अब एमडीडीए में नहीं दबेगी अवैध निर्माण की फाइल Dehradun News
अब मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) में अवैध निर्माण की फाइल डंप नहीं की जा सकेगी। इसके लिए प्राधिकरण कार्यालय में अनाधिकृत निर्माण मैनेजमेंट सिस्टम को लागू कर दिया गया है।
By BhanuEdited By: Updated: Thu, 03 Oct 2019 01:17 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। अब मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) में अवैध निर्माण की फाइल डंप नहीं की जा सकेगी। इसके लिए प्राधिकरण कार्यालय में अनाधिकृत निर्माण मैनेजमेंट सिस्टम को लागू कर दिया गया है। इसके माध्यम से प्रकरणों में उनके निस्तारण तक फाइल बंद नहीं की जा सकेगी। साथ ही चालान करने से लेकर प्रकरणों की सुनवाई की भी पूरी व्यवस्था ऑनलाइन होगी। एमडीडीए में नई व्यवस्था के तहत काम शुरू कर दिया गया है।
अनाधिकृत निर्माण मैनेजमेंट सिस्टम को लॉन्च करते हुए एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि इस व्यवस्था का सबसे अधिक लाभ अवैध निर्माण के मामलों की कार्रवाई में मिलेगी। अब किसी भी फाइल को कुछ तारीख के बाद डंप करना आसान नहीं होगा। क्योंकि पहली फाइल के निस्तारण के बिना सिस्टम आगे नहीं बढ़ेगा। इस अवसर पर एमडीडीए सचिव जीसी गुणवंत, एसएल सेमवाल, सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर संजीवन सूंठा आदि उपस्थित रहे।
इस तरह काम करेगा मैनेजमेंट सिस्टम
यदि अवैध निर्माण के किसी मामले में सुनवाई चल रही है तो अब तक उसकी फाइल को लंबित रखकर या डंप कर दूसरे प्रकरणों की तरफ बढ़ा जा सकता था। चूंकि निरंतर नए मामले दर्ज होते रहते हैं तो कई दफा सालों तक भी पुराना मामला बाहर नहीं आ पाता। नई व्यवस्था में जैसे ही कोई प्रकरण दर्ज होगा तो वह ऑनलाइन दिखता रहेगा और उस पर नई तारीख दर्ज करने या किसी तरह के निस्तारण के बिना सिस्टम आगे ही नहीं बढ़ेगा।
कंपाउंडिंग या ध्वस्तीकरण पर बंद होगी फाइल
यदि किसी फाइल पर तारीख नहीं लग रही है तो वह तभी बंद होगी, जब उसकी कंपाउंडिंग हो जाएगी, या उसे ध्वस्त कर दिया जाएगा। सीलिंग की दशा में भी आगे की कार्रवाई जारी रहेगी।अपील की दशा में मंडलायुक्त ऑनलाइन देख सकेंगे दस्तावेजजब भी एमडीडीए किसी प्रकरण में सीलिंग या ध्वस्तीकरण आदेश जारी करता है तो संबंधित पक्ष अधूरे तथ्य देकर एमडीडीए अध्यक्ष/मंडलायुक्त के पास अपील दायर कर स्टे हासिल कर लेते हैं। अब ऐसी व्यवस्था कर दी गई है कि मंडलायुक्त किसी भी प्रकरण संबंधी कार्रवाई या उससे संबंधित दस्तावेज को ऑनलाइन देख सकेंगे। इससे वह स्टे देने या अन्य किसी तरह के निर्णय के लिए पूरे प्रकरण के बारे में पहले ही जानकारी हासिल कर पाएंगे।
नए सिस्टम में इन कार्यों में भी बदलाव-अवैध निर्माण या अवैध प्लॉटिंग के प्रकरणों में ऑनलाइन चालान किया जा सकेगा। इसके बाद वादों की सुनवाई भी ऑनलाइन होगी।-किसी भी पक्ष को अपने अवैध निर्माण पर जवाब देने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था का पालन करना होगा। यदि कोई इस काम में असमर्थ है तो वह लिखित में जवाब दे सकता है। इसके बाद जवाब को स्कैन कर सिस्टम में अपलोड कर दिया जाएगा।
-इस सिस्टम में एसएसपी कार्यालय को भी जोड़ दिया गया है। सीलिंग या ध्वस्तीकरण के प्रकरणों में पुलिस बल की मांग में इससे अतिरिक्त सहायता मिलेगी।अवैध प्लॉटिंग की फाइल नहीं होगी बंदअब तक अवैध प्लॉटिंग के अधिकतर मामलों में एक बार अवैध प्लॉटिंग को ध्वस्त कर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती है। अब ऐसा नहीं हो पाएगा, क्योंकि किसी अवैध प्लॉटिंग का चालान करने के बाद फाइल तब तक चलती रहेगी, जब तक उसका ले-आउट पास नहीं कर दिया जाता। इसके अलावा रजिस्ट्रार कार्यालय को भी नक्शे की स्वीकृति से जोड़ा जा रहा है। लिहाजा, जिन प्रकरण में अवैध प्लॉटिंग पाई गई है, उनकी रजिस्ट्री पर भी रोक लगाई जा सकती है।
यह भी पढ़ें: एमडीडीए ने वेबसाइट पर डाली अवैध प्लॉटिंग की सूची, पढ़िए पूरी खबर23 हजार प्रकरण भी होंगे ऑनलाइनएमडीडीए में अवैध निर्माण के विभिन्न तरह के 23 हजार से अधिक मामले लंबित चल रहे हैं। रोजाना नए प्रकरण दर्ज होने के चलते पुराने मामलों की तरफ ध्यान कम ही दिया जाता है। हालांकि, अब इन केसों का भी निपटारा हो पाएगा। एमडीडीए उपाध्यक्ष ने पुराने मामलों को डिजिटल फार्मेट में लाकर ऑनलाइन करने के लिए नवंबर माह तक का समय तय किया है।
यह भी पढ़ें: यहां अवैध हॉस्टलों से प्रशासन ने खींचे हाथ, जानिए वजह
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।