उत्तराखंड के हर ब्लाक में एक मॉडल गांव
उत्तराखंड के गांवों से लगातार हो रहे पलायन को थामने के लिए सरकार ने हर ब्लाक में किसानों को केंद्र में रखकर एक मॉडल गांव बनाने का निर्णय लिया है।
देहरादून, [केदार दत्त]: कोशिशें परवान चढ़ीं तो राज्य के 95 विकासखंडों में वीरान गांव भी खूब चमक बिखरेंगे। गांवों से लगातार हो रहे पलायन को थामने के लिए सरकार ने हर ब्लाक में किसानों को केंद्र में रखकर एक मॉडल गांव बनाने का निर्णय लिया है। सभी तरह की सुविधाओं से लैस मॉडल गांव के आधार अन्य गांवों को भी धीरे-धीरे इसी तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इस सिलसिले में कृषि, सहकारिता, उद्यान, डेयरी, पशुपालन, ग्राम्य विकास समेत अन्य विभागों से सुझाव लिए जा रहे हैं। सहकारिता राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत के अनुसार जल्द ही मॉडल गांव घोषित कर वहां विभिन्न योजनाएं संचालित की जाएंगी।
पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड से गांव लगातार खाली हो रहे हैं। 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि पलायन के चलते 2.85 लाख घरों में ताले लटके हैं। यही नहीं, 968 गांव भुतहा घोषित किए जा चुके हैं। यानी इन गांवों में कोई नहीं रहता और वहां के घर खंडहर में तब्दील हो गए हैं। दो हजार के लगभग गांव ऐसे हैं, जिनके बंद घरों के दरवाजे पूजा अथवा किसी खास मौके पर ही खुलते हैं। इस सबका का असर खेती पर भी पड़ा है। सरकार भी मानती है कि राज्य गठन से अब तक 70 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर में तब्दील हो गई है। हालांकि, गैर सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो बंजर कृषि भूमि का रकबा एक लाख हेक्टेयर से अधिक है।
सूरतेहाल, मौजूदा सरकार ने गांव की आत्मा यानी किसान को ध्यान में रखकर प्रत्येक विकासखंड में एक मॉडल गांव विकसित करने की ठानी है। वैसे भी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी है। इस लिहाज से उसका यह कदम अभूतपूर्व हो सकता है। सहकारिता राज्यमंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने बताया कि मुख्यमंत्री ने मॉडल गांव बनाने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इसके साथ ही मॉडल गांव का खाका तैयार करने की कवायद भी प्रारंभ कर दी गई है।
डॉ.रावत के अनुसार मॉडल गांव में किसान को केंद्र में रखकर सभी विभाग वहां मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही विभिन्न योजनाएं संचालित करेंगे। रोजगारपरक कार्यक्रम भी संचालित होंगे। उन्होंने बताया कि मॉडल गांव पूरे विकासखंड के लिए एक आधार होंगे और फिर इसी तर्ज पर अन्य गांव भी विकसित किए जाएंगे। इससे जहां पलायन पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी, वहीं खेती संवरने से किसानों की आय भी दोगुना होगी।