उत्तराखंड में जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों पर यथावत रहेगा आरक्षण
जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए शासन की ओर से निर्धारित किए गए आरक्षण को यथावत रखा गया है। शासन ने अध्यक्ष पदों पर आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी।
By Edited By: Updated: Wed, 30 Oct 2019 08:37 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए शासन की ओर से निर्धारित किए गए आरक्षण को यथावत रखा गया है। आरक्षण को लेकर आई आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद शासन ने अध्यक्ष पदों पर आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी।
सचिव पंचायतीराज डॉ. रंजीत सिन्हा की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक सात जिलों में अध्यक्ष पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। उधर, माना जा रहा कि एक दो दिन में राज्य निर्वाचन आयोग भी जिला पंचायतों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और क्षेत्र पंचायतों के प्रमुखों, ज्येष्ठ व कनिष्ठ उपप्रमुखों के चुनाव का कार्यक्रम जारी कर सकता है। पंचायत चुनाव के लिए शासन ने 20 अक्टूबर को जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए अनंतिम आरक्षण जारी किया था। 22 व 23 अक्टूबर से आरक्षण के संबंध में आपत्तियां प्राप्त की गई। इस दौरान विभिन्न जिलों से 15 आपत्तियां दर्ज हुई। 24 से 26 अक्टूबर तक इनका निस्तारण किया गया। बताया गया कि कोई भी आपत्ति ऐसी नहीं पाई गई, जिसके आधार पर आरक्षण में किसी प्रकार का बदलाव किया जा सके।
आपत्तियों का निस्तारण होने के बाद शासन ने अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी। अध्यक्ष पदों पर आरक्षण यथावत रखा गया है। शासन की ओर से इसकी सूचना राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दी गई है। अध्यक्ष पदों पर आरक्षण
जिला पंचायत--------------श्रेणी पौड़ी------------------अनुसूचित जाति रुद्रप्रयाग-------------अनुसूचित जाति (महिला)
देहरादून--------------अनुसूचित जनजाति (महिला) पिथौरागढ़------------अन्य पिछड़ा वर्ग (महिला) ऊधमसिंहनगर-----------------महिला नैनीताल----------------------महिला चंपावत-----------------------महिला बागेश्वर----------------------महिला उत्तरकाशी-----------------सामान्य टिहरी----------------------सामान्य चमोली---------------------सामान्य
अल्मोड़ा--------------------सामान्यमतदान केंद्र में मोबाइल व कैमरा पूरी तरह प्रतिबंधितजिपं अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत प्रमुख पदों के लिए आरक्षण का निर्धारण होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग अब जिला पंचायतों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और क्षेत्र पंचायतों में प्रमुख, ज्येष्ठ व कनिठ उपप्रमुखों के चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। इस बार मतदान केंद्र में मोबाइल फोन व कैमरा पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।
पिछली बार सदस्यों को मोबाइल ले जाने की अनुमति दी गई थी, मगर इससे मतदान की गोपनीयता भंग होने की शिकायतें मिली थीं। यही नहीं, अब शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता होने के मद्देनजर वोट डालने के लिए सहयोगी नहीं मिलेगा। सहयोगी केवल दिव्यांग या नेत्रहीन सदस्यों को ही दिया जाएगा। राज्य निर्वाचन आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हरिद्वार को छोड़ शेष सभी जिलों के डीएम व एसएसपी को इस बारे में निर्देश दिए। हरिद्वार को छोड़कर शेष जिलों में नवंबर के पहले हफ्ते में जिला पंचायतों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख, ज्येष्ठ व कनिठ उपप्रमुखों के चुनाव संभावित हैं।
अध्यक्ष और प्रमुख पदों पर आरक्षण का निर्धारण हो चुका है। इन चुनावों में जिपं अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए जिपं सदस्य और प्रमुखों व ज्येष्ठ-कनिष्ठ उपप्रमुखों के चुनाव में क्षेत्र पंचायत सदस्य मतदान करते हैं। एकल संक्रमणीय पद्धति से होने वाले इन चुनावों में सदस्यों के खरीद-फरोख्त की भी आशंका रहती है। इसे देखते हुए आयोग ने इस बार सख्त रुख अपनाया है।इसी कड़ी में राज्य निर्वाचन आयुक्त ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सभी डीएम व एसएसपी से चुनाव की तैयारियों के संबंध में फीडबैक लिया। साथ ही निष्पक्ष, भयमुक्त एवं शांतिपूर्ण चुनाव कराने के संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने इन चुनावों के मद्देनजर निर्वाचन संबंधी अपराधों के विभिन्न विषयों पर भी रोशनी डाली। साथ ही हाईकोर्ट की ओर से 34 बिंदुओं पर दिए गए निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए निर्देशित किया।
भट्ट ने कहा कि आयोग और जिला स्तर पर गठित शिकायत प्रकोष्ठ में जनसामान्य से प्राप्त होने वाली सूचनाओं पर तत्परता से कार्रवाई की जाए। शिकायत का तात्पर्य केवल लिखित शिकायत से नहीं होगा, बल्कि किसी भी माध्यम से मिलने वाली सूचनाओं का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की जाए। शिकायत में सत्यता पाए जाने पर इस मामले में पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई जाए।मतगणना की होगी वीडियोग्राफी
राज्य निर्वाचन आयुक्त भट्ट ने कहा कि मतदान की गोपनीयता के मद्देनजर मतदान केंद्र में मोबाइल फोन व कैमरा ले जाना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। मतगणना की वीडियोग्राफी की जाएगी। मतदान केंद्र से 200 मीटर की परिधि में धारा-144 लागू रहेगी। उन्होंने बताया कि सभी जिलों में मतदाता सूची भी तैयार हो गई हैं।जिलों में शिकायत निवारण प्रकोष्ठजिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख, ज्येष्ठ व कनिष्ठ उपप्रमुखों के चुनाव के मद्देनजर आने वाली शिकायतों के निवारण के लिए आयोग के साथ ही सभी जिलों में शिकायत निवारण प्रकोष्ठ गठित कर दिए गए हैं। आयोग में गठित प्रकोष्ठ के लिए सचिव रोशनलाल को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिलों में एडीएम, सीडीओ, एसपी, एएसपी, डीएसपी को शिकायत निवारण प्रकोष्ठों की जिम्मेदारी दी गई है।
यह भी पढ़ें: जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस वेट एंड वाच की मुद्रा मेंचमोली के सदस्य वापस लौटेचमोली जिले के जिन 50 जिला व क्षेत्र पंचायत सदस्यों के कथित तौर पर गायब होने की सूचना मिली थी, वे सभी वापस लौट आए हैं। आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक ऐसी सूचनाएं मिली हैं, मगर जिले से आधिकारिक सूचना प्राप्त नहीं हुई है। आधिकारिक सूचना मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
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