पतंजलि का दावा, दो हफ्ते में बाजार में उपलब्ध हो जाएगी कोरोना की दवा; ऐसे करेगी काम
आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया है कि करीब दो हफ्ते के अंदर कोरोना वायरस की दवा करीब दो हफ्तों के अंदर बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 14 Jun 2020 09:44 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। पतंजलि योगपीठ के आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया है कि करीब दो हफ्ते के अंदर कोरोना वायरस की दवा करीब दो हफ्तों के अंदर बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद दवाओं के एक खास मिश्रण से कोरोना संक्रमण का इलाज पूरी तरह से संभव है। आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने में दवाओं का ये मिश्रण बतौर वैक्सीन (प्रोफाइल एक्टिव) भी पुख्ता काम करता है।
पूरे विश्व में कोरोना वायरस संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। भारत में भी संक्रमण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिससे सभी की चिंताए बढ़ी हुई है। इस बीच पतंजलि ने कोरोना की दवा बनाने का दावा किया है। दैनिक जागरण से खास बातचीत में शनिवार को आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान में कोरोना वायरस संक्रमण की दवा बनाने को लेकर पांच महीने तक शोध चला और चूहों पर कई दौर के इसके सफल परीक्षण किए गए, जिसके बाद ही ये सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि इसके लिए जरूरी क्लीनिकल केस स्टडी भी पूरी हो चुकी है, जबकि क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल अपने अंतिम दौर में है। जल्द ही इसका डाटा मिलने वाला है, जिसके मिलते ही फाइनल एनालिसिस कर करीब दो हफ्तों के अंदर दवा बाजार में उतार दी जाएगी।
पौधों के 1550 से ज्यादा कंपाउंड पर दिन-रात हुआ शोधआचार्य बालकृष्ण ने बताया कि करीब चार महीने के शोध के बाद ये बात सामने आई कि अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल के निश्चित अनुपात में सेवन करने से कोरोना संक्रमण व्यक्ति को न सिर्फ पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है, बल्कि इसका नियमित इस्तेमाल भी संक्रमित नहीं होने देता। बालकृष्ण ने बताया कि शोध के दौरान 12 से अधिक शोधकर्ताओं ने करीब पांच माह तक आयुर्वेदिक गुणों वाले 150 से अधिक पौधों के 1550 से ज्यादा कंपाउंड पर दिन-रात शोध किया है।
शोध पत्र अमरीका के वायरोलॉजी रिसर्च मेडिकल जनरल में प्रकाशित होने भेजा जा चुका है और प्री-क्वालिफेशन दौर में चल रहा है, जबकि अमेरिका के ही 'बायोमेडिसिन फार्मोकोथेरेपी' इंटरनेशनल जर्नल में इसका प्रकाशन हो चुका है। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि कोरोना वायरस, कोरोना फैमिली का सबसे नया और खतरनाक वायरस है। इसकी प्रकृति और संक्रमण इससे पहले आए कोरोना वायरस फैमिली के 'सार्स वायरस' से काफी मिलती-जुलती है। शोध में इन सब बातों पर भी ध्यान दिया गया है। उनका दावा है कि यह सभी दवाएं अपने प्रयोग, इलाज और प्रभाव के आधार पर अंतरराष्टरीय-राष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रमुख संस्थानों, जर्नल आदि से प्रमाणिक हैं, मान्य हैं। इनके प्रभाव और इलाज को लेकर कहीं कोई संदेह नहीं है।
