उत्तराखंड में एनआरएचएम घोटाले में पूरी दवा खरीद की होगी जांच
सीबीआइ एनआरएचएम घोटाले में केवल वर्ष 2010 में दवा खरीद की ही नहीं बल्कि वर्ष 2005 में योजना के शुरू होने के बाद 2010 तक खरीदी गई सभी दवाओं की खरीद की जांच करेगी।
By Edited By: Updated: Fri, 13 Sep 2019 11:18 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में वर्ष 2010 में हुए एनआरएचएम (नेशनल रूरल हेल्थ मिशन) घोटाले की सीबीआइ जांच को यदि सरकार मंजूरी देती है तो इस जांच का दायरा काफी बढ़ सकता है। सूत्रों की मानें तो सीबीआइ इस मामले में केवल वर्ष 2010 में दवा खरीद की ही नहीं, बल्कि वर्ष 2005 में योजना के शुरू होने के बाद 2010 तक खरीदी गई सभी दवाओं की खरीद की जांच करेगी। हालांकि, सीबीआइ ने अभी स्वास्थ्य विभाग के सात कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी है।
उत्तराखंड में वर्ष 2010 में एनआरएचएम घोटाला सामने तब आया था, जब रुड़की के एक नाले में एनआरएचएम योजना के तहत खरीदी गई दवा नाले में मिली। यह सभी एक्सपायरी डेट की थी। इसकी गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच कराई गई। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि योजना के तहत फरवरी 2009 में आयरन टेबलेट, सिरप, सेनेट्री पैड, ओआरएस के पैकेट आदि खरीदे गए थे। इनका वितरण सही प्रकार से नहीं हुआ। दवाओं के इस्तेमाल की तिथि यानी एक्सपायरी डेट निकलने पर इन्हें फेंक दिया गया।
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सवाल यह उठा कि जब इस तरह की दवाओं में तीन वर्ष तक के इस्तेमाल की अवधि होती है तो फिर पुरानी दवाएं क्यों खरीदी गई। यह मामला सूचना आयोग भी पहुंचा। आयोग ने इस पर सख्ती दिखाते हुए जांच सीबीआइ से कराने की संस्तुति की। पांच वर्ष बाद अब सीबीआइ ने इस मामले में जांच की अनुमति मांगी है। सूत्रों की मानें तो शुरुआती जांच में यह घोटाला 29 लाख का माना गया। हालांकि, विभागीय जांच में भी यह बात कही गई कि यदि योजना शुरू होने के बाद सभी खरीद की जांच की जाए तो यह घोटाला करोड़ों का हो सकता है। इसी क्रम में यह माना जा रहा है कि अनुमति मिलने पर सीबीआई प्रदेश में एनआरएचएम योजना चलने की अवधि यानी वर्ष 2005 से 2012 तक की समस्त दवा खरीद की जांच कर सकती है।
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