500 किमी ऊपर सेटेलाइट से अब होगा अचूक वार, आइआरडीई तैयार कर रहा इमेजिंग पेलोड
सेटेलाइट से पृथ्वी की सतह पर दुश्मन को धूल चटाने में महारत हासिल कर लेंगे। इसके लिए देहरादून स्थित आइआरडीई हाइपर-स्पेक्टरल इमेजिंग पेलोड सिस्टम तैयार कर रहा है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 20 Oct 2019 12:53 PM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। चंद माह पहले भारत ने एंटी सेटेलाइट मिसाइल से लो-अर्थ ऑर्बिट (पृथ्वी की निचली कक्षा) में स्थापित लाइव सेटेलाइट को मार गिराकर अंतरिक्ष में अमेरिका, चीन और रूस की भांति रुतबा हासिल कर लिया था। अब इस कड़ी में भारत एक और कीर्तिमान बनाने जा रहा है। इस दफा सेटेलाइट से पृथ्वी की सतह पर दुश्मन को धूल चटाने में महारत हासिल कर लेंगे। इसके लिए डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के देहरादून स्थित यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आइआरडीई) हाइपर-स्पेक्टरल इमेजिंग पेलोड सिस्टम तैयार कर रहा है। यह सिस्टम सेटेलाइट पर स्थापित किया जाएगा और यह उसकी निगरानी क्षमता को अचूक बनाने का काम करेगा।
आइआरडीई के एसोसिएट डायरेक्टर पुनीत वशिष्ठ ने बताया कि 'अन्वेषा' नाम की यह परियोजना एक छोटे सेटेलाइट प्रोग्राम के अंतर्गत है। इसमें पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित सेटेलाइट पर हाइपर-स्पेक्टरल इमेज का कैमरा स्थापित किया जाएगा। एंटी सेटेलाइट मिसाइल के प्रोग्राम में सेटेलाइट 300 से 350 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित होता है। इस परियोजना में और ऊपर करीब 500 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित सेटेलाइट में यह सिस्टम लगाया जाएगा।
इसके जरिये हम पृथ्वी पर एक दूसरे से करीब 12 मीटर की दूरी पर खड़े दो अलग-अलग टारगेट की आसानी से पहचान कर लेंगे। कई दफा अधिक ऊंचाई से सेटेलाइट से वास्तविक टारगेट की पहचान करना संभव नहीं हो पाता। इस सिस्टम के जरिये यह बेहद आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि टारगेट वास्तव में दुश्मन ही है या कोई और। इसकी रियल टाइम सूचना सीमा पर तैनात सेना को मिल जाएगी और वह टारगेट को आसानी से मार गिरा सकेंगे।
टारगेट की कोर्डिनेट के साथ मिलेगी जानकारी
हाइपर-स्पेक्टरल इमेजिंग पेलोड सिस्टम दुश्मन की स्पष्ट पहचान करने के बाद उसकी जानकारी कोर्डिनेट के साथ सेना को मुहैया करा देगा। यह भी पढ़ें: मीटर रीडिंग दिए बिना ही बन जाएगा पानी का बिल, जानिए कैसे
2022 तक सेना को मिल जाएगा पेलोडआइआरडीई के एसोसिएट डायरेक्टर पुनीत वशिष्ठ ने बताया कि हाइपर-स्पेक्टरल इमेजिंग पेलोड सिस्टम पर पिछले ढाई साल से काम चल रहा है और वर्ष 2022 तक इसके सभी ट्रायल पूरे कर सेना के सुपुर्द कर दिया जाएगा।यह भी पढ़ें: चीन सीमा पर बनेगा देश का पहला न्यू जनरेशन ब्रिज, पढ़िए पूरी खबर
दक्षिण भारत में जमीनी ट्रायल शुरूसेटेलाइट पर स्थापित होने वाले पेलोड के जमीनी ट्रायल दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में शुरू कर दिए गए हैं। यह कार्य अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ मिलकर किया जा रहा है। जल्द इसके ट्रायल लो-अर्थ ऑर्बिट सेटेलाइट पर भी शुरू कर दिए जाएंगे। यह भी पढ़ें: हिमालयी क्षेत्र में तिब्बत से उत्तराखंड तक महाभूकंप का खतरा, जानिए वजह
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।