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चिकित्सकों को अब निजी प्रैक्टिस करना पड़ेगा भारी, नहीं मिलेगा प्रैक्टिस बंदी भत्ता

निजी प्रैक्टिस करने की पुष्टि होने पर उन्हें संपूर्ण सेवाकाल में प्रैक्टिस बंदी भत्ता नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं पूर्व में दिए गए भत्ते की वसूली भी की जाएगी।

By Edited By: Updated: Thu, 30 May 2019 03:45 PM (IST)
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चिकित्सकों को अब निजी प्रैक्टिस करना पड़ेगा भारी, नहीं मिलेगा प्रैक्टिस बंदी भत्ता
देहरादून, राज्य ब्यूरो। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत कार्य कर रहे चिकित्सकों को अब निजी प्रैक्टिस करना भारी पड़ेगा। निजी प्रैक्टिस करने की पुष्टि होने पर उन्हें संपूर्ण सेवाकाल में प्रैक्टिस बंदी भत्ता (एनपीए) नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं, जबसे निजी प्रैक्टिस करने का तथ्य विभाग के संज्ञान में आएगा, उस तिथि से पूर्व में दिए गए भत्ते की वसूली भी की जाएगी। हालांकि, शासन ने प्रशासनिक पदों पर तैनात चिकित्सकों को सप्ताह में दो दिन अनिवार्य क्लीनिकल कार्यों के संपादन की शर्त से छूट प्रदान कर दी है। इन्हें भी अब 20 प्रतिशत एनपीए दिया जाएगा।

प्रदेश में अभी चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत नियमित एवं मौलिक रूप से नियुक्त एलोपैथिक चिकित्सकों को उनके मूल वेतन का 20 प्रतिशत एनपीए के रूप में प्रदान किया जाता है। पहले इसमें यह शर्त थी प्रशासनिक पदों पर तैनात चिकित्सकों को यह भत्ता तभी दिया जाएगा जब वे सप्ताह में दो दिन क्लीनिकल कार्य करेंगे। इस कारण प्रशासनिक कार्य देख रहे कई चिकित्सक इससे वंचित चल रहे थे। ऐसे में प्रशासनिक पद देख रहे चिकित्साधिकारी इसमें संशोधन की मांग कर रहे थे। 

यह मामला चिकित्सा विभाग द्वारा शासन को भेजा गया। इस पर चिकित्सा अनुभाग ने सरकारी चिकित्सकों द्वारा स्वयं की निजी प्रैक्टिस और अन्य निजी अस्पतालों में सेवाएं देने संबंधी प्रकरणों का हवाला दिया था। इन सभी चिकित्सकों को भत्ता देने पर सहमति तो दी साथ ही इसके नियमों पर सख्ती लाने की भी पैरवी की। 

अब शासन ने इस आदेश में संशोधन किया है। वित्त विभाग द्वारा दी गई नई व्यवस्था के तहत प्रशासनिक पदों पर कार्यरत चिकित्साधिकारियों को भी यह भत्ता मिलेगा लेकिन इन्हें अपने आवंटित कार्यों के साथ-साथ विभाग की आवश्कता के अनुसार यथासमय शासन द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में क्लीनिकल कार्य करने होंगे। आदेश की अवेहलना करने पर एनपीए तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया जाएगा। यह भी व्यवस्था की गई है कि  प्रशासनिक पद पर तैनात कोई भी चिकित्साधिकारी स्वैच्छिक रूप से राजकीय चिकित्सालयों में क्लीनिकल कार्य कर सकते हैं, बशर्ते इससे उसका प्रशासनिक कार्य प्रभावित न हो। संशोधित आदेश सचिव वित्त अमित नेगी की ओर से जारी किया गया है। 

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