उत्तराखंड में 16 हजार बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में दिया जा रहा पोषाहार
उत्तराखंड में नौनिहालों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने को चल रही मुहिम के तहत 16437 कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को निरंतर ऊर्जा मिल रही है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 05 Sep 2019 12:56 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। देवभूमि उत्तराखंड में नौनिहालों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने को चल रही मुहिम के तहत 16437 कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को निरंतर 'ऊर्जा' मिल रही है। यह वह ऊर्जा है, जिसे स्थानीय स्तर पर ही तैयार किया गया है। चौंकिये नहीं, यह पौष्टिकता से लबरेज स्थानीय खाद्यान्नों पर आधारित पूरक पोषाहार की सामग्री है, जिसे नाम दिया गया है ऊर्जा। इसके अच्छे नतीजे सामने आए हैं। इस मुहिम से जहां कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चे लगातार सामान्य श्रेणी में आ रहे हैं, वहीं सामग्री तैयार करने में स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूहों को रोजगार भी मिल रहा है।
कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को पोषाहार ऊर्जा देने की मुहिम देहरादून जिले से शुरू की गई। नतीजे अच्छे आए तो धीरे-धीरे राज्य के सभी जिलों को इसमें शामिल कर लिया गया, ताकि बच्चों को अतिरिक्त पोषक तत्व खिलाकर उन्हें कुपोषण से निजात दिलाई जा सके। 19941आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से यह पोषाहार कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को दिया जा रहा है।
इसके परिणामस्वरूप अब तक 2720 कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चे सामान्य की श्रेणी में आ गए हैं। कोशिशें रंग लाईं तो अगले कुछ वर्षों में राज्य से कुपोषण का दाग धुल जाएगा।
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ऐसे देते हैं बच्चों को ऊर्जा
पोषाहार ऊर्जा को एयर टाइट जार में रखा जाता है। आंगनबाड़ी केंद्रों में छह माह से एक वर्ष तक के कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को 50 ग्राम प्रतिदिन, एक से तीन वर्ष तक के बच्चों को 100 ग्राम प्रतिदिन दिया जाता है। तैयार पोषाहार ऊर्जा के उपभोग की अवधि एक माह रखी गई है।
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