से है। दिल्ली में करामात दिखाने के बाद केजरीवाल लाजिमी तौर पर अन्य राज्यों में पार्टी को बढ़ता देखना चाहते हैं। तकरीबन पांच महीने पहले उन्होंने एलान किया कि 'आप' उत्तराखंड में सभी 70 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरेगी। शायद केजरीवाल को 70 का आंकड़ा जादुई लगता है, क्योंकि दिल्ली और उत्तराखंड, दोनों जगह विधानसभा की 70 सीटें हैं। अरमान को परवान चढ़ाने के लिए केजरीवाल के नायब मनीष सिसोदिया का पूरा फोकस इन दिनों उत्तराखंड पर है। पहले कुमाऊं और अब गढ़वाल, दोनों मंडलों में मनीष ने पांच-छह दिन गुजार भविष्य की संभावनाएं टटोली। इस दौरान सिसोदिया का आकलन क्या रहा, यह तो वही बता सकते हैं, लेकिन इतना जरूर समझ आया कि 'आप' की नजरें 2022 नहीं, 2027 के चुनाव पर टिकी हैं।
कोर ग्रुप में हरदा, पार्टी में बेचैनी कांग्रेस भले ही इन दिनों अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रही है, मगर अब भी कुछ नेता ऐसे हैं, जो हरदम अपनी मौजूदगी का अहसास कराते हैं। इन्हीं में एक हैं हरदा, मतलब हरीश रावत। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव। केंद्र में मंत्री से लेकर सूबे में मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन अब भी कांग्रेस के उन चुनिंदा नेताओं में शुमार हैं, जिन्हें 'परिवार' का विश्वास हासिल है। परिवार के मायने समझ रहे हैं न आप। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ जिन 19 नेताओं को कोर ग्रुप की बैठक में शिरकत करने का अवसर मिला, उनमें ये भी शुमार थे। जब पूछा कि क्या राहुल गांधी पार्टी की कमान संभालने को तैयार हैं, जवाब मिला जरूर, मगर ऑफ द रिकार्ड। यह बात दीगर है कि पार्टी के टॉप कोर ग्रुप में हरदा की एंट्री से सूबाई कांग्रेस के कुछ नेता फिर बेचैन नजर आ रहे हैं।
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