अफगानिस्तान में फंसे बेटे की राह देख रहा देहरादून का यह परिवार
देहरादून के तेलपुर गांव में रहने वाला एक परिवार अफगास्तिान में फंसे अपने बेटे को लेकर परेशान है। काबुल एयरपोर्ट पर विमान नहीं पहुंचने से उसकी यात्रा रद हो गई। इस कार वह काबुल में इधर उधर भटक रहा है।
जागरण संवाददाता, विकासनगर। अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जा करने के बाद वहां के लोग खौफ के साये में जी रहे हैं। वहां रहने वाले तमाम भारतीय नागरिकों की जान भी सांसत में पड़ गई है। इनमें उत्तराखंड के निवासी भी शामिल हैं। अब वह वतन वापसी के लिए बेकरार हैं। उनका हर एक दिन आंसुओं की धार और भविष्य की चिंता के बीच बामुश्किल गुजर रहा है। यही हाल यहां उनके स्वजन का है। अपनों की चिंता में उनके दिन का सुकून और रात की नींद तक गायब हो चुकी है। ऐसी ही व्यथा से जूझ रही हैं देहरादून के तेलपुर गांव में रहने वाली आभा पुन। वह अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में फंसे इकलौते बेटे रिकेश की वापसी की बाट जोह रही हैं। काबुल में भूखे-प्यासे भटक रहे लाल की मंगलवार को वापसी की उम्मीद जगी थी, लेकिन एयरपोर्ट पर विमान नहीं पहुंचने के कारण यात्रा रद हो गई।
आभा बताती हैं कि रिकेश काबुल स्थित यूएन कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के लिए अक्टूबर 2020 में अफगानिस्तान गया था। वहां तालिबान के काबिज होने से हालात बिगड़ने लगे तो अधिकतर कर्मी स्वदेश लौटने लगे। रिकेश को भी 17 अगस्त को लौटना था, लेकिन एयरपोर्ट पर विमान नहीं पहुंचा। इससे पहले रिकेश को काबुल एयरपोर्ट के पास एक होटल में रखा गया था। लेकिन, अब वह इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। दो दिन से खाना भी नहीं मिला है। इससे मां की चिंता और बढ़ गई है। इसको लेकर परिवार के अन्य सदस्य भी बेहद परेशान हैं। रिकेश की दादी ज्योति गुरुंग ने बताया कि मंगलवार को पोते से बात हुई थी। उसने बताया कि वह भूखा और प्यासा है। उसके पास पैसे भी नहीं हैं। होटल से साढ़े पांच किलोमीटर पैदल चलकर एयरपोर्ट तक पहुंचा, मगर फ्लाइट नहीं मिली।
इसी वर्ष अक्टूबर में होनी है रिकेश की शादी
आभा बताती हैं कि उन्होंने रिकेश को अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात को देखते हुए काफी पहले लौटने के लिए कहा था, लेकिन उसने बात नहीं मानी। इसी अक्टूबर में उसकी शादी होनी है। गुरुवार को गोर्खाली सुधार सभा के शाखा अध्यक्ष जोगेंद्र शाह ने आभा से मुलाकात कर उनका हौसला बढ़ाया।
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