उत्तराखंड में अफसरशाही का कमाल, घोटाले केे आरोपित को किया बहाल
उत्तराखंड में अफसरशाही के मनमानेपन की इंतेहा हो गई। 500 करोड़ से ज्यादा के छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपित और इसी वजह से निलंबित एक अधिकारी को गुपचुप तरीके से बहाल कर दिया।
By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Mon, 25 May 2020 01:33 PM (IST)
देहरादून, विकास धूलिया। अफसरशाही की निरंकुशता की कहानी सूबे में उतनी ही पुरानी है, जितना अपना सूबा। अब तक आई सरकारों में कोई ऐसी नहीं रही, जिसके मंत्री इसके शिकार न हुए हों। तमाम मंत्री सार्वजनिक मंचों से इसका इजहार करने से चूके भी नहीं।
इस बार तो मानो मनमानेपन की इंतेहा ही हो गई। 500 करोड़ से ज्यादा के छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपित और इसी वजह से निलंबित एक अधिकारी को गुपचुप तरीके से न केवल बहाल कर दिया गया, बल्कि तैनाती भी दे दी गई। अफसरशाही की हिमाकत देखिए, इतने गंभीर और चर्चित मामले में विभागीय मंत्री का अनुमोदन तक नहीं लिया। मीडिया में खबर आई तो समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य हैरान रह गए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इससे खासे खफा हुए। अफसर तो फिर से निलंबित हुआ ही, मुख्यमंत्री ने तत्काल मुख्य सचिव को मामले की जांच सौंप हिमाकत करने वालों के खिलाफ एक्शन के आदेश दे दिए।
जनाब बेकरार, मगर नहीं मिलेगी नई कारकोविड-19 का असर आर्थिकी पर बहुत बुरा गुजरा है। सरकार से लेकर उद्योगपति और नौकरीपेशा, हर कोई परेशान सा है। अब तो सरकार के नुमाइंदों और बड़े-बड़े अफसरों तक के चेहरों पर भी शिकन दिखाई भी देेने लगी है।
दरअसल, राज्य को आर्थिक नुकसान से उबारने के उपाय सुझाने को गठित पांडे समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि इस वित्तीय वर्ष में एंबुलेंस, अग्निशमन सेवाओं को छोड़कर वाहनों की सभी नई खरीद रोक दी जाए। साफ है कि न तो नेता जी और न बड़े साहब, किसी को भी नई बड़ी वाली गाड़ी इस साल तो मिलने वाली नहीं है।
हर साल गाड़ी बदलने का शौक रखने वालों को इससे झटका लगा है। जिस तरह के हालात हैं, तय है कि सरकार जल्द इस सिफारिश को मान ही लेगी। हालांकि, ज्यादातर के पास जो गाड़ी है, ज्यादा पुरानी नहीं हैं, लेकिन जनाब शौक भी तो कोई चीज है।हैप्पी बर्थडे मनोहर जी, जज्बे को सलामकोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए हर देशवासी अपना योगदान देने को तत्पर है। अपनी हैसियत के मुताबिक हर कोई सरकार को इसके लिए धनराशि दे रहा है। इस सबके बीच कुछ ऐसे लोग भी मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं, जिनका जज्बा दिल को छू जाता है।
ऐसा ही एक वाकया चार दिन पहले भी सामने आया। देहरादून के एक बुजुर्ग सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य मनोहर सिंह रावत ने अपना 85-वां जन्म दिवस बिल्कुल अनूठे अंदाज में सेलिब्रेट किया। उन्होंने इस दिन को कोरोना से युद्ध को समॢपत करते हुए 85 हजार रुपये की धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराई। वरिष्ठ नागरिक रावत की इस भावना की स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सराहना करते हुए उन्हें शॉल भेंट कर सम्मानित किया। अब आप ही बताइए, भला जब एक सेवानिवृत्त बुजुर्ग, जो अपनी पेंशन की जमा धनराशि देश को समॢपत कर दे, उनकी इस दानशीलता को कौन नहीं सलाम करेगा।
ऑड ईवन का फरमान, हर कोई हैरानलॉकडाउन चार के लिए जब नई गाइडलाइन आई तो उत्तराखंड में अफसरों ने एक ऐसा फैसला लिया, जिससे हर कोई हैरान था। पता नहीं नीति-नियंताओं को क्या सूझी, राज्य के सभी आठ नगर निगमों में चार पहिया वाहनों के लिए ऑड ईवन सिस्टम लागू कर दिया। कोरोना काल में सड़कों पर अमूमन वाहन वैसे ही कम, सुरक्षित शारीरिक दूरी भी बनानी है, तो दिल्ली में लागू होने वाली व्यवस्था का औचित्य किसी को भी समझ नहीं आया। दिल्ली में यह फार्मूला प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लागू किया जाता है, लेकिन उत्तराखंड में तो ऐसा कुछ नहीं।
यह भी पढ़ें: व्यक्ति पूजा और प्रशस्ति भाजपा की कार्य संस्कृति नहीं: अजेंद्र अजयदिलचस्प यह कि तब सड़कों पर सार्वजनिक परिवहन को भी अनुमति नहीं थी। सवाल तो उठने ही थे। नतीजा यह हुआ कि दूसरे ही दिन खुद मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा। तब जाकर यह फरमान वापस लिया गया। अलबत्ता, अब तक जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है कि यह नायाब सोच थी किसकी।
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