Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

विषय व गुणवत्ता पर ध्यान देने से मिलेगा बेहतर सिनेमा, JFF में पताल-ती के निर्देशक संतोष ने दर्शकों से की बात

Jagran Fil Festival (JFF) क्षेत्रीय सिनेमा को समझना जरूरी है। अच्छी फिल्म तभी बनती है जब उसके विषय और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाता है। ऐसा करेंगे तभी हम दर्शकों को अच्छा सिनेमा दिखा पाएंगे। फिर क्षेत्र विशेष की सीमाएं समाप्त हो जाएंगी और अच्छा सिनेमा ही क्षेत्रीय विषय को देश-विदेश तक ले जाएगा। जेएफएफ में अंतिम दिन पताल-ती के निर्देशक संतोष रावत ने दर्शकों से संवाद में कहा।

By Sumit kumarEdited By: riya.pandeyUpdated: Mon, 11 Sep 2023 09:23 AM (IST)
Hero Image
जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) में अंतिम दिन पहुंचे पताल-ती के निर्देशक संतोष रावत

जागरण संवाददाता, देहरादून: Jagran Fil Festival (JFF): क्षेत्रीय सिनेमा को समझना जरूरी है। अच्छी फिल्म तभी बनती है, जब उसके विषय और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाता है। ऐसा करेंगे, तभी हम दर्शकों को अच्छा सिनेमा दिखा पाएंगे। फिर क्षेत्र विशेष की सीमाएं समाप्त हो जाएंगी और अच्छा सिनेमा ही क्षेत्रीय विषय को देश-विदेश तक ले जाएगा।

जागरण फिल्म फेस्टिवल (JFF) में अंतिम दिन बेस्ट सिनेमैटोग्राफी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में शामिल व चार अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में पुरस्कृत लघु फिल्म 'पताल-ती' के निर्देशक संतोष रावत ने दर्शकों से संवाद में यह बातें कहीं।

पताल-ती का हर दृश्य है वास्तविक

नेहरू कालोनी निवासी भावना आहूजा ने उनसे प्रश्न किया कि पताल-ती के दृश्य सामान्य थे अथवा इसमें एडिटिंग हुई तो उत्तर मिला कि फिल्म का हर दृश्य वास्तविक है। जिन्हें शूट करने के लिए कई-कई घंटे इंतजार करना पड़ा। क्लेमेनटाउन निवासी रितिका ने शूटिंग में आई परेशानियों के बारे में पूछा तो संतोष ने बताया कि जब फिल्म की कहानी लिखी थी, तब कोई साथ नहीं था।

यह भी पढ़ें - दून से मसूरी तक सड़कों पर लगा घंटों जाम, छुट्टियों का लुत्फ उठाने मसूरी आए थे पर्यटक; लौटते समय रोड हुआ पैक

फिल्म के लोकेशन के लिए पहाड़ पर की 1000 किमी की ट्रेकिंग

फिल्म की लोकेशन तलाशने के लिए उन्होंने पहाड़ पर लगभग एक हजार किलोमीटर ट्रेकिंग की। वहां के परिवेश को बारीकी से समझा और फिर उसी के अनुरूप शूटिंग की। रंगमंच से जुड़े बद्रीश छाबड़ा के प्रश्न पर संतोष ने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि उत्तराखंड में कहानियों की कमी नहीं है। बस, गुणवत्तापरक सिनेमा पर ध्यान दें। भले ही इसमें थोड़ा ज्यादा समय लग जाए।

इसे भी पढ़ें - हजारों की आबादी से जुड़ी रायपुर रोड का खस्ताहाल, बारिश के बाद हालत और भी बदतर

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर