देहरादून में एक महिला ने अस्पताल के गेट पर दिया बच्चे को जन्म
दून महिला अस्पताल में एक महिला ने अस्पताल के गेट पर बच्चे को जन्म दिया। जिस पर चिकित्सक ये तर्क दे रहे हैं कि प्रसव पीड़ा होने पर महिला देरी से अस्पताल पहुंचीं थी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 26 Jul 2019 03:39 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी का चाहे जितना दंभ भरे, पर आए दिन हो रही घटनाएं सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही हैं। ताजा मामला दून महिला अस्पताल से जुड़ा है। यहां बालावाला क्षेत्र की एक महिला ने अस्पताल के गेट पर बच्चे को जन्म दे दिया। जिस पर चिकित्सक ये तर्क दे रहे हैं कि प्रसव पीड़ा होने पर महिला देरी से अस्पताल पहुंचीं थी। उसकी और बच्चे की हालत अब ठीक है। वहीं, महिला के परिजनों का कहना है कि बालावाला क्षेत्र में बड़ी आबादी रहती है, वहां पर भी डिलिवरी की सुविधा होनी चाहिए।
बालावाला निवासी प्रवीण राणा की पत्नी पुष्पा राणा को बुधवार करीब 11:30 बजे प्रसव पीड़ा हुई। निजी वाहन से परिजन उसे लेकर करीब 12:30 बजे दून महिला अस्पताल पहुंचे। लेकिन, वाहन से उतारते वक्त ही गेट पर ही उनकी डिलिवरी हो गई। गेट पर डिलिवरी होने से अस्पताल कर्मियों में अफरा-तफरी मच गई। महिला को नर्सिंग स्टाफ तुरंत लेबर रूम ले गया। चिकित्सा अधीक्षक टम्टा ने बताया कि महिला की यह तीसरी डिलिवरी थी। उसने स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। इससे पहले उसकी दो बेटियां है। बताया कि वह प्रसव पीड़ा होने पर देरी से असपताल पहुंची थी। जिस वजह से उसकी डिलिवरी वाहन से उतारते वक्त हो गई। वहीं, महिला के परिजनों ने बताया कि आसपास कोई सुविधा नहीं है, जहां पर डिलिवरी करा सकें। उनके क्षेत्र में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि लोगों को इस तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। वहीं, चिकित्सा अधीक्षक ने गर्भवतियों से अपील की है कि वह समय पर अस्पताल पहुंचें।
रात में डॉक्टर नदारद, रेफर हो रहीं गर्भवती
दून महिला अस्पताल पर दबाव कम करने के लिए डालनवाला स्थित गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में 'मातृ एवं शिशु देखभाल' यूनिट शुरू की गई है। पर अस्पताल की ही महिला चिकित्सक सरकार की इस मंशा को पूरा नहीं होने दे रहीं हैं। हद देखिए, दोपहर 2 बजे के बाद यहां गर्भवती को भर्ती ही नहीं किया जा रहा। उन्हें दून महिला अस्पताल या अन्य अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है।
लगातार आ रही इन शिकायतों पर सीएमएस डॉ. बीसी रमोला ने सख्त रुख अख्तियार किया है। उन्होंने स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की ड्यूटी का रोस्टर लागू कर दिया है। अब तक डॉक्टर रात में ड्यूटी से नदारद रहते थे। बुधवार रात को भी तीन महिलाओं को ऐसे ही यहां से रेफर किया गया। मसूरी विधायक गणेश जोशी का फोन भी एक मरीज को लेकर आया और उन्होंने डाक्टरों की कार्यशैली पर नाराजगी जताई। गुरुवार को इस संबंध में सीएमएस ने चिकित्सकों की एक बैठक भी ली। उन्होंने सख्त हिदायत दी कि आइंदा से उन्हें ऐसी शिकायत मिली तो वह तत्काल कार्रवाई करेंगे। इस दौरान गांधी अस्पताल के प्रभारी डॉ. प्रवीण पंवार, डॉ. शालिनी डिमरी, डॉ. दीप्ती सिंह, डॉ. रीना कोठियाल आदि मौजूद रहे।
डॉ. रमोला ने बताया कि 16 से 31 जुलाई तक जो ड्यूटी चार्ट बनाया है, उसमें सुबह आठ से दो बजे तक डॉ. शालिनी डिमरी, दोपहर दो बजे से आठ बजे तक डॉ. दीप्ति सिंह और रात आठ बजे से सुबह आठ बजे तक डॉ. रीना कोठियाल ड्यूटी पर होंगी। वहीं, सिस्टर और फार्मासिस्ट को भी ड्यूटी पर मुस्तैद रहने को सख्त हिदायत दी गई है। इधर, दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को अनावश्यक रूप से महिला अस्पताल में रेफर किया जा रहा है। जिससे अस्पताल पर दबाव बढ़ रहा है। पूर्व में यह व्यवस्था की गई थी कि अस्पताल कम से कम सामान्य डिलिवरी के केस अपने स्तर पर निपटाएंगे। पर इसका पालन नहीं किया जा रहा है। जिसकी शिकायत शासन से की जाएगी।
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