उत्तराखंड: जंगली सूअर और वनरोज पीड़क जंतु घोषित, इन्हें मारने के आदेश; जानें- पूरी प्रक्रिया
फसलों के लिए मुसीबत का सबब बने जंगली सूअर और वनरोज को पीड़क जंतु घोषित कर दिया गया है। वन क्षेत्रों से बाहर खेतों में धमकने वाले इन जानवरों को अब अनुमति लेकर मारा जा सकेगा। इसके आदेश जारी कर दिए गए हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 08 Nov 2020 07:15 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में फसलों के लिए मुसीबत का सबब बने जंगली सूअर और वनरोज को पीड़क जंतु घोषित कर दिया गया है। वन क्षेत्रों से बाहर खेतों में धमकने वाले इन जानवरों को अब अनुमति लेकर मारा जा सकेगा। शासन के अनुमोदन के बाद मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। अनुमति देने के लिए वन संरक्षक से लेकर वन दारोगा तक को अधिकृत किया गया है, ताकि जनसामान्य को कोई दिक्कत न होने पाए।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पूर्व में उत्तराखंड में जंगली सूअर व वनरोज को एक साल के लिए पीड़क जंतु (मानव जीवन और फसलों के लिए हानिकारक वन्यप्राणी) घोषित किया था। यह अवधि पिछले साल खत्म हो गई थी। इस पर राज्य की ओर से यह अवधि बढ़ाने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया। इस बीच पांच अक्टूबर को दिल्ली में हुई राष्ट्रीय वन्यजीव सलाहकार परिषद की बैठक में राज्यों से कहा गया कि वे किसी भी समस्याग्रस्त वन्यजीव को पीड़क जंतु घोषित करने का केंद्र सरकार को प्रस्ताव न भेजें। राज्यों को निर्देश दिए गए कि वे ऐसे मामलों में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत स्वयं निर्णय लेते हुए समस्या का निदान करें।इसके बाद वन मुख्यालय ने प्रस्ताव तैयार कर अनुमोदन के लिए शासन को भेजा।
वहां से हरी झंडी मिलने पर अब मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने जंगली सूअर व वनरोज को पीड़क जंतु घोषित करने के आदेश जारी कर दिए। इसके मुताबिक संरक्षित और आरक्षित वन क्षेत्रों से बाहर जनसामान्य के लिए परेशानी का सबब बने इन वन्यजीवों को मारने के लिए अनुमति लेनी होगी। इसके लिए वन संरक्षक, प्रभागीय वनाधिकारी, सहायक वन संरक्षक, वन क्षेत्राधिकारी, उप वन क्षेत्राधिकारी, वन दारोगा को अधिकृत किया गया है। एक बार में अनुमति आदेश 15 दिन के लिए मान्य होगा।
यह होगी प्रक्रियामुख्य वन्यजीव प्रतिपालक सुहाग के अनुसार वन क्षेत्र से बाहर अगर किसी इलाके में जंगली सूअर और वनरोज सक्रिय हैं तो इन्हें मारने की अनुमति के लिए विधिवत आवेदन करना होगा। इसमें ग्राम प्रधान की संस्तुति अनिवार्य होगी। अनुमति के बाद सूअर व वनरोज को केवल गैर वन भूमि में ही बंदूक या रायफल से मारा जाएगा। यदि कोई जानवर घायलावस्था में वन क्षेत्र की तरफ जाता है तो उसका पीछा नहीं किया जाएगा। मारे गए जानवर के शव को वन रक्षक और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में नष्ट किया जाएगा।
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