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300 आयुर्वेदिक अस्पतालों में लगेंगे आक्सीजन बेड, चिकित्सक और फार्मासिस्टों की भी होगी तैनाती

उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार यहां स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की तैयारी कर रही है। इस कड़ी में प्रदेश के 300 आयुर्वेदिक अस्पतालों को 24 घंटे संचालित करने के साथ ही इनमें 10 बेड भी लगाए जाएंगे।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Thu, 20 May 2021 06:35 AM (IST)
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300 आयुर्वेदिक अस्पतालों में लगेंगे आक्सीजन बेड।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार यहां स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की तैयारी कर रही है। इस कड़ी में प्रदेश के 300 आयुर्वेदिक अस्पतालों को 24 घंटे संचालित करने के साथ ही इनमें 10 बेड भी लगाए जाएंगे। इनमें पांच आक्सीजन बेड और पांच सामान्य बेड होंगे। इसके लिए इन अस्पतालों में चिकित्सकों और फार्मासिस्ट की तैनाती भी की जाएगी। 

प्रदेश में इस समय पर्वतीय व ग्रामीण इलाकों में कोरोना तेजी से पांव पसार रहा है। यहां स्वास्थ्य सुविधाएं कम होने के कारण ग्रामीणों को इलाज के लिए जिला अस्पताल अथवा शहरों की ओर दौड़ लगानी पड़ रही है। इसे देखते हुए अब प्रदेश के आयुर्वेदिक अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है। बुधवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में 550 आयुर्वेदिक अस्पताल हैं। इनमें 350 अस्पतालों के अपने भवन हैं। शेष किराये के भवनों पर हैं। 

प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए निर्णय लिया गया है कि 300 अस्पतालों को 10 बेड के अस्पतालों में परिवर्तित किया जाएगा। अभी तक ये आठ घंटे खुलते हैं। अब इन्हें 24 घंटे क्रियाशील किया जाएगा। इसके लिए यहां प्रतिदिन शिफ्ट में दो चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी। इसके लिए उपनल के जरिये 300 चिकित्सक और 70 फार्मासिस्ट की भर्ती की जाएगी। यह निर्णय बीते रोज मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से विचार-विमर्श करने के बाद लिया गया। सचिव वित्त अमित नेगी से इसके लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के संबंध में वार्ता की गई है। 

सचिव आयुष को इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि इस कड़ी में सहस्रधारा स्थित आयुर्वेदिक अस्पताल को 10 बेड के अस्पताल के रूप में बदला गया है। यहां चार आक्सीजन बेड लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम भविष्य की चुनौतियों से निपटने की तैयारी के रूप में उठाया गया है। जहां एलोपैथिक इलाज की व्यवस्था नहीं है वहां आयुर्वेदिक अस्पतालों के जरिये मरीजों का इलाज किया जा सके।

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