Uttarakhand News: आसन रामसर साइट में सिर्फ कॉमन कूट व सुर्खाब ही, बाकी परिंदों ने भरी ऊंची उड़ान
देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व व उत्तराखंड के पहले रामसर साइट आसन वेटलैंड से प्रवास खत्म कर अधिकांश विदेशी परिंदें अपने मूल स्थान के लिए ऊंची उड़ान भर चुके हैं। रामसर साइट में वर्तमान में कामन कूट व रुडी शेलडक प्रजाति के परिंदे ही रूके हैं जो मार्च माह के अंत या अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह तक अपने मूल स्थान लौट जाएंगे।
जागरण संवाददाता, विकासनगर। देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व व उत्तराखंड के पहले रामसर साइट आसन वेटलैंड से प्रवास खत्म कर अधिकांश विदेशी परिंदें अपने मूल स्थान के लिए ऊंची उड़ान भर चुके हैं।
रामसर साइट में वर्तमान में कामन कूट व रुडी शेलडक प्रजाति के परिंदे ही रूके हैं, जो मार्च माह के अंत या अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह तक अपने मूल स्थान लौट जाएंगे।उत्तराखंड की पहली रामसर साइट आसन वेटलैंड में अक्टूबर में परिंदे प्रवास के लिए आने शुरू हो जाते हैं और अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक यहां पर प्रवास पर रहते हैं। आसन वेटलैंड में छह माह तक प्रवासी परिंदों का राज रहता है, उसके बाद लोकल प्रजाति के परिंदों का राज रहता है।
इस साल 141 प्रजातियों के 5230 एशियन बर्ड्स आए
इस वर्ष आसन रामसर साइट में 141 प्रजातियों के 5230 एशियन बर्ड्स आई थीं। जिसमें से अनेक प्रजातियां देश के ठंडे इलाकों से प्रवास के लिए आई थी। सबसे पहले नार्दन पिनटेल्स, नार्दन शावलर, टफ्ड डक, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब, लिटिल ग्रेब, गैडवाल प्रजातियों के सभी परिंदों ने अपने मूल स्थान की ओर कूच किया था, जिसके बाद बार हेडेड गूज, ग्रे लेग गूज, इरोशियन विजन परिंदों समेत अधिकांश प्रजातियां अपने अपने स्थान को लौट चुके हैं।
प्रवास खत्म कर परिंदों के लौटने से आसन वेटलैंड बेरौनक हो गया है। सबसे खास बात यह है कि प्रवासी परिंदों के प्रवास खत्म कर जाने से गढ़वाल मंडल विकास निगम के आसन रिसार्ट की आय भी घट जाती है।
रंग-बिरंगे परिंदों को देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक आते हैं, जो आसन रिसार्ट की पैडल वोट में झील में जाकर परिंदों को कैमरों में कैद करते हैं। लेकिन परिंदों के लौटने पर पर्यटकों की संख्या भी कम हो जाती है।
चकराता वन प्रभाग की आसन रेंज के वन दारोगा प्रदीप सक्सेना के अनुसार गर्मी बढ़ने के कारण उत्तराखंड के मेहमान परिंदों के लौटने का क्रम तेज हो गया है। जिससे आसन वेटलैंड में कामन कूट व रुडी शेलडक यानि सुर्खाब प्रजातियों के परिंदे ही अभी तक रूके हुए हैं।
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