कांग्रेस के लिए गर्म दूध, उत्तराखंड में चुना बीच का रास्ता
पदोन्नति मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद आरक्षण को लेकर राहुल गांधी ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर सीधा हमला बोला है।
By Edited By: Updated: Tue, 11 Feb 2020 08:29 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा उत्तराखंड कांग्रेस के लिए गर्म दूध बन गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद आरक्षण को लेकर राहुल गांधी ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर सीधा हमला बोला है। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने बीच का रास्ता अपनाते हुए कहा कि पार्टी आरक्षित और अनारक्षित, सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखकर काम करेगी।
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद पर बीती सात फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तराखंड में कर्मचारी राजनीति गर्माई हुई है। उत्तराखंड की सियासत में कर्मचारियों के दखल को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी की रणनीति किसी भी पक्ष के साथ सीधे खड़ा दिखने के बजाए संतुलन साधने की है। हालांकि सियासी हलकों में इसे कांग्रेस की मजबूरी के तौर पर भी देखा जा रहा है।प्रदेश में उक्त आदेश कांग्रेस सरकार ने ही लागू किया था। उस वक्त मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा थे। विजय बहुगुणा समेत तत्कालीन कांग्रेस मंत्रिमंडल के सदस्य रहे डॉ हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य इसवक्त भाजपा में हैं। डॉ रावत और यशपाल आर्य वर्तमान में काबीना मंत्री हैं।
कर्मचारियों का बड़ा वर्ग पदोन्नति में आरक्षण के विरोध में लामबंद है, जबकि दूसरा वर्ग इसे लेकर सरकार पर दबाव बनाने में जुटा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पार्टी अध्ययन करेगी। इस मामले में पार्टी संविधान की भावना के अनुरूप ही आगे कदम बढ़ाएगी। अनारक्षित और आरक्षित समेत सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखकर ही पार्टी कार्य करेगी।
प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का यह रुख पार्टी के शीर्ष केंद्रीय नेता राहुल गांधी के अपनाए गए तेवरों से जुदा है। पदोन्नति में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राहुल गांधी केंद्र की भाजपा सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर खासे हमलावर हैं। बावजूद इसके कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व ने इस मामले में बीच का रास्ता अपनाना मुनासिब समझा है। वर्ष 2012 में प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण खत्म किए जाने के दौरान प्रीतम सिंह कांग्रेस सरकार के मंत्रिमंडल का हिस्सा थे। यही नहीं वह खुद प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस इस मामले में पूरी सावधानी बरतती दिख रही है।
राहुल पर टिप्पणी को कांग्रेस ने सीएम पर बोला हमला
कांग्रेस को राहुल गांधी पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की टिप्पणी नागवार गुजरी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की राहुल गांधी के लिए भाषा उनकी मानसिकता को दर्शाती है। पार्टी इस टिप्पणी की कड़ी निंदा करती है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के सवालों का जवाब सत्तारूढ़ भाजपा और सरकार के पास नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड में हर मोर्चे पर विफल हैं।
एससी-एसटी कर्मचारी बोले, पदोन्नति में आरक्षण जरूरीपदोन्नति में आरक्षण को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर उत्तराखंड एससी-एसटी इम्प्लाइज फेडरेशन ने सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व मुख्य सचिव उत्पल कुमार से मुलाकात की। फेडरेशन ने इंदु कुमार कमेटी के जनवरी 2012 में सरकार को दिए गए एससी-एसटी कार्मिकों की संख्या और आरक्षण की स्थिति के आंकड़े को पेश करते हुए कहा कि उन्हें निर्धारित आरक्षण प्रतिशत भी प्राप्त नहीं है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आदर करते हुए एससी-एसटी वर्ग को आरक्षण दिया जाना उचित और न्यायसंगत है।
फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष करमराम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने के संबंध में राज्य सरकार को निर्णय लेना है। ऐसे में सरकार को देखना होगा कि क्या एससी-एसटी वर्ग को निर्धारित आरक्षण प्रतिशत प्राप्त है। सरकारी सेवा में एससी वर्ग को 19 और एसटी वर्ग को चार प्रतिशत का आरक्षण प्राप्त है।उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य में एससी-एसटी कार्मिकों का प्रतिनिधित्व ज्ञात करने के लिए अक्टूबर 2011 में तत्कालीन सरकार ने इंदु कुमार पांडेय की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। कमेटी ने जनवरी 2012 में जो रिपोर्ट पेश की, उसमें पदों की श्रेणीवार आरक्षण प्राप्त कार्मिकों की संख्या पेश की गई। इस कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद सितंबर 2012 में जस्टिस इरशाद हुसैन की अध्यक्षता में आयोग गठित किया गया। इस आयोग ने जनवरी 2016 में रिपोर्ट तो पेश कर दी, लेकिन इसे आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया। फेडरेशन ने मांग की कि इंदु कुमार कमेटी की रिपोर्ट को देखते हुए जस्टिस इरशाद हुसैन आयोग की रिपोर्ट का परीक्षण करने के उपरांत यदि सरकारी सेवा में एससी-एसटी का निर्धारित प्रतिशत पूर्ण नहीं पाया जाता है तो सरकार पदोन्नति में आरक्षण को बहाल करे।
राहुल गांधी के बयान से समन्वय मंच नाराजपदोन्नति में आरक्षण को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान को उत्तराखंड के जनरल-ओबीसी कर्मचारी वर्ग ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। कर्मचारी नेताओं ने उनके बयान पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया तो किसी को ऐसी बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। कर्मचारियों ने इस मामले में राहुल की ओर से की जा रही राजनीति पर भी नाराजगी जताई। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्प्लाइज एसोसिएशन ने मंगलवार को तहसील चौक स्थित होटल गौरव में आपात बैठक बुलाई है, जहां इसे लेकर आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।
दीपक जोशी (अध्यक्ष, उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्प्लाइज एसोसिएशन) का कहना है कि कांग्रेस द्वारा की जा रही बयानबाजी सामान्य ओबीसी कर्मचारी वर्ग के संवैधानिक हितों पर कुठाराघात करने वाला है। कम से कम कांग्रेस के नेता को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन तो कर लेना चाहिए। वीरेंद्र सिंह गुसाईं (प्रांतीय महासचिव, उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्पलाइज एसोसिएशन) का कहना है कि पदोन्नति योग्यता के आधार पर होनी चाहिए। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बयानबाजी कर रहे कांग्रेस और अन्य दलों को भी समझना चाहिए। ऐसी बयानबाजी सरासर गलत है।
सीताराम पोखरियाल (मुख्य संयोजक, उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच) का कहना है कि पदोन्नति सरकार का विषय है। यह राजनीति का मुद्दा नहीं है। हम ऐसे किसी भी बयान का विरोध करते हैं, जो सामान्य-ओबीसी वर्ग के कर्मचारियों के हितों की अनदेखी करता है।यह भी पढ़ें: पदोन्नति में आरक्षण पर कांग्रेस का नया सियासी पैंतरा
पूर्णानंद नौटियाल (प्रांतीय प्रवक्ता, उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच) का कहना है कि लंबी लड़ाई के बाद पदोन्नति में आरक्षण न दिए जाने के मुद्दे पर जीत हुई है। कांग्रेस का बयान अनुचित है। इससे सामान्य-ओबीसी वर्ग के कर्मचारियों ने जान लिया कि कौन उनके हितों की अनदेखी कर रहा है।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के सीएम रावत बोले, लगता है फिर नशा कर संसद गए थे राहुल गांधी
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