भाजपा के सामने अब छोटी सरकार में छाने की बड़ी चुनौती
भाजपा के सामने अब गांव की छोटी सरकारों में छाने की बड़ी चुनौती है। छह साल के दरम्यान हुए सभी चुनावों में भाजपा जोरदार प्रदर्शन करती आई है।
By Edited By: Updated: Tue, 24 Sep 2019 01:02 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में वर्ष 2014 से विजय रथ पर सवार भाजपा के सामने अब गांव की 'छोटी सरकारों' में छाने की बड़ी चुनौती है। छह साल के दरम्यान हुए सभी चुनावों में भाजपा जोरदार प्रदर्शन करती आई है और उसने विपक्ष को हर मोर्चे पर धूल चटाई है। बदली परिस्थितियों में उसके सामने ऐसा ही प्रदर्शन त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव में बरकरार रखने की चुनौती है। इसे देखते हुए पार्टी ने तैयारियां भी की हैं।
जिला पंचायत सदस्य पदों पर समर्थित प्रत्याशियों का एलान किया जा चुका है, जबकि ग्राम प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य पदों में किसके सिर पर हाथ रखना है, इसका भी खाका तैयार हो चुका है। इसके साथ ही पार्टी ने बूथ स्तर पर अपनी मजबूत पकड़ कायम रखने को रणनीति बनाई है।2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में सभी पांचों सीटों पर परचम फहराया था। इसके बाद विधानसभा चुनाव में उसने 70 में से 57 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया तो नगर निकाय चुनावों में भी उसे जबर्दस्त सफलता मिली। यही नहीं, सहकारिता के चुनावों में तो पार्टी सहकारी संस्थाओं व समितियों के बोर्ड पर एकतरफा काबिज हुई। हालिया लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने अपने प्रदर्शन को बरकरार रखते हुए सभी पांचों सीटें जीतकर इतिहास रचा था। अब ऐसा ही प्रदर्शन त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में दोहराने की चुनौती है।
हालांकि, पंचायत चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं होते और बैलेट पेपर प्रत्याशियों के नाम भी नहीं होते। और तो और, इस बार पंचायत चुनाव में परिस्थितियां भी काफी बदली-बदली हैं। ऐसे में पंचायत चुनाव में परचम फहराने की चुनौती खासी बड़ी है। वजह यह कि पंचायत चुनाव बेहद छोटे स्तर पर होते हैं और इनमें राष्ट्रीय या राज्य स्तर के मुद्दों की बजाए उम्मीदवार की जमीनी पकड़ व प्रभाव मायने रखते हैं। यही नहीं, चुनाव को लेकर नित नए-नए पेच भी सामने आ रहे हैं।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक इन सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद ही पंचायत चुनाव के लिए पार्टी ने रणनीति बनाई है। जिला पंचायत सदस्य पदों पर पार्टी समर्थित ऐसे उम्मीदवारों को समर्थन दिया गया है, जो जिताऊ होने के साथ ही जिनकी जमीनी पकड़ मजबूत हो और क्षेत्र में स्वच्छ छवि हो।
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सूत्रों ने बताया कि क्षेत्र पंचायत सदस्य पदों और ग्राम प्रधान पदों के लिए समर्थित प्रत्याशियों का एलान नहीं किया गया है, लेकिन भितरखाने खाका तैयार है कि किसके सिर पर हाथ रखा जाना है। इस बारे में बूथ स्तर पर मौजूद कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं।यह भी पढ़ें: पंचायत चुनाव: 66399 पदों पर पहले दो दिन सिर्फ 7978 नामांकन
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