Move to Jagran APP

यहां एक बार बंद होने के 12 घंटे बाद खुलता है रेलवे फाटक

बालावाला क्षेत्र का रेलवे फाटक ऐसा है जो एक बार बंद होने के 12 घंटे बाद ही खोला जाता है। इससे हजारों लोगों की परेशानी बढ़ जाती है।

By BhanuEdited By: Updated: Sat, 30 Mar 2019 03:03 PM (IST)
Hero Image
यहां एक बार बंद होने के 12 घंटे बाद खुलता है रेलवे फाटक
हरीश कंडारी, देहरादून। हरिद्वार रोड से रायपुर, बालावाला, नथुवावाला, शमशेरगढ़, नकरौंदा, लाडपुर क्षेत्र को को जोड़ने वाले मार्ग के बीच में स्थित रेलवे फाटक नंबर 32 सी लोगों की सहूलियत नहीं बल्कि मुसीबतें बढ़ाता है। दरअसल, रेलवे की ओर से इस फाटक को शाम छह बजे बंद कर दिया जाता है और इसके बाद सुबह छह बजे खोला जाता है। यानि शाम छह बजे के बाद इस मार्ग से आवाजाही पूरी तरह ठप हो जाती है। ऐसे में क्षेत्र के लाखों लोगों को कई मील दूर घूमकर आना-जाना पड़ता है। 

आपातकाल के दौरान क्षेत्रवासियों के साथ ही एंबुलेंस, पुलिस, फायर बिग्रेड को भी काफी समस्या उठानी पड़ती है। रेलवे की यह व्यवस्था आज से नहीं है। जब से यहां रेल लाइन बिछी है, तब से है। क्षेत्रवासियों के फाटक को चौबीसों घंटे खोलने की कई बार मांग के बाद भी आज तक इस समस्या का हल नहीं हो पाया है। 

हरिद्वार रोड पर स्थित हर्रावाला चौकी के समीप से बालावाला, नथुवालवाला, लाडपुर, रायपुर, शमशेरगढ़, नकरौंदा को जोड़ने के लिए सड़क बनी है। इस सड़क के बीच में बालावाला चौकी के पास रेलवे का फाटक है। जब यहां रेल लाइन बिछाई गई थी तो न तो यह सड़क बनी थी और न ही यहां कोई आबादी थी। 

लिहाजा, रेलवे की ओर से यहां कोई फाटक नहीं बनाया। धीरे-धीरे इस क्षेत्र का विकास होने के कारण यहां लोग बसने लगे और जनसंख्या बढ़ने और सड़क बनने के बाद रेलवे ने यहां फाटक बना लिया। जनसंख्या कम होने के कारण उस समय रेलवे ने फाटक यहां कोई स्थायी कर्मचारी तैनात नहीं किया और शाम छह बजे फाटक को बंद कर सुबह छह बजे खोलने की व्यवस्था कर दी।

अब इन क्षेत्रों में लाखों की आबादी बस गई है और यह मार्ग इन क्षेत्रों को हरिद्वार मेन रोड से जोड़ने का प्रमुख मार्ग बन चुका है। बावजूद आज तक भी यहां रेलवे की ओर से कोई स्थायी कर्मचारी तैनात नहीं किया है। आज भी यहां फाटक शाम को छह बजे बंद कर सुबह छह बजे ही खोला जाता है। 

इस कारण लोगों को शाम छह बजे से मियांवाला चौक, रायपुर व नकरौंदा में बने फाटक के माध्यम से लंबी दूरी तय कर अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है। यहां तक कि इन क्षेत्रों में कोई इमरजेंसी आती है तो भी लोगों को लंबी दूरी तय कर पुलिस, फायर, एंबुलेंस को घटना स्थल पहुंचना पड़ता है। ऐसा नहीं कि इसके लिए क्षेत्रवासियों ने आवाज नहीं उठाई हो, लेकिन आज तक किसी ने भी इसकी सुध लेने की जहमत नहीं उठाई।

चौकी पुलिस भी शाम को दूसरी तरफ करती है वाहन खड़े

फाटक के ठीक सामने बालावाला पुलिस है। चौकी का क्षेत्र फाटक के दोनों तरफ आता है। घटनास्थल तक पहुंचने में कोई देरी न हो, इसलिए पुलिस भी शाम को अपने वाहन गेट के दूसरी तरफ खड़ी करती है। 

दुर्घटना की भी रहती है संभावना 

शाम को छह बजे गेट बंद होने के कारण लोग नीचे से अपने वाहन निकालने का प्रयास करते हैं। फाटक पर कोई कर्मचारी न होने के कारण यहां अक्सर दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। 

मियांवाला रोड पर बढ़ जाता है दबाव

गेट बंद होने के कारण इसका पूरा असर मियांवाला रोड पर पड़ता है। क्योंकि हरिद्वार बाईपास से बालावाला, नथुवावाला, लाड़पुर, नकरौंदा के लोग तब इसी मार्ग का इस्तेमाल करते हैं। जिससे कारण यहां हमेशा जाम की स्थित बनी रहती है। 

स्थानीय निवासियों की पीड़ा

बालावाला निवासी विवेक उनियाल के अनुसार, फाटक चौबीसों घंटे खुला रखने के लिए कई बार शासन-प्रशासन व रेलवे विभाग से मांग की जा चुकी है। लेकिन, कोई भी इसकी सुध नहीं ले रहा है। नथुवावाला, शमशेरगढ़, बालावाला, नकरौंदा आदि  इलाकों में यदि कोई घटना घटती है तो फाटक के कारण अनावश्यक विलंब होता है।

बालावाला निवासी तनुजा का कहना है कि यह मार्ग बालावाला, नकरौंदा, गूलरघाटी, नथुवालावा आदि क्षेत्र के लोगों का हरिद्वार पहुंचने का मुख्य मार्ग है। फाटक बंद होने के कारण लोग छह बजे के बाद मियां वाला चौक से अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। जिससे कारण शाम को मियांवाला चौक पर जाम की स्थिति बनी रहती है। 

नकरौंदा निवासी रेस्टी सिंह के अनुसार, शाम को फाटक बंद होने के बाद यदि पुलिस, फायर, एबुंलेस की तुरंत आवश्यकता पड़े तो गेट बंद होने के कारण इस आपातकालीन सेवाओं को पहुंचने में अनावश्यक विलंब होता है। जिससे काफी परेशानी होती है। 

सैनिक कॉलोनी बालावाला निवासी अरविंद चौधरी का कहना है कि फाटक को चौबीसों घंटे खोलने के लिए कई बार मांग की जा चुकी है, लेकिन कोई भी इसकी सुध नहीं ले रहा है। गेट बंद होने के कारण लोगों को अनावश्यक परेशानी उठानी पड़ती है और समय बर्बाद होता है। रेलवे को यहां तुंरत स्थायी कर्मचारी की व्यवस्था करनी चाहिए।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में रोडवेज की 180 बसें हर साल हो रही कंडम, खतरे में सफर

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में ग्रामीणों के लिए मजबूरी बनी ओवरलोडिंग सवारी 

यह भी पढ़ें: दून शहर में लग रहे जाम पर शासन सख्त, हरकत में आई पुलिस 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।