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पद्मश्री डा. बीकेएस संजय के नाम एक और उपलब्धि, इंटरनेशनल बुक आफ रिकार्ड्स में मिला स्थान

पद्मश्री डा. बीकेएस संजय व उनके पुत्र डा. गौरव संजय को इंटरनेशनल बुक आफ रिकार्ड्स में स्थान मिला है। बता दें कि पिता-पुत्र अब तक विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में 62 अतिथि लेख लिख चुके हैं। उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य केवल संपत्ति नहीं बल्कि संसाधन भी है।

By Nirmala BohraEdited By: Updated: Thu, 24 Feb 2022 03:31 PM (IST)
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प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते पद्मश्री डा. बीकेएस संजय, साथ में डा. सुजाता।
जागरण संवाददाता, देहरादून। प्रख्यात आर्थोपेडिक सर्जन पद्मश्री डा. बीकेएस संजय व उनके पुत्र डा. गौरव संजय के नाम एक उपलब्धि और जुड़ गई है। स्वास्थ्य के प्रति जन जागरूकता लाने के लिए पिता-पुत्र अब तक विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में 62 अतिथि लेख लिख चुके हैं। जिन्हें अब इंटरनेशनल बुक आफ रिकार्ड्स में स्थान मिला है। इसे एक रिकार्ड के रूप में दर्ज किया गया है।

बचाव, इलाज से ज्यादा बेहतर : डा. बीकेएस संजय

उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता में उन्होंने इसकी जानकारी दी। डा. गौरव संजय ने कहा कि भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य की तिकड़ी विकास का मूल स्तंभ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार और समाज, दोनों इन बुनियादी सिद्धांतों की अनदेखी कर रहे हैं। जिसकी हम भारी कीमत चुका रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केवल संपत्ति नहीं, बल्कि संसाधन भी है। जिसकी देखभाल बहुत जरूरी है। स्वस्थ जीवनशैली बीमारियों को दूर रखती है और दिमाग को पुनर्जीवित करती है। डा. बीकेएस संजय ने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य की अवधारणा बचपन से दी जानी चाहिए, ना कि जीवन के बाद के चरणों में। अच्छे स्वास्थ्य के लिए नियमित व्यायाम, संतुलित भोजन और पर्याप्त आराम जरूरी हैं। जन जागरूकता अभियान स्वास्थ्य देखभाल में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह सभ्रांत व चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों की भी जिम्मेदारी है कि वह समाज के प्रभावित तबके को स्वास्थ्य के प्रति अच्छी व उचित जानकारी दें और जरूरत पडऩे पर इलाज में उनकी मदद करें। हमें याद रखना चाहिए कि बचाव, इलाज से ज्यादा बेहतर है।

जल संरक्षण व संवर्धन बेहद जरूरी: डा. अनीता

उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) की निदेशक डा. अनीता रावत ने कहा कि जल संरक्षण और संवर्धन समय की मांग है। समाज के हर वर्ग को जल संचय की ओर ध्यान देना होगा। बूंद-बूंद पानी बचाने की आदत डालने से ही पेयजल संरक्षण की मुहिम आगे बढ़ेगी। यह बात उन्होंने बुधवार को यूसर्क में आयोजित तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर कही।

उन्होंने प्रतिभागी युवाओं को जल के विभिन्न आयाम जैसे जल की गुणवत्ता का अध्ययन, जल स्रोत का संवर्धन आदि के बारे में जानकारी दी। तीन दिवसीय जल संरक्षण कार्यक्रम में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मालदेवता रायपुर, एसजीआरआर विवि, ग्राफिक एरा हिल विवि, डाल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट आफ बायोमेडिकल एंड नेचुरल सांइसेज, डीबीएस महाविद्यालय के 25 छात्र-छात्राएं भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूसर्क के विज्ञानी डा. भावतोश शर्मा, डा.ओम प्रकाश नौटियाल आदि ने विचार रखे।

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