अब निखरेगा पौड़ी हाईवे, पार्क रिसॉर्ट और होम स्टे होंगे विकसित
पौड़ी हार्इवे का सफर अब और भी सुहावना होगा। यहां जगह-जगह पार्क, रिसॉर्ट, होम स्टे भी विकसित किए जाएंगे। इसमें भी खास फोकस गुमखाल से पौड़ी के बीच होगा।
देहरादून, [केदार दत्त]: कोशिशें रंग लाई तो पौड़ी जिले में कोटद्वार-पौड़ी हाईवे पर सैर अब और अधिक सुहानी होगी। चीड़ व बांज के वनों के बीच 108 किलोमीटर की इस सर्पीली सड़क से गुजरते वक्त लोग न सिर्फ कुदरती नजारों का लुत्फ उठा सकेंगे, बल्कि पर्यटन के लिहाज से वहां जगह-जगह पार्क, रिसॉर्ट, होम स्टे भी विकसित किए जाएंगे। इसमें भी खास फोकस गुमखाल से पौड़ी के बीच होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर सरकार ने इस हाईवे को ईको टूरिज्म के तहत विकसित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए ईको टूरिज्म विकास निगम सर्वे करा रहा है।
कोटद्वार-पौड़ी हाईवे (राष्ट्रीय राजमार्ग 534) पर कोटद्वार से लेकर जयहरीखाल डिग्री कॉलेज तक पर्यटन सुविधाएं विकसित हुई हैं, लेकिन गूमखाल से पौड़ी तक 73 किमी का हिस्सा इस लिहाज से उपेक्षित सा है। वह भी तब जबकि यह क्षेत्र रमणीक होने के साथ ही पर्यटन के लिहाज से खासी संभावनाएं भी समेटे हुए है। हाइवे का यह हिस्सा नैसर्गिक नजारों से भरपूर होने के साथ ही धार्मिक दृष्टिकोण से भी अहम है।
हाल में ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुमखाल से पौड़ी तक इस रूट को इको टूरिज्म के तहत विकसित करने की इच्छा जताई थी। इस कड़ी में अब सरकार ने कदम बढ़ाए गए हैं। उत्तराखंड ईको टूरिज्म विकास निगम के तहत इस रुट पर प्राकृतिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। गौरतलब है कि समुद्रतल से 1660 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गूमखाल और 1814 मीटर की ऊंचाई पर गढ़वाल मंडल मुख्यालय पौड़ी से हिमालयी नजारों का दीदार होता है। साथ ही सर्पीली सड़कों से गुजरने का अलग आनंद है तो उत्तरवाहिनी नयार नदी के तट पर बसे सतपुली कस्बा भी कमतर नहीं है। यही नहीं, गुमखाल-पौड़ी के मध्य सिद्धपीठ ज्वाल्पा देवी का प्रसिद्ध मंदिर भी है।
ये होंगे कार्य
गूमखाल-पौड़ी के बीच हाइवे पर विभिन्न स्थानों पर सैलानियों के लिए वन क्षेत्रों में छोटे-छोटे पार्क तैयार किए जाएंगे। यही नहीं, भोजन व ठहरने के लिहाज से रिसॉर्ट प्रस्तावित हैं। यही नहीं, हाइवे से लगे गांवों में होम स्टे को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है कि कोटद्वार-पौड़ी हाईवे पर गुुमखाल से पौड़ी तक का हिस्सा पर्यटन के लिहाज से अच्छी संभावनाओं वाला है। इसे देखते हुए कोटद्वार ईको टूरिज्म सर्किट के तहत इसे विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इको टूरिज्म विकास निगम इसका सर्वे करा रहा है। यही नहीं, ज्वाल्पा देवी मंदिर के नजदीक कठुड़ में रिसॉर्ट की डीपीआर तैयार करने को फंड जारी किया गया है। जल्द ही इको टूरिज्म के तहत अन्य कार्य भी प्रारंभ किए जाएंगे। मंडी परिषद को कार्यदायी संस्था बनाया गया है।
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