1995 में रिटायर, 2001 में पेंशन; अब बढ़ोत्तरी को कट रहे चक्कर
85 साल की उम्र में एक पूर्व कार्मिक सातवें वेतनमान के अनुरूप संशोधित पेंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को विवश है। विभाग ने उनकी सर्विस बुक ही गायब कर दी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 18 Jan 2020 02:04 PM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। रिटायरमेंट के बाद कोई कार्मिक विभाग के लिए कितना गैर हो जाता है, शिक्षा विभाग का यह प्रकरण इस बात का जीता-जागता उदाहरण है। 85 साल की उम्र में एक पूर्व कार्मिक सातवें वेतनमान के अनुरूप संशोधित पेंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को विवश है। जिस विभाग के लिए रिटायर्ड कार्मिक ने 60 वर्ष की उम्र तक सेवा की, उसने उनकी सर्विस बुक ही गायब कर दी। सूचना आयोग पहुंचे इस मामले में राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाईं ने देहरादून के जिला शिक्षाधिकारी (बेसिक) को दोषी कार्मिकों के खिलाफ एफआइआर कराने के आदेश दिए हैं। साथ ही अपने आदेश की प्रति इस आशय के साथ शिक्षा निदेशक को भेजी कि वह विभाग में ऐसे रिटायर्ड कार्मिकों की पहचान कर लें, जिनके पेंशन संबंधी प्रकरण सर्विस बुक गुम होने से लंबित चल रहे हैं।
राजपुर रोड के आर्यनगर निवासी राम प्रसाद कोठारी वर्ष 1995 में रिटायर हो गए थे। विभागीय लापरवाही के चलते पहले उन्हें पेंशन के लिए छह साल की लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। तब जाकर वर्ष 2001 में पेंशन स्वीकृत हुई। अब जब रिटायर्ड कार्मिकों की पेंशन सातवें वेतनमान के अनुरूप संशोधित की गई तो राम प्रसाद कोठारी को एक बार फिर अधिकारियों की चौखट पर एड़ियां रगड़नी पड़ रही हैं। पेंशन संशोधन को लेकर उन्होंने जिला शिक्षाधिकारी (बेसिक) से आरटीआइ में भी जानकारी मांगी थी। यहां से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उन्हें सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाईं ने इस बाबत अधिकारियों का जवाब तलब किया। तब पता चला कि राम प्रसाद कोठारी के अथक प्रयास के बाद छह साल के विलंब से पेंशन तो स्वीकृत कर दी गई थी, मगर उनकी सर्विस बुक को कोषागार नहीं भेजा गया। यह बात भी सामने आई कि सर्विस बुक कहीं गुम कर दी गई है। सुनवाई में स्पष्ट हुआ कि उनके पेंशन प्रपत्र उस समय के सहायक बेसिक शिक्षाधिकारी, रायपुर (वर्तमान में जिला शिक्षाधिकारी, बेसिक) के कार्यालय में तैयार किए गए थे, लिहाजा सर्विस बुक भी संबंधित कार्यालय से गायब हुई है। क्योंकि सर्विस बुक स्थायी रूप से संरक्षित रखी जाती है, लिहाजा दोषी कार्मिकों की पहचान कर उनके खिलाफ जिला शिक्षाधिकारी (बेसिक) एफआइआर दर्ज कराना सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही इस मामले में बीच का रास्ता यह निकाला गया कि अपीलार्थी के आधार कार्ड, पीपीएफ नंबर व कुछ जरूरत दस्तावेज के माध्यम से संशोधित पेंशन का निर्धारण कर दिया जाएगा।
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सूचना आयोग की पहल के बाद शिक्षा निदेशक यह पता लगवाएंगे कि विभाग में पेंशन निर्धारण के कितने मामले सर्विस बुक गुम होने के चलते लंबित चल रहे हैं। आयोग ने यह निर्देश भी दिया है कि शिक्षा निदेशक कार्मिकों की सर्विस बुक के ढंग से रख-रखाव की व्यवस्था भी सुनिश्चित कराएंगे। ताकि रिटायरमेंट के बाद कार्मिकों को अनावश्यक परेशानी न उठानी पड़े।
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