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छात्रों के लिए स्नातक में दाखिला लेना बना चुनौती, जानिए वजह

प्रदेश के हजारों छात्र और छात्राओं के लिए स्नातक में दाखिला लेना चुनौती बन गया है। सेमेस्टर सिस्टम के चलते अब सीटें निर्धारित हैं।

By Edited By: Updated: Sat, 18 Aug 2018 07:36 PM (IST)
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छात्रों के लिए स्नातक में दाखिला लेना बना चुनौती, जानिए वजह
देहरादून, [जेएनएन]: दून समेत प्रदेश के हजारों छात्र-छात्राओं के लिए इस बार बीए जैसे पारंपरिक विषयों से स्नातक की पढ़ाई भी चुनौती बन गई है। शहर के चार बड़े महाविद्यालय डीएवी, डीबीएस, एमकेपी और श्री गुरुराम राय महाविद्यालयों में सेमेस्टर सिस्टम लागू है, जिसमें सीटें निर्धारित हैं।

दाखिले की ऊंची कटऑफ लिस्ट से करीब 15 हजार छात्र-छात्राएं दाखिले से वंचित रह गए। इन छात्रों के पास इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) और उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) के रूप में विकल्प थे, लेकिन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने यूओयू के 75 और इग्नू के चार पाठ्यक्रमों को इस वर्ष मान्यता ही नहीं दी। जिससे हजारों छात्र बीए, बीएससी और बीकॉम जैसे पारंपरिक विषयों से स्नातक करने से वंचित हैं। यूओयू में चालू शिक्षा सत्र में छात्र-छात्राओं की संख्या 59 हजार से अधिक है। जबकि, इग्नू में 11 हजार छात्र-छात्राएं विभिन्न विषयों से स्नातक एवं स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। निजी विवि में प्रति सेमेस्टर फीस इतनी अधिक है कि सभी छात्र-छात्राएं इनमें दाखिले नहीं ले सकते हैं।

विदित रहे कि इस वर्ष 21589 छात्र-छात्राओं ने दून के चार बड़े कॉलेजों डीएवी, डीबीएस, एमकेपी और श्रीगुरुराम राय महाविद्यालय में पारंपरिक कोर्स के लिए आवेदन किया था। लेकिन, चारों कॉलेजों में बीए, बीएससी और बीकॉम प्रथम वर्ष के लिए 5915 सीटें ही निर्धारित हैं। उनमें ऊंची मेरिट लिस्ट वाले छात्र-छात्राओं के दाखिले ही हुए, बाकी छात्र दाखिले की दौड़ से वंचित रह गए।

डीएवी कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष शुभम सिमल्टी, डीबीएस छात्रसंघ अध्यक्ष योगेश घाघट, एमकेपी छात्रसंघ अध्यक्ष दीपाली ठाकुर, एनएसयूआइ की प्रदेश महासचिव एवं एमकेपी प्रभारी डिंपल शैली आदि ने कहा कि प्रदेश सरकार को उत्तराखंड मुक्त विवि के पाठ्यक्रमों के मामले को मजबूती से मानव संसाधन विकास मंत्रालय के समक्ष रखना चाहिए ताकि शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों छात्र-छात्राएं स्नातक जैसी जरूरी शिक्षा से वंचित न रहें। विशेषकर पहाड़ के दूरदराज क्षेत्रों की युवतियां दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से स्नातक की पढ़ाई करती हैं। 

इग्नू की क्षेत्रीय निदेशक आशा शर्मा ने बताया कि यूजीसी की सूची में एमबीए, एमसीए, बीएड एवं बीएससी(नर्सिग) का नाम नहीं है। जबकि, इग्नू के स्नातक एवं स्नातकोत्तर के 42 पाठ्यक्रम यूजीसी से मान्यता प्राप्त हैं। इसके अलावा इग्नू के सभी 118 सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कार्यक्रम पूर्ववत मान्यता प्राप्त हैं। 16 अगस्त से इनमें दाखिले के लिए आवेदन भी शुरू हो गए हैं। 

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ राकेश रयाल का कहना है कि उत्तराखंड मुक्त विवि 75 पाठ्यक्रमों की मान्यता को लेकर यूजीसी से संपर्क में है। विवि के कुलसचिव इस बारे में कार्रवाई करने के लिए खुद दिल्ली जा चुकी है। आशा है कि यूजीसी सभी पाठ्यक्रमों को मान्यता दे।

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