Move to Jagran APP

उत्तराखंड में अब मानव-वन्यजीव संघर्ष थामने को आरआरटी, होगी त्वरित कार्रवाई

मानव-वन्यजीव संघर्ष को थामने को सरकार अब सक्रिय हो गई है। इस कड़ी में राजाजी के अलावा देहरादून हरिद्वार लैंसडौन टिहरी और पौड़ी वन प्रभागों में आरआरटी तैनात की जा रही हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 18 Nov 2019 08:35 PM (IST)
Hero Image
उत्तराखंड में अब मानव-वन्यजीव संघर्ष थामने को आरआरटी, होगी त्वरित कार्रवाई
देहरादून, केदार दत्त। राजाजी टाइगर रिजर्व और इसके नजदीकी पांच वन प्रभागों में चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुके मानव-वन्यजीव संघर्ष को थामने को सरकार अब सक्रिय हो गई है। इस कड़ी में राजाजी के अलावा देहरादून, हरिद्वार, लैंसडौन, टिहरी और पौड़ी वन प्रभागों में रैपिड रिस्पांस टीमें (आरआरटी) तैनात की जा रही हैं। ये टीमें अपने-अपने प्रभागों से लगे आबादी वाले इलाकों में वन्यजीवों की सक्रियता या कोई घटना होने पर त्वरित कार्रवाई करेंगी। 

राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे हरिद्वार समेत अन्य क्षेत्रों में हाथियों के आतंक ने नींद उड़ाई हुई है। हरिद्वार के पिंजनहेड़ी में हाल में हाथी ने दो लोगों को मार डाला था। इससे पहले भी हरिद्वार में वन्यजीवों के हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसी ही स्थिति हरिद्वार, देहरादून, लैंसडौन, टिहरी व पौड़ी वन प्रभागों की भी है। कहीं हाथी तो कहीं गुलदार समेत दूसरे वन्यजीवों ने नाक में दम किया हुआ है। 

वन्यजीवों के आक्रामक व्यवहार और इनकी आबादी वाले क्षेत्रों में धमक ने वन महकमे से लेकर शासन व सरकार की पेशानी पर बल डाले हुए हैं। सबसे ज्यादा चिंता तो हरिद्वार को लेकर है, जहां 2021 में महाकुंभ का आयोजन होना है। यदि हाथी समेत दूसरे वन्यजीवों की हरिद्वार क्षेत्र में आवाजाही पर अंकुश नहीं लगा तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं। 

अब इस समस्या के निदान को गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं। वन सीमा पर मजबूत सोलर पावर फैंसिंग, वन्यजीवरोधी दीवार जैसे कदम उठाने के साथ ही राजाजी रिजर्व और उसके आसपास के पांच वन प्रभागों में विलेज वालेंटिएरी प्रोटेक्शन फोर्स के अलावा रैपिड रिस्पांस टीमें (आरआरटी) तैनात की जा रही हैं। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी के अनुसार राजाजी रिजर्व व टिहरी में यह टीमें गठित हैं, जबकि पौड़ी, देहरादून, लैंसडौन व हरिद्वार प्रभागों में नए सिरे से इनके गठन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। 

वह बताते हैं कि यह टीमें अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहेंगी और कहीं भी आबादी वाले क्षेत्रों में वन्यजीवों की सक्रियता अथवा कोई घटना होने पर त्वरित कार्रवाई करेंगी। उन्होंने बताया कि इन विभागीय टीमों को इसके लिए प्रशिक्षण का कार्यक्रम तय कर दिया गया है। जर्मन एजेंसी जीआइजेड के सहयोग से इन्हें मानव- वन्यजीव संघर्ष थामने से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके तहत देश के अन्य हिस्सों में आरआरटी के अनुभव भी इनसे साझा होंगे। 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में बाघों के कुनबे में इजाफे के बीच बढ़ी चुनौतियां, पढ़िए पूरी खबर

आरआरटी में छह सदस्य 

आरआरटी में कुल छह सदस्य होंगे। इनमें एक वन क्षेत्राधिकारी, एक पशु चिकित्सक और चार वन रक्षक शामिल होंगे। 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में बाघ सुरक्षा को खुलेंगे चार वन्यजीव अंचल, पढ़ि‍ए पूरी खबर

20-21 को होगा प्रशिक्षण 

राजाजी रिजर्व और पांच वन प्रभागों में गठित आरआरटी को 20 और 21 नवंबर केा प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण हरिद्वार के मोतीचूर में होगा। इसमें कई वन्यजीव विशेषज्ञ भी शिरकत करेंगे। 

यह भी पढ़ें: मानव-वन्यजीव संघर्ष थामने को तैयार किया जा रहा नेशनल एक्शन प्लान, जानिए

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।