'एक जिला-एक फसल' में छूट को केंद में दस्तक
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किसानों और छोटे उद्यमियों के लिए प्रारंभ की गई प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में एक जिला-एक फसल के मानक में उत्तराखंड छूट चाहता है।
By JagranEdited By: Updated: Tue, 18 Aug 2020 08:29 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किसानों और छोटे उद्यमियों के लिए प्रारंभ की गई प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में 'एक जिला-एक फसल' के मानक में उत्तराखंड छूट चाहता है। इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र में दस्तक दी है। उत्तराखंड का तर्क है कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों के साथ ही राज्य में विविध कृषि जलवायु है। ऐसे में एक जिले में एक फसल को उत्पादित करना व्यावहारिक नहीं होगा। केंद्र से आग्रह किया गया है कि योजना के तहत राज्य के पर्वतीय जिलों में एक से अधिक फसलों की अनुमति दी जाए। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना लागू करने के लिए उत्तराखंड को एक जिले में एक फसल उत्पादन के निर्देश दिए हैं। इससे कृषि महकमा पसोपेश में है। असल में राज्य की भौगोलिक स्थिति मैदानी, लघु, मध्य व उच्च हिमालय में विभक्त है। एक ही जिले में अलग-अलग भूगोल व जलवायु भिन्नता के कारण अलग-अलग फसलें उगाई जा रही हैं। ऐसे में एक जिले में एक ही फसल का उत्पादन कैसे होगा, यह चिंता राज्य सरकार को सता रही है। इस सबको देखते हुए कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री को पत्र भेजकर राज्य की इन परिस्थितियों की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया है। उन्होंने कहा है कि पहाड़ी क्षेत्रों में ऊंचाई पर आधारित कृषि जलवायु के अनुसार फसलें उगाई जा रही हैं। एक ही जिले में मृदा, वर्षा व तापमान में काफी भिन्नता होती है। एक जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सगंध व औषधीय पादप, मध्य हिमालयी क्षेत्रों में शीतोष्ण फल, सब्जियां, खाद्यान्न, डेरी, मत्स्य, दलहन और मैदानी क्षेत्रों में खाद्यान्न आदि फसलोत्पादन की विविधता है। कृषि मंत्री उनियाल ने पत्र में कहा है कि ऐसे में एक ही जिले में अलग-अलग ऊंचाईयों व जलवायु की अनुकूलता के दृष्टिगत एक ही फसल अथवा उत्पाद व्यावहारिक नहीं होगा।
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