संवाद सूत्र, चकराता। मैदानी क्षेत्रों में उमसभरी गर्मी से लोग बेहाल हैं, लेकिन एक दो वर्षा के बाद चकराता क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या घटने लगी है। दरअसल, वर्षा होते ही जौनसार-बावर में भूस्खलन से रास्ते बंद होने को देखते हुए पर्यटक चकराता से दूरी बना लेते हैं। पर्यटकों के न आने से पर्यटन व्यवसाय करने वालों का कारोबार भी ठंडा पड़ जाता है।
जब मैदानी क्षेत्रों में भीषण गर्मी से निजात पाने के लिए पर्यटक चकराता का रुख करते हैं तो यहां रौनक बढ़ जाती है। साथ ही व्यापारियों के चेहरे खिल उठते हैं। लेकिन वर्षा होने पर यहां रास्ते बंद होने शुरू हो जाते हैं, क्षेत्रीय लोगों की दिक्कतें भी बढ़ जाती है। साथ ही पर्यटक दूरी बना लेते हैं। हाल ही में दो बार की बरसात में जौनसार बावर में सात मोटर मार्ग बंद हुए थे, जिनसे मलबा हटाने को जेसीबी लगानी पड़ी थी।
पर्यटकों की घटी संख्या
पूरे दिन आवागमन प्रभावित रहा था। इन्हीं परेशानियों को देखते हुए पिछले दिनों की तुलना में पर्यटकों की आमद में काफी कमी देखने को मिली है।
छावनी बाजार सहित जौनसार-बाबर के ऊंचाई वाले इलाके वर्षा होने से क्षेत्र को कोहरा अपने आगोश में ले रहा है। ऊंचाई वाले क्षेत्र में हल्की ठंड भी बढ़ गई है। ज्यादा समय लेकर आने वाले पर्यटक इन नजारे का आनंद ले रहे हैं, लेकिन पर्यटकों की संख्या काफी कम है।
रविवार को सप्ताहांत को देखते हुए पर्यटकों की आमद हुई, लेकिन संख्या काफी कम रही। यही वजह है कि इस बार रविवार को होटल, होम स्टे, रिसार्ट, गेस्ट हाउस करीब 60 प्रतिशत ही फुल हो पाए। जबकि गर्मी के सीजन में वीकेंड पर होटल आदि 90 प्रतिशत तक फुल होते थे।
पर्यटन व्यवसाय से जुड़े विक्रम पंवार, दिगंबर सिंह चौहान, अशोक कुमार गोयल, राहुल चांदना, अनिल बिज्लवाण, आनंद सिंह राणा आदि का कहना है कि वर्षा शुरू होते ही पर्यटकों की आमद में कमी देखने को मिली है। बरसात के दो महीने तक पर्यटक पहाड़ों से दूरी बना लेते हैं। जिसका सीधा असर पर्यटन व्यवसाय पर पड़ेगा। वहीं, गर्मी के सीजन में पर्यटक की अच्छी आमद रही, कारोबार अच्छा रहा।
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