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उत्तराखंड में हर साल औसतन सुलग रहा 1978 हेक्टेयर वन क्षेत्र, 12 साल में हो चुकी हैं इतनी घटनाएं

Uttarakhand Forest Fire उत्तराखंड में हर साल औसतन 1978 हेक्टेयर वन क्षेत्र सुलग रहा है। 12 साल में राज्य में जंगल की आग की करीब 1574 घटनाएं हुई हैं। यह सही है कि यहां वनों में आग सतह पर अधिक फैलती है। इ

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Fri, 18 Feb 2022 12:00 PM (IST)
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उत्तराखंड में हर साल औसतन सुलग रहा 1978 हेक्टेयर वन क्षेत्र।
केदार दत्त, देहरादून। Uttarakhand Forest Fire उत्तराखंड में मौसम भले ही अभी तक साथ दे रहा है, लेकिन वनों को आग से बचाने के दृष्टिकोण से संवेदनशील समय शुरू होने के साथ ही चिंता और चुनौती दोनों बढ़ गए हैं। 12 साल के आंकड़ों को देखें तो इस अवधि में जंगलों में आग की 13574 घटनाएं हुई हैं और हर साल औसतन 1978.25 हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की चपेट में आ रहा है। यह सही है कि यहां वनों में आग सतह पर अधिक फैलती है। इससे बड़े पेड़ों को नुकसान भले ही कम पहुंचता हो, लेकिन छोटे पौधों के साथ ही नाना प्रकार की वनस्पतियों, जड़ी-बूटियों और पारिस्थितिकी में अहम योगदान देने वाले असंख्य कीट-पंतगों, सांप-बिच्छू जैसे छोटे जीवों की हानि हो रही है।

विषम भूगोल और 71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाला उत्तराखंड देश के पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। राज्य से हर साल मिलने वाली तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की पर्यावरणीय सेवाओं में लगभग एक लाख करोड़ रुपये का योगदान अकेले वनों का है। ऐसे में वनों पर प्रतिवर्ष टूटने वाले आग रूपी संकट से सभी का चिंतित होना स्वाभाविक है। जंगलों की आग के दृष्टिकोण से तस्वीर को देखें तो प्रतिवर्ष ही वन संपदा को इससे भारी नुकसान पहुंच रहा है।

अब इसे ग्लोबल वार्मिंग का असर कहें या कुछ और, लेकिन यह भी सच है कि यहां के जंगल कभी भी धधक जा रहे हैं। अमूमन, 15 फरवरी से मानसून के आने तक की अवधि के दौरान तापमान बढ़ने पर जंगल अधिक सुलगते हैं। इसीलिए इस कालखंड को फायर सीजन (अग्निकाल) कहा जाता है। वर्ष 2020 में यह धारणा टूटी है। तब अक्टूबर से जंगलों के धधकने का क्रम शुरू हुआ और पिछले वर्ष मानसून के बरसने तक जारी रहा था। इसे देखते हुए सरकार ने फायर सीजन की अवधि को वर्षभर कर दिया था। तब अक्टूबर से हुई आग की घटनाओं को वर्ष 2021 में शामिल किया गया। इस बार सर्दियों से ही ठीक-ठाक बारिश व बर्फबारी हो रही है। ऐसे में जंगलों की आग के दृष्टिकोण से सुकून जरूर है, लेकिन आने वाले दिनों में पारे के उछाल भरने पर यह चुनौती सिर पर खड़ी है। ऐसे में वन विभाग के अधिकारियों के माथों पर चिंता की लकीरें उभरना स्वाभाविक है।

12 साल में आग की घटनाएं

वर्ष, घटनाएं, प्रभावित क्षेत्र

2021, 2813, 3943.88

2020, 135, 172.69

2019, 2158, 2981.55

2018, 2150, 4480.04

2017, 805, 1244.64

2016, 2074, 4433.75

2015, 412, 701.61

2014, 515, 930.33

2013, 245, 384.05

2012, 1328, 2823.89

2011, 150, 231.75

2010, 789, 1810.82

(स्रोत: वन विभाग। घटनाएं संख्या में और प्रभावित क्षेत्र हेक्टेयर में)

वनों पर एक नजर

-53483 वर्ग किमी है उत्तराखंड का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल।

-37999.60 वर्ग किमी राज्य में अभिलिखित वन क्षेत्र।

-25863.18 वर्ग किमी वन क्षेत्र है वन विभाग के अधीन।

-4768.704 वर्ग किमी वन क्षेत्र का प्रबंधन करता है राजस्व विभाग।

-7168.502 वर्ग किमी क्षेत्र का प्रबंधन वन पंचायतों के पास।

-156.444 वर्ग किमी वन क्षेत्र का प्रबंधन है निजी हाथों में।

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