उत्तराखंड में गरीब की थाली से तुअर और अरहर की दाल छिटकी
उत्तराखंड में गरीब की थाली में पहुंचने से पहले ही तुअर और अरहर की दाल छिटक गई है। ऐसे में उपभोक्ताओं को चना दाल और मसूर से काम चलाना पड़ेगा।
By Edited By: Updated: Thu, 01 Aug 2019 03:11 PM (IST)
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। उत्तराखंड में गरीब की थाली में पहुंचने से पहले ही तुअर और अरहर की दाल छिटक गई है। तमिलनाडु समेत अन्य राज्य तुअर दाल पर पहले ही हाथ साफ कर चुके हैं। ऐसे में उत्तराखंड के सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उपभोक्ताओं को चना दाल और मसूर से काम चलाना पड़ेगा। यही नहीं गरीबों के भोजन को रसदार बनाने वाली मुख्यमंत्री दालपोषित योजना का भविष्य एक साल होगा या ज्यादा, इसे लेकर असमंजस है। राज्य सरकार ने भी यही फैसला लिया है कि केंद्र से सस्ती दालें मिलने तक ही इस योजना को जारी रखा जाएगा।
प्रदेश सरकार ने गरीब और आम आदमी को रियायती दरों पर दाल परोसने पर मुहर लगा दी है। मंत्रिमंडल ने बीती 24 जुलाई को प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के 23.80 लाख राशनकार्डधारकों को दो दालें एक-एक किलो देने का निर्णय लिया है। इसे मुख्यमंत्री दालपोषित योजना नाम देते हुए यह भी तय किया गया कि इन उपभोक्ताओं को तुअर, चना दाल, मसूर और मलका मुहैया कराई जाएगी। तुअर या अरहर दाल पाने की उम्मीद संजोए बैठे गरीब और सामान्य वर्ग के उपभोक्ताओं को झटका लगना तय है। खाद्य महकमे के पास उपलब्ध सूचना के मुताबिक तुअर दाल का स्टॉक खत्म है। तमिलनाडु समेत कई राज्य पहले ही तुअर दाल का स्टॉक उठा चुके हैं। ऐसे में राज्यवासियों को सिर्फ चना दाल, मसूर या मलका उपलब्ध हो सकेगी।
राज्य सरकार को फिलहाल 4650 मीट्रिक टन दाल की जरूरत पड़ेगी। हालांकि सरकार स्कूलों में मिड डे मील और एकीकृत बाल विकास योजना (आइसीडीएस) को भी रियायती देने के पक्ष में है। मंत्रिमंडल के फैसले में उक्त दोनों महकमों से दालों की जरूरत के बारे में पूछा है। आइसीडीएस ने दाल लेने से इन्कार कर दिया है। वहीं मिड डे मील के लिए दाल की जरूरत को देखते हुए शिक्षा महकमा अपनी मांग रखेगा। प्रदेश में मुख्यमंत्री दालपोषित लंबे समय तक जारी रहेगा, फिलहाल इसके आसार केंद्र सरकार की ओर से दालों की उपलब्धता पर निर्भर रहने वाला है। सरकार ने तय किया है कि केंद्र जब तक दालें उपलब्ध कराएगा, राज्य में इसका वितरण कराया जाएगा। देश में दालों के स्टॉक की अगले साल क्या स्थिति रहेगी, इसे लेकर केंद्र और राज्य दोनों की चुप्पी साधे हैं। इस वजह से ये योजना सिर्फ मौजूदा दालों के स्टॉक पर टिककर रह गई है। अभी प्रदेश को किस एजेंसी के माध्यम से दालें उपलब्ध कराई जानी हैं, इस पर फैसला होना बाकी है।
केंद्र सरकार की ओर से राज्य को भेजे पत्र के मुताबिक नेफेड के माध्यम से उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक राज्यों में उपलब्ध दाल के स्टॉक से राज्य सरकार की मांग पर दालें उपलब्ध कराई जाएंगी। नोडल एजेंसी जो भी मूल्य तय करेगी, उस पर 15 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी केंद्र की ओर से राज्य को मिलेगी। राज्य इस सब्सिडी के आधार पर ही रियायती दरों पर दाल मुहैया कराएगा। फिलहाल इस मामले में मुख्यमंत्री के फैसले पर महकमे की निगाहें टिकी हैं। महकमे की ओर से पत्रावली मुख्यमंत्री को भेजी गई है।
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