उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों में शुरू हुई आरक्षण की प्रक्रिया
उत्तराखंड में हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मद्देनजर वहां स्थान और पदों के आरक्षण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
By Edited By: Updated: Wed, 28 Aug 2019 11:40 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मद्देनजर वहां स्थान और पदों के आरक्षण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस कड़ी में सभी जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र व जिला) के लिए अनंतिम आरक्षण प्रस्ताव जारी किए गए। इसके साथ ही इन प्रस्तावों पर आपत्तियां भी लेनी शुरू कर दी गई हैं। आपत्ति दर्ज करने का आज अंतिम दिन है।
त्रिस्तरीय पंचायतों के आरक्षण को लेकर बार-बार तिथियां बदलने के बाद आखिरकार सभी जिलों में अनंतिम आरक्षण प्रस्तावों का प्रकाशन कर दिया गया। ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, तहसील, जिला पंचायतीराज अधिकारी व जिलाधिकारी कार्यालयों में आरक्षित स्थानों और पदों की सूची जनसाधारण के लिए सूचना पटों पर चस्पां की गई है। यही नहीं, लगभग सभी जिलों में आरक्षण प्रस्ताव को लेकर आपत्तियां दर्ज कराने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। आरक्षण प्रस्तावों पर आई आपत्तियों का निस्तारण 29 व 30 अगस्त को सभी जिलों में जिलाधिकारी करेंगे। 31 अगस्त को आरक्षण प्रस्ताव का अंतिम प्रकाशन होगा और इसी दिन ये पंचायतीराज निदेशालय को भेजे जाएंगे।
अपर सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल के अनुसार निदेशालय द्वारा एक सितंबर को आरक्षण प्रस्ताव शासन और राज्य निर्वाचन आयोग को भेजे जाएंगे। उधर, माना जा रहा है कि आरक्षण प्रस्ताव मिलने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग सितंबर के पहले हफ्ते में चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है।
पंचायत चुनाव में अपव्यय पर प्रभावी ढंग से लगे रोक
हरिद्वार को छोड़ अन्य जिलों में सितंबर-अक्टूबर में संभावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सरकार ने कमर कस ली है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पंचायतीराज विभाग की समीक्षा बैठक में संशोधित पंचायतीराज एक्ट के तहत पंचायत चुनाव पूरी पारदर्शिता के साथ संपन्न कराने के निर्देश दिए। उन्होंने पंचायत चुनावों में होने वाले अपव्यय को रोकने के लिए भी प्रभावी कदम उठाने को कहा।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायत चुनाव पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ संपन्न हों, इसके लिए संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को अपने दायित्वों का निर्वहन निष्ठा और ईमानदारी के साथ करना होगा। उन्होंने पंचायतों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना लागू करने, प्लास्टिक वेस्ट रिसाइकिलिंग संयंत्रों की स्थापना करने, पंचायतों के अभिलेख ऑनलाइन करने पर भी जोर दिया।
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उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों के लिए जल संरक्षण, बागवानी समेत स्वरोजगारपरक गतिविधियों से संबंधित प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। बैठक में पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडेय, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव पंचायतीराज डॉ.रंजीत सिन्हा, सचिव खेल बृजेश कुमार संत, निदेशक व अपर सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के पंचायत चुनाव में युवाओं पर दांव खेलेगी कांग्रेस
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