75 साल बाद ऑर्डनेंस फैक्ट्री ने छोड़ा पुराना ढर्रा, फैक्ट्री में बनेगा ये डिवाइस
सेना के लिए रात-दिन दुश्मन पर नजर रखने के उपकरण बनाने वाली ऑर्डनेंस फैक्ट्री (आयुध निर्माणी) ने आखिरकार अपना 75 साल पुराना ढर्रा त्याग दिया है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 18 Mar 2018 04:22 PM (IST)
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: सेना के लिए रात-दिन दुश्मन पर नजर रखने के उपकरण बनाने वाली ऑर्डनेंस फैक्ट्री (आयुध निर्माणी) ने आखिरकार अपना 75 साल पुराना ढर्रा त्याग दिया है। ऑर्डनेंस फैक्ट्री अब पारंपरिक डे-नाइट साइट की जगह फैक्ट्री थर्मल इमेजर डिवाइस बनाएगी। प्रथम चरण में बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) और सीआरपीएफ (सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स) के लिए 1700 हैंड हेल्ड थर्मल इमेजर डिवाइस बनाए जाएंगे। शनिवार को आयुध निर्माणी दिवस पर यह जानकारी वरिष्ठ महाप्रबंधक डीएम पुरी ने जागरण के साथ साझा की।
आयुध निर्माणी के वरिष्ठ महाप्रबंधक पुरी के मुताबिक अब तक फैक्ट्री में सेना के लिए पारंपरिक डिवाइस बनाए जा रहे थे। इसमें रात्रि और दिन में देखने के लिए अलग-अलग डिवाइस बनाए जाते थे। जबकि, थर्मल इमेजर डिवाइस में एक साथ दिन और रात में देखने की क्षमता होगी। डिवाइस का डिजाइन ऑर्डनेंस फैक्ट्री के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (बेल) तैयार कर रहा है और इसके बाद डिवाइस फैक्ट्री में ही बनाए जाएंगे। करीब 170 करोड़ रुपये की लागत से ये डिवाइस बनाए जा रहे हैं, जो अगले वित्तीय वर्ष में तैयार हो जाएंगे। भविष्य में भी निर्माणी थर्मल इमेजर डिवाइस बनाएगी।
यह होगी डिवाइस की क्षमता
- एक किलोमीटर दूरी तक रात और दिन में किसी भी हलचल को देखा जा सकता है।- जबकि, 500 से 800 मीटर के बीच किसी भी टारगेट की आसानी से पहचान संभव।
700 मोनोकुलर का भी निर्माणआयुध निर्माणी के वरिष्ठ महाप्रबंधक डीएम पुरी के मुताबिक बायनोकुलर (दूरबीन) से कहीं छोटी डिवाइस मोनोकुलर भी बनाए जा रहे हैं। करीब 700 डिवाइस सीआरपीएफ के लिए तैयार की जा रही हैं। जिस तरह बायनोकुलर का इस्तेमाल दो आंखों से किया जाता है, इसका प्रयोग एक आंख से किया जाएगा। यह आकार में भी बहुत छोटी है, लिहाजा इसे प्रयोग करना बेहद आसान है। मोनोकुलर को हेलमेट पर भी लगा सकते हैं।
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