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पर्यावरण संरक्षण को देहरादून नगर निगम ने लिया अहम फैसला, अब एक पेड़ काटने पर लगाने होंगे दस पौधे

नगर निगम पेड़ काटने के लिए मुफ्त में एनओसी नहीं देगा। इसके लिए कुछ शर्तें व शुल्क तय किए गए हैं। आवासीय प्लाट में पेड़ काटने पर प्लॉट मालिक को प्रति पेड़ दो हजार रुपये जबकि व्यावसायिक प्लाट में दस हजार रुपये प्रति पेड़ शुल्क नगर निगम में देना पड़ेगा।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 15 Jul 2021 10:47 AM (IST)
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शहर में विकास कार्यों के बीच पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नगर निगम ने अहम फैसला लिया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। शहर में विकास कार्यों के बीच पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नगर निगम ने अहम फैसला लिया है। नगर निगम पेड़ काटने के लिए मुफ्त में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं देगा। इसके लिए कुछ शर्तें व शुल्क तय किए गए हैं। आवासीय प्लाट में पेड़ काटने पर प्लॉट मालिक को प्रति पेड़ दो हजार रुपये, जबकि व्यावसायिक प्लाट में दस हजार रुपये प्रति पेड़ शुल्क नगर निगम में देना पड़ेगा। यही नहीं, आवासीय प्लाट के स्वामी को किसी भी भूमि पर पांच पौधे, जबकि व्यावसायिक प्लाट के स्वामी को दस पौधे लगाने पड़ेंगे। इसकी फोटो नगर निगम को देने पर ही उसे एनओसी जारी की जाएगी।

पेड़ काटने के लिए मौजूदा समय में वन विभाग में आवेदन किया जाता है। जिसके बाद वन विभाग द्वारा संबंधित भू-स्वामी से नगर निगम से भी एनओसी लाने को कहा जाता है। अभी तक नगर निगम इसके लिए कोई शुल्क नहीं लेता था मगर बुधवार को नगर निगम बोर्ड की बैठक में शहर में पेड़ कटान पर शुल्क एवं शर्तें तय कर दी गईं। महापौर सुनील उनियाल गामा के साथ ही नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने शहर में पर्यावरण संरक्षण के लिए अब कठोर कदम उठाने की पैरवी की। जिसके बाद तय हुआ कि अब पेड़ काटने के लिए निगम मुफ्त में एनओसी नहीं देगा। इसके लिए प्रति पेड़ के हिसाब से शुल्क व शर्तें तय कर दी गईं हैं। पेड़ काटने के बदले पौधे लगाने की शर्त में भी निगम ने राहत दी है। सवाल ये उठ रहा था कि संबंधित भूस्वामी किसकी भूमि पर पौधारोपण करेगा। जिस पर नगर आयुक्त ने बताया कि पौधे केवल अपने प्लाट में ही नहीं सरकारी भूमि पर भी लगाए जा सकते हैं। यदि इसमें परेशानी है तो भूस्वामी पौधे नगर निगम में जमा करा सकता है। जिसके बाद निगम खुद पौधारोपण कराएगा।

फिर उछला मलिन बस्तियों का मामला

मलिन बस्तियों के विनियमितीकरण और मालिकाना हक दिलाने के लिए राजनेताओं की होड़ किसी से छुपी नहीं। वर्ष-2017 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार भी इस हसरत के साथ विदा हो गई व मौजूदा भाजपा सरकार भी उसके ही नक्शे-कदम पर चल रही है। चार वर्ष पहले भाजपा के सत्ता में आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा भी बस्तियों के विनियमितीकरण का फैसला लिया गया था, लेकिन तकनीकी अचड़न में सरकार इसे आगे सरकाती रही।

सितंबर में इस फैसले की मियाद पूरी हो रही, ऐसे में नगर निगम की बोर्ड बैठक में फिर बस्तियों को नियमित करने का प्रस्ताव लाया गया व उसे मंजूर करते हुए फिर से शासन को भेज दिया गया। इससे दून शहर की 129 बस्ती के तकरीबन 40 हजार अवैध भवन वैध हो जाएंगे। बोर्ड बैठक में विधायक खजानदास ने जानकारी दी कि सरकार बुधवार को इस मामले को कैबिनेट में ला रही थी पर कुछ अड़चन आ गई। अब अगली बैठक में इस मुद्दे को लाया जाएगा और तीन साल का समय बढ़ाया जाएगा।

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