कब शुरू हुआ शोधपतंजलि अनुसंधान संस्थान में चीन में कोरोना वायरस संक्रमण लगातार बढ़ते प्रभाव के बाद योगगुरु बाबा रामदेव की सलाह और निर्देश पर जनवरी 2020 से इस पर शोध शुरू किया गया। शोध में कुल 14 वैज्ञानिकों की टीम, जिसमें पांच महिलाएं भी शामिल है। टीम ने पांच महीनों तक कड़ी मेहनत के बाद ये नतीजे हासिल किए।जानिए दवा में शामिल मुख्य घटक
दवा के मुख्य घटक अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल होंगे। इनका मिश्रण और अनुपात शोध के अनुसार तय किया गया है, जिससे ये कोरोना वायरस के प्रभाव को पुख्ता तरीके से खत्म कर देता है। इतना ही नहीं इसका नियमित इस्तेमाल व्यक्ति को कोरोना संक्रमित ही नहीं होने देता। जानिए कैसे काम करती है दवाआचार्य बालकृष्ण ने बताया कि अश्वगंधा कोरोना वायरस के आरबीडी को मानव शरीर के एसीई से मिलने नहीं देता है, जिससे कोरोना वायरस संक्रमित मानव शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता। गिलोय भी अश्वगंधा की तरह ही काम करता है और संक्रमण होने से रोकता है। तुलसी का कंपाउंड कोरोना के आरएनए-पॉलीमरीज पर अटैक कर उसके गुणांक में वृद्धि करने की दर को न सिर्फ रोक देता है, बल्कि इसका लगातार सेवन उसे खत्म भी कर देता है। श्वसारि रस गाढ़े बलगम को बनने से रोकता है और बने हुए बलगम को खत्म कर फेफड़ों की सूजन कम कर देता है। इसी तरह अणु तेल का इस्तेमाल नेजल ड्रॉप के तौर पर कर सकते हैं।
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- अश्वगंधा- इसका साइंटिफिक नाम 'विथानिय सोमीफेरा' है। इसका कंपाउंड 'विथीनान' कोविड-19 के आरबीडी को मानव शरीर के 'एसीई' से मिलने नहीं देता, दोनों के बीच दीवार बनकर खड़ा हो जाता है। इससे कोरोना संक्रमित मानव शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं में न तो प्रवेश कर पाता और न ही घर बना पता। इसका प्रभावी नियमित इस्तेमाल कोरोना संक्रमित की जांच और इलाज में लगे चिकित्सकों-पैरा मेडिकल स्टाफ को संक्रमित होने से बचाने में भी किया जा सकता है।
- गिलोय- इसका साइंटिफिक नाम टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया है और इसका कंपाउंड 'टीनोकॉटीसाइड' है। यह भी अश्वगंधा की तरह ही काम करता है। ये न सिर्फ संक्रमित व्यक्ति में संक्रमण और ज्यादा फैलने से रोकता है, बल्कि स्वस्थ लोगों को संक्रमण से बचाता है।
- तुलसी- तुलसी का साइंटिफिक नाम 'ओसिमम सटाइबम है। तुलसी का कंपाउंड कोरोना वायरस के आरएनए-पॉलीमरीज पर अटैक कर उसकी चक्रवृद्धि गुणांक में वृद्धि करने की दर को न सिर्फ रोक देता है, बल्कि इसका लगातार सेवन उसे खत्म भी कर देता है।
- श्वासारि रस- ये कोरोना वायरस संक्रमण से बनन वाले वाले 'थिक म्यूकस' यानी गाढ़े बलगम को बनने से रोक देता है। वहीं, बने हुए बलगम को खत्म करने के साथ ही फेफड़ों की सूजन कम कर देता है। इससे फेफड़े फिर काम करने लगते हैं और उनमें हवा भरने लगती है। इससे संक्रमित व्यक्ति खुद से सांस लेने लगता है। उसके फेफड़ों को हवा मिलने लगती है और वह धीरे-धीरे संक्रमण मुक्त हो स्वस्थ हो जाता है।
- अणु तेल- इसका इस्तेमाल 'नेजल ड्राप' के तौर पर कर सकते हैं। इसकी चार-चार बूंद सुबह, दोपहर और शाम को नाक में डाली जाए, तो ये रामबाण का काम करेगी। आपको बता दें कि अणु तेल को आयुर्वेद पद्धति से तैयार किया जाता है।