देहरादून के इस अस्पताल में कराने जा रहे हैं इलाज, तो जरूर पढ़े ये खबर; वरना लौटना पड़ेगा खाली
दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ओपीडी पंजीकरण का समय घटाने से कई मरीज बिना चिकित्सकीय परामर्श वापस लौट गए। अस्पताल में सामान्य मरीजों को भी भर्ती नहीं कर रहे हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 11 Jan 2022 03:38 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में सोमवार को मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा। ओपीडी पंजीकरण का समय घटाए जाने के कारण कई मरीज बिना चिकित्सकीय परामर्श ही वापस लौट गए। वहीं, अस्पताल में अब सामान्य मरीजों को भर्ती भी नहीं किया जा रहा है।
दरअसल, कोरोना के बढ़ते मरीजों को देखते हुए अस्पताल ने तमाम एहतियाती कदम उठाए गए हैं। अस्पताल को फिर से पूरी तरह कोविड मरीजों के इलाज के लिए समर्पित किया जा रहा है। इसी के तहत सोमवार से ओपीडी आधी क्षमता के साथ संचालित की गई। ओपीडी पंजीकरण 12 बजे तक ही हुए। वहीं सामान्य मरीजों को भर्ती करने और आपरेशन पर भी रोक लगा दी गई है। ऐसे में मरीजों को अन्य अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।
प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने बताया कि जिले में कोरोना के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। दून मेडिकल अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। कोरोना संक्रमण का प्रसार अन्य सामान्य मरीजों में न हो और आने वाले समय में अगर मरीज बढ़ते हैं तो इसे देखते हुए अस्पताल को फिर से कोविड अस्पताल बनाए जाने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में हर दिन तकरीबन डेढ़ हजार तक की ओपीडी रहती है। सोमवार को भी करीब 11 सौ मरीज देखे गए। आगे स्थिति की समीक्षा कर संख्या सीमित की जा सकती है।
प्रेमनगर अस्पताल में ओपीडी पंजीकरण को बस एक कर्मचारीप्रेमनगर अस्पताल में मरीजों को ओपीडी पंजीकरण के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। अस्पताल में एक ही पंजीकरण काउंटर होने के चलते मरीजों को दो-दो घंटे तक कतार में खड़ा रहना पड़ता है। जिसमें शारीरिक दूरी के नियम भी तार-तार हो रहे हैं। जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
सामाजिक कार्यकर्त्ता वीरू बिष्ट ने कहा कि अस्पताल में रोजाना करीब 250 से 300 मरीज ओपीडी में आते हैं। क्योंकि बल्लूपुर से लेकर धूलकोट और आसपास का काफी बड़ा क्षेत्र अस्पताल पर निर्भर है। एक पंजीकरण काउंटर पर सामान्य व्यक्ति के साथ ही महिला, बुजुर्ग और दिव्यांग भी कतार में लगते हैं। जिससे उन्हें दिक्कत झेलनी पड़ती है।
छह माह में कई बार काउंटर बढ़ाने के लिए अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक से बात की गई, पर सिर्फ आश्वासन मिला। ज्यादा दबाव पड़ने पर लाइन दो लगवा दी, लेकिन पंजीकरण करने वाला अभी भी एक ही कर्मचारी है। बिष्ट ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की थी। जिसके बाद मुख्य चिकित्साधिकारी ने दो नए काउंटर खोलने की बात कही थी। पर स्थिति अभी भी जस की तस है। यदि जल्द दो और काउंटर नहीं खोले गए तो क्षेत्रवासी मुख्य चिकित्साधिकारी का घेराव करेंगे।
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