अब इस तरह से मिलेगी उत्तराखंडी व्यंजनों को पहचान
उत्तराखंड के व्यंजनों को पहचान दिलाने के लिए अब सरकार इनकी ब्रांडिंग के साथ ही युवाओं को गढ़वाली-कुमाऊंनी व्यंजनों की ट्रेनिंग देने पर विचार कर रही है।
देहरादून, [केदार दत्त]: कोशिशें रंग लाईं तो पौष्टिकता से लबरेज उत्तराखंडी व्यंजनों के सामने अब पहचान का संकट नहीं रहेगा। राज्य सरकार इनकी ब्रांडिंग के साथ ही युवाओं को गढ़वाली-कुमाऊंनी व्यंजनों की ट्रेनिंग देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। कौशल विकास विभाग की ओर से दिए जाने वाले प्रशिक्षण में अब इन व्यंजनों को शामिल कर प्रशिक्षण का खाका तैयार किया जा रहा है। प्रयास फलीभूत हुए तो आने वाले दिनों में सैलानी और यात्री यहां के रेस्टोरेंट व होटलों में पहाड़ी व्यंजनों का भरपूर लुत्फ उठा सकेंगे।
गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों के पारंपरिक व्यंजन पौष्टिकता से भरपूर होने के साथ ही इनकी मांग भी ठीकठाक है। बावजूद इसके अभी तक यहां के व्यंजनों की ठीक से ब्रांडिंग नहीं हो पाई है। हालांकि, पूर्व में कुछ कोशिशें हुई, लेकिन वेल्यू एडीशन के अभाव में ये परवान नहीं चढ़ पाईं। परिणामस्वरूप होटल व रेस्टोरेंट में कहीं-कहीं नाममात्र को ही पहाड़ी व्यंजन मिल पाते हैं। ऐसे में इन व्यंजनों का स्वाद लेने का ख्वाब संजोये लोगों को मन मसोसकर रहना पड़ता है।
हाल में मुख्यमंत्री के देवभूमि डायलॉग कार्यक्रम में भी यह मसला उठा। बात निकलकर आई कि यदि कौशल विभाग के माध्यम से युवाओं को उत्तराखंडी व्यंजनों की ट्रेनिंग दी जाए तो इससे उन्हें न सिर्फ स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे, बल्कि व्यंजनों की ब्रांडिंग भी होगी। राज्य में जगह-जगह खासकर चारधाम यात्रा व ट्रैक रूटों के इर्द-गिर्द पहाड़ी व्यंजनों को बढ़ावा दिया जा सकता है, लेकिन इससे पहले युवाओं का स्किल्ड होना जरूरी है।
कौशल विकास एवं सेवायोजन सचिव डॉ.पंकज कुमार पांडेय के मुताबिक गढ़वाली-कुमाऊंनी व्यंजनों को कौशल विकास के तहत कुकिंग में शामिल किया जाएगा। यह प्रशिक्षण किस तरह और कहां दिया जाएगा, इसे लेकर गहनता से मंथन चल रहा है। जल्द ही इसे फाइनल कर कौशल विकास के तहत युवाओं को इन व्यंजनों से संबंधित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
आइएचएम में उत्तराखंडी व्यंजनों की महक
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के अधीन संचालित इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट(आइएचएम) में उत्तराखंडी व्यंजन खूब महकते हैं। इनमें कुछ व्यंजनों को आधुनिकता का भी समावेश किया गया है। संस्थान के प्राचार्य जगदीप खन्ना के मुताबिक संस्थान में मंडुवा न्यूडल्स, मंडुवा काठीरोल, गहथ की खीर, आलू की थिंचौंणी, झंगोरे की खीर, कंडाली का साग, कंडाली का डिमसुम, जखिया पनीर, भटवाणी, छंछेड़ा, मूली का साग, भट्ट की दाल, आलू गुटके, मंडुवा रोटी समेत अन्य व्यंजनों से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में इन व्यंजनों को परोसा भी जाता है।
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