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अब उत्तराखंड में होगा रंग उत्पादक पौधों का संरक्षण

उत्तराखंड उन पौधों का संरक्षण करेगा, जिनसे रंगों का उत्पादन होता है। इसके लिए नैनीताल के लालकुंआ में तैयार हो रहे पौधालय के लिए ऐसी 17 प्रजातियां चिह्नित की हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 11 Mar 2018 08:38 AM (IST)
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अब उत्तराखंड में होगा रंग उत्पादक पौधों का संरक्षण

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: देश-दुनिया में प्राकृतिक रंगों की बढ़ती खपत और इसके लिए वन क्षेत्रों पर पड़ रहे दबाव के मद्देनजर उत्तराखंड में वन महकमा ऐसी वनस्पतियों का संरक्षण करेगा, जिनसे रंग का उत्पादन होता है। इसके लिए विभाग की वन वर्धनिक शाखा ने नैनीताल के लालकुंआ में तैयार हो रहे पौधालय के लिए ऐसी 17 प्रजातियां चिह्नित की हैं। इसके बीज एकत्रीकरण के साथ ही पौध तैयार की जा रही है। इस पहल के जरिए लोगों को इस प्रकार के पौधों के संरक्षण के प्रति जागरूक भी किया जाएगा। 

मानव उत्पत्ति के बाद से ही मनुष्य द्वारा प्राकृतिक रंगों का उपयोग धार्मिक और सामाजिक कार्यों में किया जाता रहा है। इन प्राकृतिक रंग का मुख्य स्रोत वन क्षेत्रों में पाई जाने वाली विभिन्न वृक्ष, झाड़ी व अन्य प्रजातियां हैं। इनके जड़, छाल, पत्तियों, पुष्प व फलों से पारंपरिक विधियों से शोधन कर रंग प्राप्त किया जाता है। आजादी के बाद देश में भी प्राकृतिक रंगों की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में वन क्षेत्रों पर दबाव बढ़ने से तमाम वनस्पतियों के लुप्त होने का खतरा भी पैदा होने लगा है। 

इस सबको देखते हुए उत्तराखंड में वन विभाग ने ऐसी प्रजातियों को संरक्षित करने का निश्चय किया है। वन संरक्षक (अनुसंधान वृत्त) संजीव चतुर्वेदी के मुताबिक प्राकृतिक रंगों की मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने के लिए विभिन्न रसायनों से रंग तैयार हो रहे हैं, लेकिन इससे मानव शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यही कारण भी है कि प्राकृतिक रंगों की मांग बढ़ी है। उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। 

आइएफएस चतुर्वेदी ने बताया कि प्राकृतिक रंग उत्पादक पौधों के संरक्षण के लिए कदम बढ़ाए गए हैं। राज्य में ऐसे पौधों की पहचान कर न सिर्फ इनका संरक्षण किया जाएगा, बल्कि इन्हें लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा। 9.30 लाख के इस प्रोजेक्ट का पूरा खाका तैयार है। अनुसंधान पौधशाला लालकुंआ में एक हेक्टेयर में इन पौध प्रजातियों का रोपण किया जाएगा। 

इन प्रजातियों का रोपण 

पनियाला, सिंदूरी, कुंभी, अमलतास, बाकुली, लिसौड़ा, भीमल, मैदा, महुवा, भिलावा, धौड़ी, हरड़, पलाश, एकेसिया फर्नेसियाना, ट्रेमा ओरिएंटल्स, कैसेरिया टोमेंटोसा, एकेसिया आरीकुलफार्मिस। 

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