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अब सुपर-100 संवारेगा बच्चों का भविष्य, बनाई जा रही अधिकारियों की एक समिति

शिक्षा महकमा बच्‍चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए जल्द सुपर-100 भी शुरू करेगा। इसके लिए अधिकारियों की एक समिति बनाई जा रही है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 06 Oct 2018 02:24 PM (IST)
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अब सुपर-100 संवारेगा बच्चों का भविष्य, बनाई जा रही अधिकारियों की एक समिति
देहरादून, [जेएनएन]: सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाएं सुधारने के लिए शिक्षा महकमे ने अधिकारियों के पेंच कसने शुरू कर दिए हैं, इतना ही नहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा का माहौल देने के निर्देश दिए गए हैं। समग्र शिक्षा अभियान के तहत अब पुस्तकालयों में प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबें भी रखी जाएंगी। इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए जल्द सुपर-100 भी शुरू किया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों की एक समिति बनाई जा रही है। 

महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने इस बावत निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने माध्यमिक और प्रारंभिक शिक्षा में मासिक परीक्षा को नियमित रुप से सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। साथ ही एजुकेशन पोर्टल पर मासिक परीक्षा के विषयवार परिणाम जारी करने को कहा है। इसके अलावा समग्र शिक्षा अभियान के तहत पुस्तकालयों में प्रतियोगिताओं की तैयारी से संबधित किताबें सम्मलित करने के निर्देश दिए हैं। 

साथ ही विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों के प्रशिक्षण को बिना अनुमति के आयोजित न करने, एससीईआरटी द्वारा शिक्षकों के बिना पुर्वानुमति प्रस्तावित प्रशिक्षण तत्काल प्रभाव से निरस्त करने, टीचर ऑफ मंथ के लिए जनपदीय अधिकारियों को असाधारण कार्य करने वाले शिक्षकों को चयनित करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने समग्र शिक्षा अभियान के अंर्तगत कार्य करने की इच्छा जताने वाले एनजीओ को लेकर आवश्यक जानकारी लेने, सुपर 100 को लेकर अधिकारियों की एक समिति गठित करने को कहा गया है। 

आरटीई के तहत दाखिलों पर कैंची 

राज्य में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) एक्ट के तहत पब्लिक स्कूलों में वंचित व कमजोर वर्गो के बच्चों के दाखिले की मौजूदा नीति को जारी रखना सरकार के बूते से बाहर होता जा रहा है। विभाग की खराब वित्तीय हालात को देखते हुए महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आरटीई में सीमित संख्या में ऐडमिशन दिलाए जाएं। 

बता दें कि राज्य में आरटीई के तहत निजी स्कूलों में दाखिल बच्चों की संख्या एक लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। इन बच्चों की पढ़ाई व ड्रेस आदि पर करीब 120 करोड़ से ज्यादा खर्च बैठ रहा है। बढ़ते खर्च से चिंतित राज्य सरकार को इस मामले में केंद्र सरकार से फिलहाल खास राहत नहीं मिल पाई है। इस वजह से राज्य सरकार उक्त योजना को बंद किए जाने की नौबत आने का जिक्र केंद्र सरकार से कर चुकी है। राज्य की खराब माली हालत को देखते हुए वित्त विभाग ने पंजाब पैटर्न लागू करने की सिफारिश की है।  जिसके तहत पहले सरकारी विद्यालयों में दाखिला दिलाने पर विचार किया जा रहा है। प्रस्ताव यह भी है कि आरटीई के तहत निजी स्कूलों में केवल अपवंचित वर्ग के बच्चों का ही प्रवेश कराया जाए।

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